देहरादूनः प्रदेश सरकार 'टेक होम राशन स्कीम' का कामकाम निजी हाथों में सौंपने जा रही है. ऐसे में प्रदेश की स्वयं सहायता से जुड़ी करीब 40 हजार महिलाओं के बेरोजगार होने का खतरा मंडरा रहा है. इतना ही नहीं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं सरकार के खिलाफ सड़कों पर हैं. जबकि, महिला कांग्रेस ने भी इसका विरोध किया है. देहरादून में भी महिलाओं ने टेक होम राशन का ई-टेंडर निरस्त किए जाने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया. साथ ही बीजेपी सरकार का पुतला दहन कर नारेबाजी की.
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. प्रतिमा सिंह ने कहा कि टेक होम राशन का ई-टेंडर जल्द निरस्त किया जाए. जिससे स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का रोजगार प्रभावित न हो. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार महिला समूह की अनदेखी कर टेक होम राशन को ई-टेंडर के माध्यम से जारी करवा रही है, जो कि इन संस्थाओं से जुड़ी महिलाओं का अपमान है.
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वहीं, प्रदर्शन में शामिल नगर कांग्रेस अध्यक्ष कमलेश रमन का कहना है कि एक तरफ सरकार स्वरोजगार को बढ़ावा देने की बात कर रही है, तो दूसरी तरफ ठेका प्रथा को बढ़ावा देकर महिलाओं से उनकी रोजी-रोटी के साधन छीनने का प्रयास कर रही है. उन्होंने बताया कि टेक होम राशन की व्यवस्था महिला समूह के माध्यम से 2014 से सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है. इस कार्य से महिला समूह से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं.
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वहीं, महिलाओं ने विभिन्न माध्यमों से राशन व इसकी पैकिंग का सामान खरीद कर अपने घरों पर रखा हुआ है. ऐसे में टेक होम राशन की व्यवस्था को ठेके पर दिए जाने से न सिर्फ महिलाओं का रोजगार छिन जाएगा, बल्कि उनके ऊपर कर्ज का बोझ भी बढ़ जाएगा. महिला कांग्रेस ने सरकार से तत्काल ई-टेंडर निरस्त किए जाने की मांग की है. उनका कहना है कि कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य एक महिला होकर महिलाओं का उत्पीड़न कर रही हैं और उनकी रोजी-रोटी के साधन छीनने का प्रयास कर रही हैं.
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क्या है टेक होम राशन योजना: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में 2014 में टेक होम राशन के नाम से एक योजना शुरू की गई थी. इस योजना को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से संचालित किया जाता है. टेक होम राशन योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों से नवजात शिशुओं, कन्या और अन्य कई योजनाओं के तहत पात्रों को राशन का वितरण किया जाता है.
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इस राशन की सप्लाई विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कराई जाती है. इस व्यवस्था के तहत स्वयं सहायता समूहों की जुड़ी महिलाएं राशन की खरीद बाजार से करती हैं और इसकी पैकिंग के लिए बैग, लिफाफे आदि समूह में काम करने वाली महिलाएं खुद से तैयार कर लेती हैं. उन्हें इस काम के बदले विभाग से भुगतान कर दिया जाता है. बताया जा रहा है कि इस योजना से राज्य में करीब 40 हजार महिलाएं जुड़ी हुई हैं.
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क्या है विवाद का कारण? दरअसल बीते 8 अप्रैल को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग ने एक विज्ञापन जारी करके टेक होम राशन के लिए ई-निविदा मांगी थी. दावा है कि यह टेंडर करीब साढ़े पांच सौ करोड़ रुपए का है. यह काम निजी हाथों में जाता है, तो स्वयं सहायता समूहों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी ऋषिकेश की महिलाएं भी इस बदलाव के लिए विरोध में हैं.
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इतना ही नहीं मामले को लेकर गीता मौर्य और श्यामा देवी ने तीलू रौतेली पुरस्कार तक वापस कर दिया था. बता दें कि महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कुछ नया करने वाली महिलाओं को उत्तराखंड सरकार हर साल तीलू रौतेली अवॉर्ड देती है. इस साल 22 महिलाओं को तीलू रौतेली अवॉर्ड दिया गया है.