देहरादून: बदरीनाथ व केदारनाथ जाने के लिए विधायक अमनमणि त्रिपाठी को जारी गए गए पास का मामला गर्माता जा रहा है. अब मामले में उत्तराखंड पुलिस ने बताया है कि अमनमणि ने फर्जी तथ्यों के आधार पर पास बनवाया था. वहीं मामले में पुलिस को गुमराह करने और धोखे से बदरीनाथ व केदारनाथ जाने के मामले में विधायक समेत 12 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
पुलिस प्रशासन को गुमराह कर धोखे से बदरीनाथ व केदारनाथ जाने के मामले में यूपी विधायक अमनमणि त्रिपाठी सहित 12 लोगों पर मुकदमा दर्ज होने के बाद, पुलिस ने इस मामले में नया खुलासा किया है. पूरे मामले की जांच पड़ताल में पता चला कि अमनमणि त्रिपाठी ने फर्जी तथ्यों व जानकारी के आधार पर बदरीनाथ जाने के लिए विशेष पास उत्तराखंड शासन को गुमराह कर बनवाया था. पुलिस के मुताबिक अमनमणि ने पास में बताया कि वह सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता के श्राद्ध कार्यक्रम में बदरीनाथ जा रहे हैं, जबकि ऐसा कुछ कार्यक्रम था ही नहीं. इतना ही नहीं लॉकडाउन के चलते बदरीनाथ के कपाट तो फिलहाल खुले ही नहीं हैं.
धोखे से केदारनाथ धाम जाने की फिराक में था अमनमणि त्रिपाठी
वहीं, दूसरी तरफ आरोप यह भी हैं कि विधायक अमनमणि त्रिपाठी अपने 12 लोगों के साथ लॉकडाउन के सभी नियमों का उल्लंघन कर, फर्जी आधार पर बने पास के सहारे केदारनाथ धाम में जाने की फिराक में था. हालांकि, रुद्रप्रयाग में पुलिस और जिला प्रशासन की टीम द्वारा उनको आगे जाने से रोकते हुए पास के मुताबिक बदरीनाथ मार्ग की ओर रवाना किया.
अमनमणि त्रिपाठी ने लॉकडाउन के सभी नियम तोड़े: पुलिस
वहीं, इस मामले में राज्य में अपराध व कानून व्यवस्था की कमान संभालने वाले पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि अमनमणि त्रिपाठी का पास गलत तथ्यों और जानकारियों के आधार पर बनाया गया था. ऐसे में पुलिस और प्रशासन की मुस्तैदी के चलते ही उनको गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की गई है. डीजी के मुताबिक अमनमणि त्रिपाठी 3 गाड़ियों में नियम मुताबिक 9 लोगों की जगह 12 लोगों के साथ नियमों को तोड़कर आवागमन कर रहे थे. पुलिस फिलहाल सभी तरह की जानकारी जुटाकर आगे की जांच पड़ताल में जुटी है.
फर्जी तथ्यों पर पास बनाने को लेकर शासन के अधिकारियों पर भी उठे सवाल
बहरहाल, अमनमणि त्रिपाठी का फर्जी तथ्यों पर पास उत्तराखंड शासन द्वारा कैसे बना यह भी अपने आप में हैरानी का विषय है. जब बदरीनाथ के कपाट बंद है और सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता का फिलहाल कोई श्राद्ध कार्यक्रम वहां नहीं था तो बिना जानकारी को पुख्ता किये उत्तराखंड सचिवालय में आला अधिकारियों द्वारा इसकी अनुमति कैसे दी गई ? उधर इस मामले में पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारी हैरान जरूर हैं, लेकिन इस विषय पर किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया देने को राजी नहीं है.