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गजब! देवस्थानम बोर्ड को CM का नाम नहीं पता, नए CS की जानकारी तक नहीं

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों को सीएम पुष्कर सिंह धामी का नाम नहीं पता है और न ही उन्हें वर्तमान मुख्य सचिव की कोई जानकारी है. ये हम नहीं कर रहे है, बल्कि देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट कह रही है.

देवस्थानम बोर्ड
देवस्थानम बोर्ड
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Published : Aug 28, 2021, 7:43 PM IST

Updated : Aug 28, 2021, 8:58 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में अधिकारी कितने लापरवाह है, इसका एक उदाहरण उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर देखने को मिल सकता है. मुख्यमंत्री बदलने के बाद अधिकारियों ने देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर फोटो तो नए सीएम पुष्कर सिंह धामी की लगा दी, लेकिन फोटो ने नीचे नाम त्रिवेंद्र सिंह रावत ही लिखा है. जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद तीरथ सिंह रावत भी सीएम बन चुके हैं और उसके बाद ही पुष्कर सिंह धामी सीएम बने.

इनता ही नहीं देवस्थानम बोर्ड ने एक और लापरवाही कर रखी है. बोर्ड की वेबसाइड पर अभीतक मुख्य सचिव का नाम ओम प्रकाश की चल रहा है और उन्हीं की फोटो लगी हुई है. जबकि ओम प्रकाश को मुख्य सचिव के पद से हटे हुए कई महीने हो चुके है. वर्तमान में प्रदेश के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, 8 विधेयक पास

देवस्थानम बोर्ड ने एक और बड़ी गलती कर रखी है. पूर्व गंगोत्री विधायक गोपाल रावत को बोर्ड का सदस्य नामित किया गया है. जिनका निधन हो चुका है, लेकिन आज भी उनका नाम बोर्ड का सदस्य पर चल रहा है. देवस्थानम बोर्ड ने इसे भी अपटेड करने की जहमत नहीं उठाई. ऐेसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि देवस्थानम बोर्ड के कर्मचारी कितने लापरवाह हैं.

बता दें कि देवस्थानम बोर्ड का चेयरमैन मुख्यमंत्री ही होता है. तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बोर्ड के पहले चेयरमैन थे. इसके बाद तीरथ सिंह रावत प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे और अब पुष्कर सिंह धामी प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों ने बेवसाइट पर फोटो तो नए मुख्यमंत्री की लगा दी, लेकिन नाम बदलना भूल गए. लेकिन, लापरवाह अधिकारियों ने मुख्य सचिव का न तो फोटो बदला और न ही नाम.

देवस्थानम बोर्ड: साल 2017 में बीजेपी सत्ता में आई. इसके बाद वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी बोर्ड की तर्ज पर यहां भी चारधाम के लिए बोर्ड बनाने की कसरत हुई. चारधाम समेत प्रदेश के 51 मंदिरों को एक बोर्ड के अधीन लाने को लेकर साल 2019 में प्रस्ताव तैयार किया गया था. 27 नवंबर 2019 को सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में जम्मू-कश्मीर में बने श्राइन एक्ट की तर्ज पर उत्तराखंड चारधाम बोर्ड विधेयक-2019 को मंजूरी दी गयी.

इस विधेयक को 5 दिसंबर 2019 में हुए सत्र के दौरान सदन के भीतर पारित कर दिया गया. इसके बाद 14 जनवरी 2020 को देवस्थानम विधेयक राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद एक्ट के रूप में प्रभावी हो गया. 24 फरवरी 2020 को चारधाम देवस्थानम बोर्ड का सीईओ नियुक्त किया गया था. बोर्ड के सीईओ पद पर मंडलायुक्त रविनाथ रमन को जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है.

बोर्ड में कौन होगा शामिल: बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हैं. संस्कृति मामलों के मंत्री बोर्ड के उपाध्यक्ष रहेंगे. जबकि मुख्य सचिव, सचिव पर्यटन, सचिव वित्त व संस्कृति विभाग भारत सरकार के संयुक्त सचिव स्तर तक के अधिकारी पदेन सदस्य होंगे. इसके अलावा टिहरी रियासत के राजपरिवार के एक सदस्य, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले तीन सांसद, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले छह विधायक, राज्य सरकार द्वारा चार दानदाता, हिंदू धर्म के धार्मिक मामलों का अनुभव रखने वाले व्यक्ति, पुजारियों, वंशानुगत पुजारियों के तीन प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे.

