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चारधाम यात्रा: श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने को लेकर HC पहुंची धामी सरकार, सोमवार को हो सकती है सुनवाई

चारधाम यात्रा में यात्रियों की संख्या बढ़ाने को लेकर धामी सरकार हाईकोर्ट की शरण में गई है. राज्य सरकार ने मामले में शपथ पत्र दाखिल किया है.

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चारधाम यात्रा को लेकर धामी सरकार पहुंची HC
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Published : Sep 30, 2021, 11:25 PM IST

Updated : Oct 1, 2021, 6:22 AM IST

देहरादून: चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने को लेकर धामी सरकार ने आज नैनीताल हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया है. सरकार चारधाम यात्रा में यात्रियों की संख्या बढ़ाने के लिए कोर्ट से अनुमति मांगी है. मामले में सोमवार या बुधवार को सुनवाई हो सकती है.

गौरतलब है हाईकोर्ट की अनुमति के बाद 18 सितंबर से प्रदेश में चारधाम यात्रा सीमित श्रद्धालुओं के साथ शुरू कर दी गई है. लेकिन इसके बावजूद धामों में दोपहर बाद श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखी जा रही है. वहीं, कोरोना के गिरते ग्राफ को देखते हुए सरकार चारधाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की संख्या को बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया है.

क्यों हाईकोर्ट जा रही सरकार: उत्तराखंड में 18 सितंबर से चारधाम यात्रा शुरू हो गई है. यात्रा शुरू होने के बाद देश भर के श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर पंजीकरण कराया. लेकिन, हकीकत यह है कि फिलहाल पंजीकृत श्रद्धालुओं में करीब 50 फीसदी ही दर्शन-पूजन को धाम पहुंच रहे हैं. ऐसे में दोपहर बाद धाम वीरान हो जा रहे हैं. जिसकी वजह से राज्य सरकार चिंतित है. ऐसे में धामी सरकार चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट जा रही है.

कड़े नियम राह में रोड़ा: नैनीताल हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा को लेकर सशर्त अनुमति दी थी. लिहाजा सरकार के कड़े नियमों के तहत चारधाम पर आने वाले श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन सहित दूसरी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ रहा है. जिसमें देहरादून स्मार्ट सिटी पोर्टल और चारधाम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना भी शामिल है.

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श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने को लेकर HC पहुंची धामी सरकार.

ये भी पढ़ें: बिना ई-पास केदारनाथ जाने की जिद पर अड़े यात्री, 2 अक्टूबर से व्यापारियों का धरना

सीमित संख्या से भी परेशानी: हाईकोर्ट ने केदारनाथ धाम में प्रतिदिन 800, बदरीनाथ में 1000, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 यात्रियों की दर्शन की अनुमति दी है. यात्रियों के रुझान के चलते रोजाना तय की गई संख्या के सापेक्ष 15 अक्टूबर तक की बुकिंग पहले ही हो चुकी है. ऐसे में चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की बुकिंग की डेट अभी नहीं मिल रही है. जिसके चलते श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ तमाम श्रद्धालु चारधाम की यात्रा पर आने के लिए जल्द से जल्द बुकिंग का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, तमाम श्रद्धालु ऐसे भी हैं, जो रजिस्ट्रेशन कराने के बावजूद दर्शन करने नहीं पहुंच रहे हैं.

कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि वर्ष में एक बार होने वाली चारधाम यात्रा जो अक्टूबर में समाप्त हो जाती है। इसमें उस मार्ग में काम करने वाले व्यापारी स्थानीय लोग यात्रा बन्द होने से बेरोजगारी हो जाते हैं जिससे कि उन लोगो पर रोजी रोटी खतरा और अधिक बढ़ जाता है।

लापरवाही ने बढ़ाई मुश्किलें: प्रदेश में चारधाम यात्रा शुरू हुए महज 10 दिन ही हुए थे कि सीएम धामी ने यात्रियों की संख्या बढ़ाने जाने को लेकर हाईकोर्ट जाने का बयान देकर सबको चौंका दिया. इस पूरे मामले में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही भी सामने आ रही है.

