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महासू देवता मंदिर हनोल में जागड़ा मेले का आयोजन, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने की शिरकत

प्रसिद्ध महासू देवता मंदिर हनोल में जागड़ा मेला चल रहा है. जिसमें कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने शिरकत की. हनोल मंदिर में हर साल राष्ट्रपति भवन की ओर से नमक भेंट किया जाता है. माना जाता है कि महासू देवता के चरणों में जो भी आता है, वो कभी खाली हाथ नहीं लौटता है.

Hanol Temple Jagra Mela
महासू देवता मंदिर हनोल
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Published : Aug 30, 2022, 10:02 PM IST

विकासनगरः जौनसार बावर के सिद्धपीठ महासू देवता के हनोल मंदिर में जागड़ा मेला (Hanol Temple Jagra Mela) शुरू हो गया है. इस समय मंदिर परिसर में रात्रि जागरण यानी जागड़ा पर्व मनाया जा रहा है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु महासू देवता के जागरण में पहुंचे हैं. इस मौके पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज भी हनोल (Satpal Maharaj Reached Hanol) पहुंचे. जहां उन्होंने महासू देवता के चरणों में मत्था टेका और प्रदेश की खुशहाली की कामना की.

हनोल स्थित महासू देवता का जागड़ा (जागरा) पर्व पर रात्रि जागरण का आयोजन होता है. जिसमें काफी संख्या में दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. श्रद्धालु मंदिर परिसर में पूरी रात देव स्तुति गाकर महासू देवता की आराधना (Mahasu Devta Temple Hanol) करते हैं. साथ ही पांरपरिक नृत्य भी किया जा रहा है. जिसकी रौनक देखते ही बनती है. साल में एक बार होने वाले इस पर्व में नौकरी पेशा और काम धंधे के चलते बाहर गए लोग भी देव दर्शन एवं रात्रि जागरण (Mahasu Devta Jagra Mela Hanol) में शामिल होने के लिए हनोल पहुंचते हैं.

हनोल का जागड़ा राजकीय मेला घोषितः बता दें कि धामी सरकार ने जौनसार बावर के सिद्धपीठ महासू देवता के हनोल मंदिर में लगने वाला परंपरागत जागड़ा मेले को राज्य मेला घोषित (Hanol Jagra State Fair) किया गया है. महासू मंदिर हनोल पहुंचे कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज (Cabinet Minister Satpal Maharaj) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात (Mann Ki Baat) में महासू देवता जागड़ा का उल्लेख किया है. यह हिमाचल और उत्तराखंड दोनों का एक समन्वय करने वाला तीर्थ स्थल है. जिसकी मान्यता दूर दूर तक है.

राष्ट्रपति भवन से कनेक्शनः प्रसिद्ध महासू देवता का यह मंदिर चकराता के पास हनोल में टोंस नदी के पूर्वी तट पर स्थित है. लोगों की आस्था उन्हें इस पवित्र धाम में खींच लाती है. मंदिर की दिव्यता के बारे में सुनकर ही देश के अन्य प्रांतों से भारी संख्या में श्रद्धालु यहां शीष नवाने आते हैं. मंदिर की बेजोड़ वास्तु और स्थापत्यकला लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है.

इस मंदिर में श्रद्धालुओं को प्रकृति के साथ ही मिश्रित शैली की स्थापत्य कला को देखने का मौका मिलता है. इस मंदिर को पुरातत्व सर्वेक्षण में भी शामिल किया गया है. महासू देवता जौनसार बावर के साथ ही हिमाचल प्रदेश के ईष्ट देव भी हैं. इसके साथ ही महासू देवता मंदिर का राष्ट्रपति भवन से भी सीधा कनेक्शन है. मंदिर में हर साल दिल्ली से राष्ट्रपति भवन की ओर से नमक भेंट किया जाता है.

जौनसार बावर समेत हिमाचल के ईष्ट देवता हैं महासूः बता दें कि प्रसिद्ध महासू देवता (Mahasu Devta) चार भाई हैं. जिनमें बोठा महासू, बाशिक महासू, पवासी महासू और चालदा महासू हैं. बोठा महासू हनोल मंदिर (Hanol Mahasu Temple) में विराजमान हैं. जबकि, बाशिक महाराज का मंदिर मैंद्रथ में स्थित है. वहीं, पवासी देवता का मंदिर हनोल के कुछ ही दूरी पर ठडियार में है. वहीं, चालदा महासू को छत्रधारी महाराज भी कहते हैं. चालदा महासू जौनसार बावर के जनजाति क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश (himachal Pradesh) में भी इष्ट देव के रूप में पूजे जाते हैं.