देहरादून: उत्तराखंड में अधिकारी कितने लापरवाह है, इसका एक उदाहरण उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर देखने को मिल सकता है. मुख्यमंत्री बदलने के बाद अधिकारियों ने देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर फोटो तो नए सीएम पुष्कर सिंह धामी की लगा दी, लेकिन फोटो ने नीचे नाम त्रिवेंद्र सिंह रावत ही लिखा है. जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद तीरथ सिंह रावत भी सीएम बन चुके हैं और उसके बाद ही पुष्कर सिंह धामी सीएम बने.

इनता ही नहीं देवस्थानम बोर्ड ने एक और लापरवाही कर रखी है. बोर्ड की वेबसाइड पर अभीतक मुख्य सचिव का नाम ओम प्रकाश की चल रहा है और उन्हीं की फोटो लगी हुई है. जबकि ओम प्रकाश को मुख्य सचिव के पद से हटे हुए कई महीने हो चुके है. वर्तमान में प्रदेश के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, 8 विधेयक पास

देवस्थानम बोर्ड ने एक और बड़ी गलती कर रखी है. पूर्व गंगोत्री विधायक गोपाल रावत को बोर्ड का सदस्य नामित किया गया है. जिनका निधन हो चुका है, लेकिन आज भी उनका नाम बोर्ड का सदस्य पर चल रहा है. देवस्थानम बोर्ड ने इसे भी अपटेड करने की जहमत नहीं उठाई. ऐेसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि देवस्थानम बोर्ड के कर्मचारी कितने लापरवाह हैं.

बता दें कि देवस्थानम बोर्ड का चेयरमैन मुख्यमंत्री ही होता है. तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बोर्ड के पहले चेयरमैन थे. इसके बाद तीरथ सिंह रावत प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे और अब पुष्कर सिंह धामी प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों ने बेवसाइट पर फोटो तो नए मुख्यमंत्री की लगा दी, लेकिन नाम बदलना भूल गए. लेकिन, लापरवाह अधिकारियों ने मुख्य सचिव का न तो फोटो बदला और न ही नाम.

देवस्थानम बोर्ड: साल 2017 में बीजेपी सत्ता में आई. इसके बाद वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी बोर्ड की तर्ज पर यहां भी चारधाम के लिए बोर्ड बनाने की कसरत हुई. चारधाम समेत प्रदेश के 51 मंदिरों को एक बोर्ड के अधीन लाने को लेकर साल 2019 में प्रस्ताव तैयार किया गया था. 27 नवंबर 2019 को सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में जम्मू-कश्मीर में बने श्राइन एक्ट की तर्ज पर उत्तराखंड चारधाम बोर्ड विधेयक-2019 को मंजूरी दी गयी.

इस विधेयक को 5 दिसंबर 2019 में हुए सत्र के दौरान सदन के भीतर पारित कर दिया गया. इसके बाद 14 जनवरी 2020 को देवस्थानम विधेयक राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद एक्ट के रूप में प्रभावी हो गया. 24 फरवरी 2020 को चारधाम देवस्थानम बोर्ड का सीईओ नियुक्त किया गया था. बोर्ड के सीईओ पद पर मंडलायुक्त रविनाथ रमन को जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है.

बोर्ड में कौन होगा शामिल: बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हैं. संस्कृति मामलों के मंत्री बोर्ड के उपाध्यक्ष रहेंगे. जबकि मुख्य सचिव, सचिव पर्यटन, सचिव वित्त व संस्कृति विभाग भारत सरकार के संयुक्त सचिव स्तर तक के अधिकारी पदेन सदस्य होंगे. इसके अलावा टिहरी रियासत के राजपरिवार के एक सदस्य, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले तीन सांसद, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले छह विधायक, राज्य सरकार द्वारा चार दानदाता, हिंदू धर्म के धार्मिक मामलों का अनुभव रखने वाले व्यक्ति, पुजारियों, वंशानुगत पुजारियों के तीन प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे.

Last Updated : Aug 28, 2021, 8:58 PM IST
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