समय कम चुनौतियां ज्यादा: चारधाम यात्रा के लिए एक से डेढ़ माह का समय बचा हुआ है. ​दीपावली से चारधामों के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. ऐसे में सरकार और यात्रा से जुड़े लोगों के पास समय कम है. चुनावी साल में राज्य सरकार के लिए कम समय में भी यात्रा को सुचारू रुप से चलाना बड़ी चुनौती है. पहले देवस्थानम बोर्ड का विरोध और अब यात्रियों के लिए बनाए गए नियम राज्य सरकार के लिए मुसीबतें बढ़ा रहे हैं. अगर सरकार ने समय रहते ये सारी समस्याएं नहीं सुलझाई तो आने वाले समय में सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ती जाएंगी.

कांग्रेस ने उठाए सवाल: चारधाम यात्रा के लिए तय किए गए सीमित संख्या को बढ़ाए जाने के लिए कांग्रेस सहित सत्ता पक्ष के भी नेता यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाए जाने की पैरवी कर रहे थे. भाजपा नेता अजेंद्र अजय इस बाबत मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं. वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट का कहना है कि राज्य सरकार जानबूझकर सीमित संख्या को बढ़ाना नहीं चाहती है. क्योंकि चारधाम की व्यवस्थाएं मुकम्मल नहीं है, जिसके चलते राज्य सरकार नहीं चाहती कि श्रद्धालु बढ़-चढ़कर चारधाम की यात्रा पर आएं.

क्यों हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा में किया हस्तक्षेप: वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा कि चारधाम यात्रा में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप करने की मुख्य वजह महाकुंभ में हुआ कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़ा है. क्योंकि महाकुंभ के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार को रोजाना 50 हजार टेस्ट के निर्देश दिए थे. लेकिन टेस्ट तो नहीं हुए, उल्टे बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया. जय सिंह रावत के मुताबिक शासन में बैठे अधिकारी जब अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं तो हाईकोर्ट आगे आकर चारधाम यात्रा को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने की बात कह रहा है.

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सोमवार को हो सकती है सुनवाई.

यही वजह है कि हाईकोर्ट ने सीमित संख्या में ही चारधाम यात्रा को संचालित करने की बात कही. जिसके चलते अब उत्तराखंड सरकार तक सीमित संख्या को बढ़ाने के लिए एक बार फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रही है.

पढ़ें- समय कम और चुनौतियां ज्यादा, क्यों HC जाने में देर कर रही धामी सरकार, जानें पूरा मामला

समय कम चुनौतियां ज्यादा: चारधाम यात्रा के लिए एक से डेढ़ माह का समय बचा हुआ है. ​दीपावली से चारधामों के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. ऐसे में सरकार और यात्रा से जुड़े लोगों के पास समय कम है. चुनावी साल में राज्य सरकार के लिए कम समय में भी यात्रा को सुचारू रुप से चलाना बड़ी चुनौती है. पहले देवस्थानम बोर्ड का विरोध और अब यात्रियों के लिए बनाए गए नियम राज्य सरकार के लिए मुसीबतें बढ़ा रहे हैं. अगर सरकार ने समय रहते ये सारी समस्याएं नहीं सुलझाई तो आने वाले समय में सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ती जाएंगी.

28 सितंबर को चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या

बदरीनाथ675
केदारनाथ602
यमुनोत्री400
गंगोत्री417
कुल संख्या2094

खुल चुके हैं चारों धामों के कपाट: गौर हो, 14 मई को यमुनोत्री धाम, 15 मई को गंगोत्री धाम, 17 मई को केदारनाथ धाम और 18 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए थे. लेकिन कोरोना की वजह से चारधाम की यात्रा संचालित नहीं हो पाई थी. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार पहले की तरह चरणबद्ध तरीके से ही यात्रा को शुरू हो करती है या फिर समय कम होने की वजह से पिछली बार की तरह गाइडलाइनों में कुछ बदलाव करती है, क्योंकि चारधाम यात्रा अब मुश्किल से डेढ़ महीने ही चल पाएगी. दीपावली से पहले चारधामों के कपाट बंद हो जाएंगे.

