देहरादून: बुधवार को मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू ने सचिवालय में स्वास्थ्य विभाग के अलावा स्वास्थ्य से संबंधित जिलों में मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक ली. जिसमें उन्होंने टेलीमेडिसिन सेवाओं के संबंध में समीक्षा की.
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के लिए टेलीमेडिसिन सेवा अति महत्वपूर्ण योजना है. पर्वतीय क्षेत्रों में आपात स्थिति में मरीजों तक बेहतर सुविधाएं पहुंचना संभव नहीं हो पाता है. जिसके कारण कई बार मरीजों को खामियाजा भुगतना पड़ता है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग और सभी जनपदों के जिला प्रशासन को टेलीमेडिसिन सेवा शुरू करने को कहा गया.
आज मुख्य सचिव ने टेलीमेडिसिन सेवा को बेहतर बनाने, कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिये. मुख्य सचिव एसएस संधू ने सचिव स्वास्थ्य को निर्देशित किया कि टेलीमेडिसिन सेवाओं को और कारगर बनाने के लिए इसके लिए एक डेडिकेटेड टीम की तैनाती की जाए, जो केवल उसी कार्य को देखे.
परामर्श चाहने वाले लोगों के लिए कनेक्टिविटी आसान बनाने के लिए कम से कम दो-तीन आईटी एक्सपर्ट की नियुक्ति की जाये. साथ ही सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी अपने-अपने जनपदों में टेलीमेडिसिन हब इत्यादि में पेयजल, विद्युत, कनेक्टिविटी इत्यादि की अवसंरचनात्मक व्यवस्थाओं को बेहतर बनाएं.
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साथ ही टेलीमेडिसिन के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए भी कहा गया. चिकित्सा सुविधाओं का किसी भी प्रकार का दुरूपयोग रोकने के लिए मजबूत मॉनिटरिंग सिस्टम डेवलप करने की बात भी मुख्य सचिव ने कही.
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रदेश में टेलीमेडिसिन को अग्रणी बनाने के लिए वैश्विक स्तर पर जो भी अच्छी तकनीक-अनुभव हो उसे इम्प्लिमेंट करें. उन्होंने महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को निर्देश दिये कि वे सभी चिकित्सकों को स्पष्ट निर्देश दें कि टेलीमेडिसिन सेवाओं के अंतर्गत चिकित्सक अनिवार्य रूप से और शत-प्रतिशत जेनेरिक दवाएं ही लिखें. इसमें किसी भी प्रकार से कोई कोताही न हो.
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उन्होंने तैनात होने वाले छोटे से बड़े सभी स्टॉफ को बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करने और लोगों को बेहतर तरीके से डील करने के हुनर से अवगत कराने के लिए भी कहा. उन्होंने कहा यदि हम प्रदेश में टेलीमेडिसीन को प्रभावी बना पाये तो यह पलायन रोकने में भी मददगार होगा.