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प्राइवेट और सरकारी स्कूलों पर बाल संरक्षण आयोग की सीधी नजर, बच्चों के अधिकारों का नहीं होगा हनन - शिक्षा विभाग की गाइडलाइनों का पालन

प्रदेश के तमाम सरकारी और निजी स्कूलों पर अब सीधी बाल संरक्षण आयोग की नजर रहेगी. इसके लिए बाल संरक्षण आयोग ने प्लान भी तैयार किया है. बाल संरक्षण आयोग ने स्कूलों में शिक्षा के स्तर और व्यवस्थाओं को बेहतर करने के उद्देश्य से ये कदम उठाया है.

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Published : Jul 20, 2022, 5:51 PM IST

Updated : Jul 20, 2022, 6:15 PM IST

देहरादून: प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट विद्यालयों में शिक्षा का स्तर और व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए स्कूलों को शिक्षा विभाग की गाइडलाइनों का पालन करना होता है, लेकिन कुछ स्कूल इसका पालन नहीं करते हैं. सरकारी स्कूलों में ये तो आम बात है. वहीं, प्राइवेट स्कूल अपनी मनमानी पर उतार जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. क्योंकि इन पर नजर रखने के लिए बाल संरक्षण आयोग ने योजना तैयारी की है.

सितंबर से बाल संरक्षण आयोग इस योजना पर क्रियान्वयन शुरू कर देगा, जिससे कि उत्तराखंड के स्कूलों में छात्र-छात्राओं को मिलने वाली विभिन्न सुविधाओं और सरकारी योजना की जानकारी आयोग को मिल सकेगी. इसके साथ ही यह भी जानकारी आसानी से उपलब्ध हो पाएगी कि किसी छात्र-छात्रा के अधिकारियों का हनन तो नहीं हो रहा है. यदि कोई बात सामने आई तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

स्कूलों पर बाल संरक्षण आयोग की सीधी नजर
पढ़ें-
हद है! धूप में घंटों स्कूल के गेट के बाहर खड़े बच्चे, टीचरों का अता-पता नहीं

बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने बताया कि अब शिक्षा विभाग के साथ बाल संरक्षण आयोग की भी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों की गतिविधियों पर सीधी नजर रहेगी. शिक्षा विभाग को इसके लिए आयोग की ओर से पत्र प्रेषित किया गया है.

खन्ना ने कहा कि कई प्राइवेट स्कूल में यह शिकायत आती है कि शिक्षा के अधिकार के अधिनियम (RTE) के तहत पात्र बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जाता, जिसके लिए आयोग की ओर से सभी स्कूलों को पत्र लिखा गया है. पत्र में स्कूलों को निर्देश दिए गए है कि RTE के तहत होने वाले प्रवेश छात्र-छात्राओं के नाम की सूची स्कूल के डैशबोर्ड सहित स्कूल के गेट पर लगाई जाए.

इसके साथ ही छात्र-छात्राओं की संख्या भी अलग-अलग लिखें. सितंबर तक इसके लिए स्कूलों को समय दिया गया है और अगर कोई स्कूल निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो उस स्कूल पर शिक्षा विभाग के साथ मिलकर दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी.
पढ़ें- उत्तराखंड में उफनते नाले में तिनके की तरह बह गई स्कूल बस, देखें खौफनाक वीडियो

वहीं बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों को भी दो दो जिले आवंटित किए गए हैं, जो कि बाल अधिकारों के संरक्षण पर पैनी नजर रखेंगे. आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने बताया कि इसके साथ ही शिक्षा विभाग के माध्यम से सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को एक ऑडिट प्रफॉर्मा भेजा गया है, जिसमें सभी विद्यालय आयोग को समय-समय पर रिपोर्ट देंगे कि छात्र-छात्राओ को स्कूलों में क्या क्या सुविधाएं दी जा रही हैं.

