ऋषिकेश: हर साल मेलों में झूले लगते हैं, जिसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक बैठते हैं. लेकिन सुरक्षा के लिहाज से झूलों की फिटनेस जांच जरूरी होती है. वरना हादसों का खतरा बना रहता है. महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में वीरभद्र महादेव मंदिर के सामने मैदान में मेले के दौरान लगने वाले झूलों के ठेकेदार इस बार लोगों की जान से खिलवाड़ नहीं कर सकें इसलिए प्रशासन अलर्ट है. इस बार प्रशासन पूरी तरह से सख्त दिखाई दे रहा है. हालांकि झूले लगाने वाले ठेकेदारों ने अपने झूलों की बिना फिटनेस इंश्योरेंस और मेडिकल सुविधा की व्यवस्था करे बगैर ही प्रशासन से झूलों को लगाने की इजाजत भी मांग ली है. लेकिन प्रशासन ने झूलों को लगाने की परमिशन ठेकेदार को नहीं दी है.
ऋषिकेश उपजिलाधिकारी नंदन कुमार ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्व के उपलक्ष्य में वीरभद्र महादेव मंदिर के बाहर खाली पड़े मैदान में मेला लगना है. मेले में लोगों के आकर्षण का केंद्र रहने वाले झूलों को लगाने के लिए ठेकेदार ने प्रशासन से प्रार्थना पत्र देकर परमिशन मांगी है. परमिशन देने से पहले पुलिस द्वारा अग्निशमन विभाग और स्वास्थ्य विभाग की एनओसी रिपोर्ट मांगी गई थी, जिसकी रिपोर्ट मिल गई है. लेकिन अभी तक झूलों की फिटनेस परीक्षण रिपोर्ट नहीं मिली है और बीमा भी नहीं हुआ है. जब तक सभी तरह की रिपोर्ट नहीं मिलती हैं, तब तक अनुमति नहीं दी जाएगी. यही कारण है की झूलों को लगाने की परमिशन प्रशासन की ओर से अभी नहीं दी गई है. बावजूद इसके ठेकेदार की मनमानी से तकरीबन 100 फीट ऊंचे झूलों को लगाने का कार्य किया जा रहा है.
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इससे साफ कहा जा सकता है कि ठेकेदार झूलों को लगाने के लिए पूर्ण रूप से नियमों की अवहेलना करने में लगा है. प्रशासन ने यदि ठेकेदार की लापरवाही पर गौर नहीं किया तो यह बड़े हादसे का सबब बन सकता है. जानकारी के मुताबिक झूलों को लगाने से पहले उसका पहले फिटनेस परीक्षण करवाना अनिवार्य होता है. फिटनेस परीक्षण रिपोर्ट पीडब्ल्यूडी के एक्सपर्ट के द्वारा दी जाती है. एक्सपर्ट यह देखता है कि झूले कितने पुराने हैं. इसकी क्या क्षमता है. क्या झूले अपनी क्षमता के अनुसार लोगों का भार झेल सकते हैं. इन सभी बातों का बारीकी से परीक्षण कर रिपोर्ट तैयार होती है. हालांकि अभी तक झूलों का किसी भी तरह का परीक्षण नहीं हुआ है.