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जागरूकता की कमी के कारण महिलाओं में बढ़ रहा ब्रेस्ट कैंसर, जानिए कैसे करें बचाव - Breast cancer increasing in women

देश भर में लगातार ब्रेस्ट कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे है.महिलाओं में जनजागरूकता की कमी के चलते यह बीमारी गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है. ऐसे में बढ़ते रोग को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चिंता जाहिर की है.

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ब्रेस्ट कैंसर
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Published : Jan 6, 2021, 4:15 PM IST

ऋषिकेश: महिलाओं की आम बीमारी में शामिल ब्रेस्ट कैंसर के मामले देश में साल दर साल बढ़ रहे हैं. जनजागरूकता की कमी से इस बीमारी की लोग शुरुआत में ध्यान नहीं देने के कारण यह गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है. लिहाजा, इस रोग के बढ़ते ग्राफ को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चिंता जाहिर की है. उपचार में देरी और बीमारी को छिपाने से यह बीमारी जानलेवा साबित होती है.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रवि कांत का कहना है कि महिलाएं अक्सर इस बीमारी के प्रति जागरूक नहीं रहती. लिहाजा, जागरूकता के अभाव के चलते प्रतिवर्ष देश में औसतन 30 में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर से ग्रसित हो जाती हैं. उनका कहना है कि सूचना और संचार के इस युग में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है.

निदेशक ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की सभी विश्वस्तरीय आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध हैं. संस्थान में इसके लिए विशेषतौर पर 'एकीकृत स्तन उपचार केंद्र' की स्थापना की गई है. जिसमें महिलाओं से जुड़ी इस बीमारी से संबंधित सभी तरह के परीक्षण और उपचार अनुभवी विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा एक ही स्थान पर किया जाता है.

संस्थान के इंटिग्रेडेड ब्रेस्ट कैंसर क्लिनिक 'एकीकृत स्तन उपचार केंद्र ' की प्रमुख व वरिष्ठ शल्य चिकित्सक प्रोफेसर डाॅ. बीना रवि ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत अधिकांशत: 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में पाई जाती है. उन्होंने बताया कि 80 प्रतिशत महिलाओं में इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा के कारण कैंसर होता है. यह कैंसर मिल्क डक्ट में विकसित होता है. हालांकि, शुरुआत में यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो धीरे-धीरे यह गंभीर स्थिति में पहुंचकर ब्रेन, लीवर और रीढ़ की हड्डी तक पहुंचकर पूरे शरीर में फैल जाता है.

ब्रेस्ट कैंसर के प्रारंभिक लक्षण

स्तन में या बांहों के नीचे गांठ का उभरना, स्तन का रंग लाल होना, स्तन से खून जैसा द्रव बहना, स्तन पर डिंपल बनना, स्तन का सिकुड़ जाना अथवा उसमें जलन पैदा होना, पीठ अथवा रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत रहना.

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव
इस बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरूक रहकर नियमिततौर पर छाती की स्वयं जांच करना जरूरी है. महिलाओं को चाहिए कि इस प्रकार के लक्षण नजर आते ही वह समय पर अपना इलाज शुरू करें, ताकि गंभीर स्थिति आने से पहले ही इस बीमारी का निदान किया जा सके.

ये भी पढ़ें : राजाजी टाइगर रिजर्व वन्यजीवों को अब नहीं होगी दिक्कतें, सबसे लंबा ओवरब्रिज बनकर हुआ तैयार

स्तन कैंसर होने का कारण
खराब खान-पान और अनियमित दिनचर्या, धूम्रपान और शराब के सेवन. इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर आनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है.

दूध पिलाने से खतरा कम

बच्चे को अपना स्तनपान कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है. वरिष्ठ शल्य चिकित्सक प्रोफेसर डाॅ. बीना रवि के अनुसार बच्चे को मां का दूध पिलाने से स्तन में गांठें नहीं बनती, साथ ही बच्चे को मां के दूध के माध्यम से संपूर्ण पौष्टिक तत्व भी प्राप्त हो जाते हैं. उनका सुझाव है कि सभी महिलाएं अपने बच्चे को कम से कम 2 साल की उम्र तक स्तनपान जरूर कराएं. बच्चे को अपना दूध पिलाने से महिला में एक विशिष्ट प्रकार के कैंसर की संभावना कम हो जाती है.

