देहरादून: उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों के भीतर कई भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के मामले सामने आए हैं. जिसके बाद अब उत्तराखंड राज्य सरकार ने नकल विहीन परीक्षा के साथ ही कठोर कानून बनाए जाने की बात कही है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भर्ती परीक्षाओं में तेजी लाए जाने के साथ ही शासन स्तर पर हर 15 दिन में समीक्षा बैठक करने के निर्देश दिए हैं.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को निर्देश दिए हैं कि भर्ती परीक्षाओं में तेजी लाने के लिए शासन स्तर पर प्रत्येक 15 दिन में समीक्षा बैठक की जाए. सभी विभागों से रिक्त पदों का पूरा ब्यौरा लेकर जल्द से जल्द अधियाचन के लिए भेजे जाएं. जहां पर तदर्थ और आउटसोर्सिंग आदि के माध्यम से नियुक्तियां होनी हैं, उनमें भर्ती प्रक्रिया में भी तेजी लायी जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा राज्य के युवाओं को रोजगार के पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सभी भर्ती प्रक्रियाएं पूर्ण पारदर्शिता के साथ सुनिश्चित की जाएं.
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मुख्यमंत्री ने कहा है कि भर्ती प्रक्रियाओं में अगर कोई भी गड़बड़ी के प्रयास करे, तो उन्हें सख्त से सख्त सजा दिलाई जाए. साल 2025 तक उत्तराखंड को ड्रग्स फ्री राज्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए विभिन्न विभागों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी लगातार समीक्षा की जाए. अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को ड्रग्स फ्री उत्तराखंड बनाने के लिए 15 दिनों में संबंधित विभागों के साथ बैठक करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए हैं.
यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामला: यूकेएसएसएससी ने 4 और 5 दिसंबर 2021 को स्नातक स्तर की परीक्षा तीन पालियों में आयोजित की थी. इसमें करीब 1 लाख 60 हजार अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी. जिस परीक्षा में 916 अभ्यर्थी चयनित हुए थे. लेकिन बेरोजगार संगठनों और कई छात्रों ने मुख्यमंत्री से मिलकर इन परीक्षाओं में हुई अनियमितताओं की जांच की मांग की थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर 22 जुलाई को मुकदमा दर्ज किया गया.
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VPDO परीक्षा में गड़बड़ी: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (VPDO) चयन परीक्षा करवाई. यह परीक्षा प्रदेश के सभी 13 जिलों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई. इस परीक्षा में कुल 87,196 परीक्षार्थियों ने परीक्षा में भाग लिया. वहीं, 30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था. इस भर्ती में धांधली के खिलाफ लगातार उठ रहे सवालों के बाद अगस्त महीने में मुख्यमंत्री के आदेश पर यह जांच एसटीएफ को सौंपी गई.