इसके साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत छात्रों के हुनर को तराशने के लिए क्या-क्या कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. छात्राओ के लिए टायलेट सहित अन्य सुविधाएं स्कूल प्रदान कर रहा है या नहीं. खन्ना ने बताया कि यह सरकारी और गैर सरकारी दोनों प्रकार के स्कूलों पर लागू होगा. इन सभी जानकारियों को सरकार के समक्ष रखा जाएगा. इससे जहां हर स्कूल का डाटा उपलब्ध होगा, तो वहीं जहां पर सुविधाओं की कमी होगी, वहां पर सरकार के माध्यम से सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी.

देहरादून: प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट विद्यालयों में शिक्षा का स्तर और व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए स्कूलों को शिक्षा विभाग की गाइडलाइनों का पालन करना होता है, लेकिन कुछ स्कूल इसका पालन नहीं करते हैं. सरकारी स्कूलों में ये तो आम बात है. वहीं, प्राइवेट स्कूल अपनी मनमानी पर उतार जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. क्योंकि इन पर नजर रखने के लिए बाल संरक्षण आयोग ने योजना तैयारी की है.

सितंबर से बाल संरक्षण आयोग इस योजना पर क्रियान्वयन शुरू कर देगा, जिससे कि उत्तराखंड के स्कूलों में छात्र-छात्राओं को मिलने वाली विभिन्न सुविधाओं और सरकारी योजना की जानकारी आयोग को मिल सकेगी. इसके साथ ही यह भी जानकारी आसानी से उपलब्ध हो पाएगी कि किसी छात्र-छात्रा के अधिकारियों का हनन तो नहीं हो रहा है. यदि कोई बात सामने आई तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

स्कूलों पर बाल संरक्षण आयोग की सीधी नजर
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बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने बताया कि अब शिक्षा विभाग के साथ बाल संरक्षण आयोग की भी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों की गतिविधियों पर सीधी नजर रहेगी. शिक्षा विभाग को इसके लिए आयोग की ओर से पत्र प्रेषित किया गया है.

खन्ना ने कहा कि कई प्राइवेट स्कूल में यह शिकायत आती है कि शिक्षा के अधिकार के अधिनियम (RTE) के तहत पात्र बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जाता, जिसके लिए आयोग की ओर से सभी स्कूलों को पत्र लिखा गया है. पत्र में स्कूलों को निर्देश दिए गए है कि RTE के तहत होने वाले प्रवेश छात्र-छात्राओं के नाम की सूची स्कूल के डैशबोर्ड सहित स्कूल के गेट पर लगाई जाए.

इसके साथ ही छात्र-छात्राओं की संख्या भी अलग-अलग लिखें. सितंबर तक इसके लिए स्कूलों को समय दिया गया है और अगर कोई स्कूल निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो उस स्कूल पर शिक्षा विभाग के साथ मिलकर दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी.
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वहीं बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों को भी दो दो जिले आवंटित किए गए हैं, जो कि बाल अधिकारों के संरक्षण पर पैनी नजर रखेंगे. आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने बताया कि इसके साथ ही शिक्षा विभाग के माध्यम से सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को एक ऑडिट प्रफॉर्मा भेजा गया है, जिसमें सभी विद्यालय आयोग को समय-समय पर रिपोर्ट देंगे कि छात्र-छात्राओ को स्कूलों में क्या क्या सुविधाएं दी जा रही हैं.

इसके साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत छात्रों के हुनर को तराशने के लिए क्या-क्या कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. छात्राओ के लिए टायलेट सहित अन्य सुविधाएं स्कूल प्रदान कर रहा है या नहीं. खन्ना ने बताया कि यह सरकारी और गैर सरकारी दोनों प्रकार के स्कूलों पर लागू होगा. इन सभी जानकारियों को सरकार के समक्ष रखा जाएगा. इससे जहां हर स्कूल का डाटा उपलब्ध होगा, तो वहीं जहां पर सुविधाओं की कमी होगी, वहां पर सरकार के माध्यम से सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी.

Last Updated : Jul 20, 2022, 6:15 PM IST
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