देहरादून: 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 19 सीटों पर ही सिमट गई. इस चुनाव में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा है. विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद कांग्रेस में भी समीक्षा बैठकों का दौर शुरू हो गया है. इसी कड़ी में आज कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में हार के कारणों को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित की गई है.
आज कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और पर्यवेक्षक अविनाश पांडे कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे. कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में पिथौरागढ़, बागेश्वर और चंपावत जिलों के सभी विधायक, प्रत्याशी 2022 और वरिष्ठ नेताओं के साथ समीक्षा बैठक हो रही है. इस बैठक में हार के कारणों पर मंथन किया जा रहा है. इसके अलावा आज शाम को अल्मोड़ा और नैनीताल जिलों के सभी विधायक प्रत्याशी 2022 और वरिष्ठ नेताओं के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की जाएगी.
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इसके साथ ही उधम सिंह नगर, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी जिलों की चरणबद्ध तरीके से समीक्षा बैठक की जाएगी. आज ही के दिन टिहरी और उत्तरकाशी जिले के सभी विधायक और 2022 के विधानसभा चुनाव प्रत्याशियों के साथ भी बैठकों का दौर चलेगा. प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने बैठक से पूर्व कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. कांग्रेस भवन में आयोजित की जा रही बैठक में लोहाघाट विधानसभा सीट से नव निर्वाचित विधायक खुशाल सिंह, हल्द्वानी विधानसभा सीट से विधायक सुमित हृदयेश, विधायक हरीश धामी आदि मौजूद रहेंगे.
खुलकर बोले हरीश धामी: 2022 विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और पर्यवेक्षक अविनाश पांडे के समक्ष अपनी बात रख रहे हैं. इस दौरान धारचूला से विधायक हरीश धामी भी प्रदेश कार्यालय पहुंचे. मीडिया ने उनसे नेता प्रतिपक्ष के दावे को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा नेता प्रतिपक्ष के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है, लेकिन यह तो पार्टी आलाकमान को ही तय करना है.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की हार पर हरीश धामी ने कहा निश्चित तौर पर हरीश रावत ने पहले भी इस बात को कहा था कि मैं बालिका वधू हूं, जब वह नामांकन के लिए रामनगर जा रहे थे तो रास्ते से लालकुआं भेज दिया गया इससे प्रतीत होता है कि कहीं ना कहीं यह भी उनकी हार का कारण रहा. यह हरीश रावत की हार नहीं बल्कि उत्तराखंडियत की सोच रखने वाले लोगों को निराश करने का काम किया गया.
कार्यकारी अध्यक्ष भी इस्तीफा दें: उन्होंने कहा अभी तो हार की समीक्षा हो रही है. जिस तरह से नैतिकता के आधार पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने इस्तीफा दिया है, उसी प्रकार जिनको उत्तराखंड के लीडरशिप दी गई थी उन सब को भी इस्तीफा दे देना चाहिए. यदि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष इस्तीफा नहीं देते हैं तो ऐसे में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पहल करके सभी कार्यकारी अध्यक्षों से इस्तीफा ले लेना चाहिए. हार की नैतिकता सिर्फ गणेश गोदियाल की नहीं है.