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विधानसभा घेराव मामला: 24 कांग्रेस नेताओं पर आरोप तय, 3 अब बीजेपी सरकार में मंत्री - देहरादून कोर्ट

21 दिसंबर 2009 को तत्कालीन बीजेपी सरकार के खिलाफ कई कांग्रेसी नेता सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करने जा रहे थे. इस दौरान पुलिस ने सभी कांग्रेसी नेताओं को रिस्पना पुल के पास रोक दिया था. आरोप है कि इस दौरान कांग्रेसी नेताओं ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट की थी.

विधानसभा घेराव मामला
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Published : May 27, 2019, 5:25 PM IST

Updated : May 27, 2019, 5:47 PM IST

देहरादून: साल 2009 में उत्तराखंड विधानसभा घेराव मामले में सोमवार को देहरादून कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री, विधायक और मौजूदा बीजेपी सरकार के मंत्रियों पर आरोप तय (चार्ज फ्रेम) हो गए. इस दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और कांग्रेस महानगर अध्यक्ष लाल चंद शर्मा कोर्ट में पेश हुए. मामले की अगली सुनवाई 27 जून को होगी.

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बता दें कि 21 दिसंबर 2009 को तत्कालीन बीजेपी सरकार के खिलाफ कई कांग्रेसी नेता सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करने जा रहे थे. इस दौरान पुलिस ने सभी कांग्रेसी नेताओं को रिस्पना पुल के पास रोक दिया था. आरोप है कि इस दौरान कांग्रेसी नेताओं ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट की थी. इसके अलावा पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़कर वहां जमकर हंगामा भी किया था. इस मामले में कांग्रेस के करीब 24 लोगों के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था.

विधानसभा घेराव मामला

इन कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ हुआ था मुकदमा दर्ज
पुलिस ने इस मामले में पूर्व कांग्रेस नेता (मौजूदा बीजेपी सरकार में मंत्री) हरक सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, पूर्व कांग्रेसी विधायक (मौजूदा बीजेपी सरकार में मंत्री) सुबोध उनियाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, विधायक हीरा सिंह बिष्ट, पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, तत्कालीन कांग्रेस विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, कांग्रेस नेता लालचंद शर्मा, संग्राम सिंह, महेश शर्मा, विनोद रावत, विजय चौहान, मनीष नागपाल व विवेकानंद खंडूड़ी समेत 24 लोगों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था.

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इस मामले में कई बार तय तारीख पर कोर्ट में पेश न होने के चलते कई नेताओं के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुए थे. हालांकि, बाद में कोर्ट में पेश होने के बाद आरोपी नेताओं को जमानत दे दी गई थी. सोमवार को सुनवाई के बाद कोर्ट से बाहर आते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि मामला कोर्ट में विचारधीन हैं. ऐसे में जो भी फैसला कोर्ट से आएगा वह उसे स्वीकार करेंगे और आगे की कानूनी प्रक्रिया पर विचार करेंगे.

इस प्रदर्शन को लोकहित में बताते हुए पूर्व की हरीश रावत सरकार और मौजूद त्रिवेंद्र सरकार दो बार कोर्ट में मुकदमा वापस लेने की कोर्ट में अर्जी लगाई जा चुकी है. लेकिन दोनों ही बार कोर्ट ने इसे लोकहित श्रेणी से बाहर रखते हुए सरकार की अर्जी ठुकरा दी और इस मामले पर कानूनी कार्रवाई जारी रखी है.

देहरादून: साल 2009 में उत्तराखंड विधानसभा घेराव मामले में सोमवार को देहरादून कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री, विधायक और मौजूदा बीजेपी सरकार के मंत्रियों पर आरोप तय (चार्ज फ्रेम) हो गए. इस दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और कांग्रेस महानगर अध्यक्ष लाल चंद शर्मा कोर्ट में पेश हुए. मामले की अगली सुनवाई 27 जून को होगी.

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बता दें कि 21 दिसंबर 2009 को तत्कालीन बीजेपी सरकार के खिलाफ कई कांग्रेसी नेता सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करने जा रहे थे. इस दौरान पुलिस ने सभी कांग्रेसी नेताओं को रिस्पना पुल के पास रोक दिया था. आरोप है कि इस दौरान कांग्रेसी नेताओं ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट की थी. इसके अलावा पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़कर वहां जमकर हंगामा भी किया था. इस मामले में कांग्रेस के करीब 24 लोगों के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था.

विधानसभा घेराव मामला

इन कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ हुआ था मुकदमा दर्ज
पुलिस ने इस मामले में पूर्व कांग्रेस नेता (मौजूदा बीजेपी सरकार में मंत्री) हरक सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, पूर्व कांग्रेसी विधायक (मौजूदा बीजेपी सरकार में मंत्री) सुबोध उनियाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, विधायक हीरा सिंह बिष्ट, पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, तत्कालीन कांग्रेस विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, कांग्रेस नेता लालचंद शर्मा, संग्राम सिंह, महेश शर्मा, विनोद रावत, विजय चौहान, मनीष नागपाल व विवेकानंद खंडूड़ी समेत 24 लोगों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था.

