देहरादूनः सीएसआईआर (इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम देहरादून) के वैज्ञानिकों की टीम ने कुकिंग ऑयल से रूम टेम्प्रेचर विधि से बायोडीजल बनाने का फार्मूला ईजाद किया है. वहीं, देहरादून के 25 होटलों से कुकिंग ऑयल इकट्ठा कर बायोडीजल बनाया जा रहा है. संस्थान इस वर्ष होने वाली चारधाम यात्रा में भी स्टॉल लगाकर वहां पर मौजूद होटल से कुकिंग ऑयल से बायोडीजल बना कर जेनरेटर चलाने की प्लानिंग कर रहा है.
बता दें कि घर में बेकार पड़े खाद्य तेल से अब बायोडीजल बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. सीएसआईआर ने इसके कई प्लांट बनाकर रेडी भी कर दिए हैं. एक लीटर बायोफ्यूल की कीमत ₹45 है. देहरादून में इसकी शुरुआत भी की जा चुकी है. इस वर्ष होने वाली चारधाम यात्रा में होटलों से खाद्य ऑयल को लेकर बायोफ्यूल तैयार कर जेनरेटर के लिए सप्लाई किया जाएगा.
दरअसल, खाद्य तेल को बार-बार गर्म करने से वह बेकार हो जाता है. ज्यादा इस्तेमाल करने से कई गम्भीर बीमारियां भी होने लगती हैं. जिसको लेकर वैज्ञानिकों की टीम ने इस बेकार पड़े तेल को किस तरह प्रयोग में लाया जा सकता है, इस पर शोध कार्य किया. जिसके बाद वैज्ञानिकों को सफलता हाथ लगी.
वहीं, सीएसआईआर लैब के सीनियर वैज्ञानिक नीरज आत्रे ने बताया कि खाद्य तेल से बायोफ्यूल बनाने का काम शुरू कर दिया गया है. देहरादून में एक एनजीओ के माध्यम से 25 होटलों से खाद्य तेल को एकत्रित किया जा रहा है, जिसका एनजीओ को 20 रुपये प्रति लीटर भुगतान भी किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस खाद्य तेल से बायोफ्यूल तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम देहरादून द्वारा खाद्य तेल को इकट्ठा करने के लिए एक चेन तैयार की गई है, जो पांच लीटर खराब खाद्य तेल देने वाले शख्स को एक लीटर कुकिंग तेल प्रोवाइड करेगा. यही नहीं, अगर कोई बायोफ्यूल लेना चाहता है तो उनकी टीम द्वारा तत्काल खाद्य तेल को बायोफ्यूल बनाकर उन्हें दे सकता है. ताकि, वह डीजल में 5 से 20 फीसदी बायोफ्यूल मिलाकर उसे जेनरेटर में या अन्य वाहनों में इस्तेमाल कर सकता है.
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चारधाम यात्रा में भी स्टॉल लगा कर तैयार किया जाएगा बायोफ्यूल
इस वर्ष होने वाले चारधाम यात्रा में होटलों में खराब पड़े खाद्य तेल से बायोफ्यूल ईधन बनाने की रूप रेखा तैयार की जा रही है. ताकि होटलों में चलने वाले जेनरेटर में बायोफ्यूल का इस्तेमाल किया जा सके. वैज्ञानिक नीरज आत्रे ने बताया कि चारों धामों में यूनिट बनाकर बायोफ्यूल तैयार किया जाएगा. इस बाबत सरकार से बातचीत चल रही है.
दूधिये की तरह काम करेगा रूम टेम्परेचर बायोडीजल प्रोसेस
इंडियन इंस्टीयूट ऑफ पेट्रोलियम देहरादून की सीएसआईआर लैब के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट नीरज आत्रे ने बताया कि उनकी टेक्नॉलॉजी बिना इलेक्ट्रॉनिक एनर्जी के काम कर सकती है. खाद्य तेल में आईपी के पेटेंड लिक्विड से बायोफ्यूल तैयार किया जा सकता है. छोटी मशीन में एक समय में 5 लीटर बायोफ्यूल बनाया जा सकता है. यह प्लांट दूधिये के रूप में काम करेगा, ताकि किसी को खराब तेल से बायोडीजल बनाना है तो वह इस मशीन को लेकर उनके घर पहुंचकर बायोडीजल बना सकेगा. बने हुए बायोडीजल को जेनरेटरों व अन्य वाहनों में इस्तेमाल किया जा सकेगा.
एफएसएसएआई और एमओपीएनजी ने रुको योजना की थी लॉन्च
खाद्य तेल के बार-बार प्रयोग करने से बढ़ रही बीमारी को देखते हुए एफएसएसएआई और एमओपीएनजी (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया और मिनिस्ट्री ऑफ पेट्रोलियम नेचुरल गैस) द्वारा रुको योजना लॉन्च की गई थी. इस योजना के तहत बार-बार खाद्य तेल के इस्तेमाल को रोकने और उस तेल का किसी अन्य प्रोडक्ट के रूप में इस्तेमाल किया जा सके, इसकी रूपरेखा तैयार की गई. खाद्य ऑयल से बनने वाले बायोडीजल की टेस्टिंग और सर्टिफिकेट की जिम्मेदारी आईआईपी को सौंपी गई है.
कुकिंग तेल से 5 से 6 मिलियन टन बायोडीजल बनाने का सपना
मौजूदा समय में भारत में तेल की खपत 100 मिलियन टन है. ऐसे में देश के वैज्ञानिक कुकिंग ऑयल से 5 से 6 मिलियन टन बायोडीजल बनाने की बात कह रहे हैं. इससे देश का करोड़ों रुपया फॉरन एक्सचेंज से बचाया जा सकता है. मौजूदा समय में देशभर में ऑयल कुकिंग से तैयार होने वाले बायोडीजल के 30 प्लांटों को तैयार किया जा चुका है.