देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा का तीन दिवसीय मॉनसून सत्र आज पांच सितंबर से शुरू हो गया है. पहले दिन सदन में दिवंगत सदस्य को श्रद्धांजलि दी गई है. इसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई है. सदन से बाहर आने के बाद सदन के सभी सदस्यों ने मीडिया के सामने अपने मुद्दे रखे. इस दौरान कई विपक्षी विधायकों सरकार को जमकर घेरा.
हरिद्वार जिले की खानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने विधानसभा में प्राकृतिक आपदाओं का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि पिछले महीने हरिद्वार जिले को भयंकर बाढ़ का सामना करना पड़ा था. इस बाढ़ ने किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया था. किसानों की सारी फसल बर्बाद हो गई.
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उमेश कुमार ने बताया कि कई किसानों के पास तो बीज खरीदने के पैसे भी नहीं हैं. हरिद्वार आपदा के दौरान कई किसानों की सदमे से मौत हो गई. हरिद्वार जिले का किसान सबसे ज्यादा कष्ट में है. बाढ़ ने उसका सब कुछ बर्बाद कर दिया. लक्सर में कोई ऐसी जगह नहीं थी, जहां बाढ़ के पानी ने अपना कहर ना बरपाया हो.
उमेश कुमार ने बताया कि बाढ़ के कारण कई इलाकों में हालत इतने खराब थे कि वहां सेना और एसडीआरएफ की मदद से पहुंचा गया. उमेश कुमार का आरोप है कि कई मंत्री और नेता अपने काफिले के साथ आपदा प्रभावित क्षेत्रों में तो गए, लेकिन उसका धरातल पर कोई असर नहीं दिखा.
वहीं, बीएसपी विधायक मोहमद शहजाद ने सदन में पूर्व मंत्री चंदन रामदास को श्रद्धांजलि देने के बाद मीडिया से बात की. उन्होंने कहा कि पिछले कई सालों से उन्होंने राजनीतिक रूप में चंदन रामदास के कार्यकाल को देखा है. उनके सरल स्वभाव और मृदल भाषी व्यवहार से वह बेहद प्रभावित हुए हैं.
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उन्होंने चंदन रामदास को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि चंदन रामदास उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता थे और उन्होंने अपने राजनीतिक रूप में उत्तराखंड के लिए अपने महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं. इसके अलावा उन्होंने प्रदेश में अतिक्रमण के खिलाफ चल रही कार्रवाई पर सरकार को जमकर लपेटा.
उनका कहना है कि सरकार के पास बड़ा बहुमत है. इसी घमंड में सरकार तानाशाही पर उतर चुकी है. मजारों के तोड़े जाने पर मोहमद शहजाद ने सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर कुछ पीर महात्माओं ने कई सालों तक तप किया और फिर मजारें बनाईं, लेकिन धामी सरकार पक्षपातपूर्ण रवैये से उन्हें तोड़ने में लगी हुई है. बीजेपी अपने एजेंडे के तहत इन मजारों को तोड़ रही है.