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इस मामले में कई बार तय तारीख पर कोर्ट में पेश न होने के चलते कई नेताओं के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुए थे. हालांकि, बाद में कोर्ट में पेश होने के बाद आरोपी नेताओं को जमानत दे दी गई थी. सोमवार को सुनवाई के बाद कोर्ट से बाहर आते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि मामला कोर्ट में विचारधीन हैं. ऐसे में जो भी फैसला कोर्ट से आएगा वह उसे स्वीकार करेंगे और आगे की कानूनी प्रक्रिया पर विचार करेंगे.

इस प्रदर्शन को लोकहित में बताते हुए पूर्व की हरीश रावत सरकार और मौजूद त्रिवेंद्र सरकार दो बार कोर्ट में मुकदमा वापस लेने की कोर्ट में अर्जी लगाई जा चुकी है. लेकिन दोनों ही बार कोर्ट ने इसे लोकहित श्रेणी से बाहर रखते हुए सरकार की अर्जी ठुकरा दी और इस मामले पर कानूनी कार्रवाई जारी रखी है.

Intro:देहरादून -वर्ष 2009 में उत्तराखंड विधानसभा घेराव के दौरान जमकर मारपीट तनावपूर्ण बवाल काट पथराव के साथ ही शांति भंग करने जैसे आपराधिक मामले में कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री विधायक व मौजूदा भाजपा मंत्रियों के खिलाफ कोर्ट में आरोप सिद्ध ( चार्ज फ्रेम) हो गए है, ऐसे अब इस मामले की अगली तारीख 27 जून 2019 को कोर्ट ने तय की गई है। इससे पहले सोमवार दोपहर तय तारीख़ अनुसार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय व कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा ही कोर्ट में पेश हुए । कांग्रेसी नेताओं व मौजूदा बीजेपी मंत्रियों के खिलाफ आरोप सिद्ध होने के चलते अब इस मामले में कोर्ट से आगामी दिनों में फैसले का इंतजार है।


Body:कांग्रेसी नेताओं सहित 24 लोगों के खिलाफ कोर्ट मैं चल रही है कानूनी प्रक्रिया

वही जानकारी के मुताबिक तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान 21 दिसंबर 2009 में कई कांग्रेसी नेताओं सहित लगभग सात प्रदर्शनकारियों को विधानसभा घेराव के दौरान पुलिस ने रिस्पना पुल के पास रोका, आरोप है कि इस दौरान कांग्रेसी नेताओं ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की पथराव मारपीट करते हुए पुलिस बेराकेटिंग तोड़फोड़ कर जमकर तनावपूर्ण बवाल काटा था। इस मामले में नेहरू कॉलोनी पुलिस थाने में कांग्रेस नेताओं सहित 24 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

इन कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ हुआ था मुकदमा दर्ज-

पुलिस ने इस मामलें पर 2009में पूर्व कांग्रेस मंत्री ( मौजूदा भाजपा मंत्री) हरक सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के अलावा पूर्व कांग्रेसी मंत्री दिनेश अग्रवाल,प्रीतम सिंह,विधायक हीरा सिंह बिष्ट पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, विधायक सुबोध उनियाल , कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन सहित कांग्रेस नेता लालचंद शर्मा, संग्राम सिंह, महेश शर्मा, विनोद रावत, विजय चौहान ,मनीष नागपाल व विवेकानंद खंडूरी समेत 24 लोगों के सम्बंधित धाराओं में खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
इस मामले में कई बार तय तारीख पर कोर्ट में पेश ना होने के चलते आरोपी पूर्व व मौजूद कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुए थे हालांकि बाद में कोर्ट में पेश होने के बाद आरोपी नेताओं को जमानत दे दी गई थी।

वह इस मामले में सोमवार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ कोर्ट से बाहर आते हुए उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहां की मामला कोर्ट में विचार अधीन है ऐसे में जो भी फैसला कोर्ट से आएगा वह उसे स्वीकार करेंगे और आगे की कानूनी प्रक्रिया पर विचार करेंगे।


बाईट- प्रीतम सिंह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष


Conclusion:कोर्ट ने दो बार की मुकदमे वापस की अर्जी खारिज

उधर इस मुकदमे को लोकहित में प्रदर्शन बता कर पूर्व रही हरीश रावत कांग्रेस सरकार व मौजूदा त्रिवेंद्र रावत सरकार द्वारा दो बार कोर्ट में मुकदमा वापस लेने की कोर्ट में अर्जी लगाई जा चुकी है, लेकिन दोनों ही बार न्यायालय ने इसे लोकहित श्रेणी से बाहर रखते हुए सरकार की अर्जी को ठुकरा कर कानूनी कार्रवाई को जारी रखा हुआ है। बहरहाल इस मामले में आरोपित नेताओं के ख़िलाफ़ आरोप सिद्ध होने के बाद अब आगे की कानूनी फैसले वाली प्रक्रिया किस ओर करवट लेती है यह देखने वाली बात होगी।
Last Updated : May 27, 2019, 5:47 PM IST
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