ऋषिकेश: महिलाओं की आम बीमारी में शामिल ब्रेस्ट कैंसर के मामले देश में साल दर साल बढ़ रहे हैं. जनजागरूकता की कमी से इस बीमारी की लोग शुरुआत में ध्यान नहीं देने के कारण यह गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है. लिहाजा, इस रोग के बढ़ते ग्राफ को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चिंता जाहिर की है. उपचार में देरी और बीमारी को छिपाने से यह बीमारी जानलेवा साबित होती है.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रवि कांत का कहना है कि महिलाएं अक्सर इस बीमारी के प्रति जागरूक नहीं रहती. लिहाजा, जागरूकता के अभाव के चलते प्रतिवर्ष देश में औसतन 30 में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर से ग्रसित हो जाती हैं. उनका कहना है कि सूचना और संचार के इस युग में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है.

निदेशक ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की सभी विश्वस्तरीय आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध हैं. संस्थान में इसके लिए विशेषतौर पर 'एकीकृत स्तन उपचार केंद्र' की स्थापना की गई है. जिसमें महिलाओं से जुड़ी इस बीमारी से संबंधित सभी तरह के परीक्षण और उपचार अनुभवी विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा एक ही स्थान पर किया जाता है.

संस्थान के इंटिग्रेडेड ब्रेस्ट कैंसर क्लिनिक 'एकीकृत स्तन उपचार केंद्र ' की प्रमुख व वरिष्ठ शल्य चिकित्सक प्रोफेसर डाॅ. बीना रवि ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत अधिकांशत: 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में पाई जाती है. उन्होंने बताया कि 80 प्रतिशत महिलाओं में इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा के कारण कैंसर होता है. यह कैंसर मिल्क डक्ट में विकसित होता है. हालांकि, शुरुआत में यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो धीरे-धीरे यह गंभीर स्थिति में पहुंचकर ब्रेन, लीवर और रीढ़ की हड्डी तक पहुंचकर पूरे शरीर में फैल जाता है.

ब्रेस्ट कैंसर के प्रारंभिक लक्षण

स्तन में या बांहों के नीचे गांठ का उभरना, स्तन का रंग लाल होना, स्तन से खून जैसा द्रव बहना, स्तन पर डिंपल बनना, स्तन का सिकुड़ जाना अथवा उसमें जलन पैदा होना, पीठ अथवा रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत रहना.

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव
इस बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरूक रहकर नियमिततौर पर छाती की स्वयं जांच करना जरूरी है. महिलाओं को चाहिए कि इस प्रकार के लक्षण नजर आते ही वह समय पर अपना इलाज शुरू करें, ताकि गंभीर स्थिति आने से पहले ही इस बीमारी का निदान किया जा सके.

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स्तन कैंसर होने का कारण
खराब खान-पान और अनियमित दिनचर्या, धूम्रपान और शराब के सेवन. इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर आनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है.

दूध पिलाने से खतरा कम

बच्चे को अपना स्तनपान कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है. वरिष्ठ शल्य चिकित्सक प्रोफेसर डाॅ. बीना रवि के अनुसार बच्चे को मां का दूध पिलाने से स्तन में गांठें नहीं बनती, साथ ही बच्चे को मां के दूध के माध्यम से संपूर्ण पौष्टिक तत्व भी प्राप्त हो जाते हैं. उनका सुझाव है कि सभी महिलाएं अपने बच्चे को कम से कम 2 साल की उम्र तक स्तनपान जरूर कराएं. बच्चे को अपना दूध पिलाने से महिला में एक विशिष्ट प्रकार के कैंसर की संभावना कम हो जाती है.

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