विकासनगरः जौनसार बावर के सिद्धपीठ महासू देवता के हनोल मंदिर में जागड़ा मेला (Hanol Temple Jagra Mela) शुरू हो गया है. इस समय मंदिर परिसर में रात्रि जागरण यानी जागड़ा पर्व मनाया जा रहा है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु महासू देवता के जागरण में पहुंचे हैं. इस मौके पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज भी हनोल (Satpal Maharaj Reached Hanol) पहुंचे. जहां उन्होंने महासू देवता के चरणों में मत्था टेका और प्रदेश की खुशहाली की कामना की.

हनोल स्थित महासू देवता का जागड़ा (जागरा) पर्व पर रात्रि जागरण का आयोजन होता है. जिसमें काफी संख्या में दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. श्रद्धालु मंदिर परिसर में पूरी रात देव स्तुति गाकर महासू देवता की आराधना (Mahasu Devta Temple Hanol) करते हैं. साथ ही पांरपरिक नृत्य भी किया जा रहा है. जिसकी रौनक देखते ही बनती है. साल में एक बार होने वाले इस पर्व में नौकरी पेशा और काम धंधे के चलते बाहर गए लोग भी देव दर्शन एवं रात्रि जागरण (Mahasu Devta Jagra Mela Hanol) में शामिल होने के लिए हनोल पहुंचते हैं.

हनोल का जागड़ा राजकीय मेला घोषितः बता दें कि धामी सरकार ने जौनसार बावर के सिद्धपीठ महासू देवता के हनोल मंदिर में लगने वाला परंपरागत जागड़ा मेले को राज्य मेला घोषित (Hanol Jagra State Fair) किया गया है. महासू मंदिर हनोल पहुंचे कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज (Cabinet Minister Satpal Maharaj) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात (Mann Ki Baat) में महासू देवता जागड़ा का उल्लेख किया है. यह हिमाचल और उत्तराखंड दोनों का एक समन्वय करने वाला तीर्थ स्थल है. जिसकी मान्यता दूर दूर तक है.

राष्ट्रपति भवन से कनेक्शनः प्रसिद्ध महासू देवता का यह मंदिर चकराता के पास हनोल में टोंस नदी के पूर्वी तट पर स्थित है. लोगों की आस्था उन्हें इस पवित्र धाम में खींच लाती है. मंदिर की दिव्यता के बारे में सुनकर ही देश के अन्य प्रांतों से भारी संख्या में श्रद्धालु यहां शीष नवाने आते हैं. मंदिर की बेजोड़ वास्तु और स्थापत्यकला लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है.

इस मंदिर में श्रद्धालुओं को प्रकृति के साथ ही मिश्रित शैली की स्थापत्य कला को देखने का मौका मिलता है. इस मंदिर को पुरातत्व सर्वेक्षण में भी शामिल किया गया है. महासू देवता जौनसार बावर के साथ ही हिमाचल प्रदेश के ईष्ट देव भी हैं. इसके साथ ही महासू देवता मंदिर का राष्ट्रपति भवन से भी सीधा कनेक्शन है. मंदिर में हर साल दिल्ली से राष्ट्रपति भवन की ओर से नमक भेंट किया जाता है.

जौनसार बावर समेत हिमाचल के ईष्ट देवता हैं महासूः बता दें कि प्रसिद्ध महासू देवता (Mahasu Devta) चार भाई हैं. जिनमें बोठा महासू, बाशिक महासू, पवासी महासू और चालदा महासू हैं. बोठा महासू हनोल मंदिर (Hanol Mahasu Temple) में विराजमान हैं. जबकि, बाशिक महाराज का मंदिर मैंद्रथ में स्थित है. वहीं, पवासी देवता का मंदिर हनोल के कुछ ही दूरी पर ठडियार में है. वहीं, चालदा महासू को छत्रधारी महाराज भी कहते हैं. चालदा महासू जौनसार बावर के जनजाति क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश (himachal Pradesh) में भी इष्ट देव के रूप में पूजे जाते हैं.

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