देहरादून: चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने को लेकर धामी सरकार ने आज नैनीताल हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया है. सरकार चारधाम यात्रा में यात्रियों की संख्या बढ़ाने के लिए कोर्ट से अनुमति मांगी है. मामले में सोमवार या बुधवार को सुनवाई हो सकती है.

गौरतलब है हाईकोर्ट की अनुमति के बाद 18 सितंबर से प्रदेश में चारधाम यात्रा सीमित श्रद्धालुओं के साथ शुरू कर दी गई है. लेकिन इसके बावजूद धामों में दोपहर बाद श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखी जा रही है. वहीं, कोरोना के गिरते ग्राफ को देखते हुए सरकार चारधाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की संख्या को बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया है.

क्यों हाईकोर्ट जा रही सरकार: उत्तराखंड में 18 सितंबर से चारधाम यात्रा शुरू हो गई है. यात्रा शुरू होने के बाद देश भर के श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर पंजीकरण कराया. लेकिन, हकीकत यह है कि फिलहाल पंजीकृत श्रद्धालुओं में करीब 50 फीसदी ही दर्शन-पूजन को धाम पहुंच रहे हैं. ऐसे में दोपहर बाद धाम वीरान हो जा रहे हैं. जिसकी वजह से राज्य सरकार चिंतित है. ऐसे में धामी सरकार चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट जा रही है.

कड़े नियम राह में रोड़ा: नैनीताल हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा को लेकर सशर्त अनुमति दी थी. लिहाजा सरकार के कड़े नियमों के तहत चारधाम पर आने वाले श्रद्धालुओं को रजिस्ट्रेशन सहित दूसरी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ रहा है. जिसमें देहरादून स्मार्ट सिटी पोर्टल और चारधाम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना भी शामिल है.

dhami-government
श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने को लेकर HC पहुंची धामी सरकार.

ये भी पढ़ें: बिना ई-पास केदारनाथ जाने की जिद पर अड़े यात्री, 2 अक्टूबर से व्यापारियों का धरना

सीमित संख्या से भी परेशानी: हाईकोर्ट ने केदारनाथ धाम में प्रतिदिन 800, बदरीनाथ में 1000, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 यात्रियों की दर्शन की अनुमति दी है. यात्रियों के रुझान के चलते रोजाना तय की गई संख्या के सापेक्ष 15 अक्टूबर तक की बुकिंग पहले ही हो चुकी है. ऐसे में चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की बुकिंग की डेट अभी नहीं मिल रही है. जिसके चलते श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ तमाम श्रद्धालु चारधाम की यात्रा पर आने के लिए जल्द से जल्द बुकिंग का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, तमाम श्रद्धालु ऐसे भी हैं, जो रजिस्ट्रेशन कराने के बावजूद दर्शन करने नहीं पहुंच रहे हैं.

कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि वर्ष में एक बार होने वाली चारधाम यात्रा जो अक्टूबर में समाप्त हो जाती है। इसमें उस मार्ग में काम करने वाले व्यापारी स्थानीय लोग यात्रा बन्द होने से बेरोजगारी हो जाते हैं जिससे कि उन लोगो पर रोजी रोटी खतरा और अधिक बढ़ जाता है।

लापरवाही ने बढ़ाई मुश्किलें: प्रदेश में चारधाम यात्रा शुरू हुए महज 10 दिन ही हुए थे कि सीएम धामी ने यात्रियों की संख्या बढ़ाने जाने को लेकर हाईकोर्ट जाने का बयान देकर सबको चौंका दिया. इस पूरे मामले में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही भी सामने आ रही है.

समय कम चुनौतियां ज्यादा: चारधाम यात्रा के लिए एक से डेढ़ माह का समय बचा हुआ है. ​दीपावली से चारधामों के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. ऐसे में सरकार और यात्रा से जुड़े लोगों के पास समय कम है. चुनावी साल में राज्य सरकार के लिए कम समय में भी यात्रा को सुचारू रुप से चलाना बड़ी चुनौती है. पहले देवस्थानम बोर्ड का विरोध और अब यात्रियों के लिए बनाए गए नियम राज्य सरकार के लिए मुसीबतें बढ़ा रहे हैं. अगर सरकार ने समय रहते ये सारी समस्याएं नहीं सुलझाई तो आने वाले समय में सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ती जाएंगी.

कांग्रेस ने उठाए सवाल: चारधाम यात्रा के लिए तय किए गए सीमित संख्या को बढ़ाए जाने के लिए कांग्रेस सहित सत्ता पक्ष के भी नेता यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाए जाने की पैरवी कर रहे थे. भाजपा नेता अजेंद्र अजय इस बाबत मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं. वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट का कहना है कि राज्य सरकार जानबूझकर सीमित संख्या को बढ़ाना नहीं चाहती है. क्योंकि चारधाम की व्यवस्थाएं मुकम्मल नहीं है, जिसके चलते राज्य सरकार नहीं चाहती कि श्रद्धालु बढ़-चढ़कर चारधाम की यात्रा पर आएं.

क्यों हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा में किया हस्तक्षेप: वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा कि चारधाम यात्रा में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप करने की मुख्य वजह महाकुंभ में हुआ कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़ा है. क्योंकि महाकुंभ के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार को रोजाना 50 हजार टेस्ट के निर्देश दिए थे. लेकिन टेस्ट तो नहीं हुए, उल्टे बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया. जय सिंह रावत के मुताबिक शासन में बैठे अधिकारी जब अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं तो हाईकोर्ट आगे आकर चारधाम यात्रा को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने की बात कह रहा है.

dhami-government
सोमवार को हो सकती है सुनवाई.

यही वजह है कि हाईकोर्ट ने सीमित संख्या में ही चारधाम यात्रा को संचालित करने की बात कही. जिसके चलते अब उत्तराखंड सरकार तक सीमित संख्या को बढ़ाने के लिए एक बार फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रही है.

पढ़ें- समय कम और चुनौतियां ज्यादा, क्यों HC जाने में देर कर रही धामी सरकार, जानें पूरा मामला

समय कम चुनौतियां ज्यादा: चारधाम यात्रा के लिए एक से डेढ़ माह का समय बचा हुआ है. ​दीपावली से चारधामों के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. ऐसे में सरकार और यात्रा से जुड़े लोगों के पास समय कम है. चुनावी साल में राज्य सरकार के लिए कम समय में भी यात्रा को सुचारू रुप से चलाना बड़ी चुनौती है. पहले देवस्थानम बोर्ड का विरोध और अब यात्रियों के लिए बनाए गए नियम राज्य सरकार के लिए मुसीबतें बढ़ा रहे हैं. अगर सरकार ने समय रहते ये सारी समस्याएं नहीं सुलझाई तो आने वाले समय में सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ती जाएंगी.

28 सितंबर को चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या

बदरीनाथ675
केदारनाथ602
यमुनोत्री400
गंगोत्री417
कुल संख्या2094

खुल चुके हैं चारों धामों के कपाट: गौर हो, 14 मई को यमुनोत्री धाम, 15 मई को गंगोत्री धाम, 17 मई को केदारनाथ धाम और 18 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए थे. लेकिन कोरोना की वजह से चारधाम की यात्रा संचालित नहीं हो पाई थी. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार पहले की तरह चरणबद्ध तरीके से ही यात्रा को शुरू हो करती है या फिर समय कम होने की वजह से पिछली बार की तरह गाइडलाइनों में कुछ बदलाव करती है, क्योंकि चारधाम यात्रा अब मुश्किल से डेढ़ महीने ही चल पाएगी. दीपावली से पहले चारधामों के कपाट बंद हो जाएंगे.

Last Updated : Oct 1, 2021, 6:22 AM IST
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