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परमार्थ निकेतन में हर्षोल्लास से मना भाई दूज पर्व, बड़ी संख्या में विदेशी मेहमानों ने की शिरकत

भाईदूज का पर्व भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भाईदूज पर्व परमार्थ निकेतन में हर्षोल्लास से मनाया गया. विदेशी श्रद्धालुओं ने भाईदूज पर्व पहली बार मनाया.

भाईदूज पर्व
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Published : Oct 30, 2019, 2:38 PM IST

ऋषिकेशः परमार्थ निकेतन में भारत सहित विश्व के अनेक देशों से आये श्रद्धालुओं संग बीते दिन भाई दूज का पर्व मनाया. विश्व के अनेक देश जिसमें ब्राजील, अमेरिका, जर्मनी, लन्दन, रूस, कनाडा, अफ्रीका आदि देशों से आयीं बहनों और भाइयों ने परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार भाइयों को तिलक लगाकर ईश्वर से उनके खुशहाली की कामना की.

हर्षोल्लास से मना भाईदूज पर्व

भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्रति स्नेह की अभिव्यक्ति का पर्व है इसे यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है.वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज को तिलक कर आशीर्वाद लिया और फिर भाई दूज के कार्यक्रम का शुभारंभ किया. सभी ऋषिकुमारों को लड्डू खिलाकर रिश्तों की मिठास का महत्व समझाया.

भाई दूज के पावन अवसर पर साध्वी भगवती सरस्वती ने आर्गेनिक इण्डिया के प्रमुख भरत मित्रा को तिलक लगाकर उनका अभिनन्दन किया. स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भाईदूज पर्व के बारे में बताते हुए कहा कि कार्तिक शुल्क द्वितीया को यमुनाजी ने भगवान यमराज को तिलक लगाकर अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था उस दिन से यह उत्सव मनाया जाता है.

महापुराण में इसका उल्लेख मिलता है. भाई दूज, भाई-बहन के पवित्र प्रेम, स्नेह, और समर्पण का पर्व है. इस पर्व पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी खुशहाली की कामना करती है और भाई बहनों को उनकी रक्षा का आश्वासन देते हैं.

वास्तव में अटूट रिश्ता है यह और अद्भुत संदेश देता है यह पर्व. हमारे पर्व हमें आपसी प्रेम और समर्पण का अद्भुत संदेश देते हैं. इसी तरह का प्रेम और समर्पण अपनी प्रकृति और पर्यावरण के साथ हो तो हम उन्हें प्रदूषण से मुक्त रख सकते हैं.

यह भी पढ़ेंः दीपावली के बाद पहाड़ों में मनाया जाता है बर्तातोडू, इस वजह से ये पर्व है बेहद खास

उन्होने कहा कि पेड़-पौधे हमें जीवनदायिनी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं. उनसे हमें प्रेम का रिश्ता बनाए रखना होगा तभी हम अपना और अपनी आने वाली पीढ़ियों का जीवन सुरक्षित रख सकते हैं.

भाई दूज के कार्यक्रम के अवसर पर परमार्थ निकेतन में उत्सव का वातावरण था. कई विदेशी श्रद्धालुओं ने भाई दूज पर्व पहली बार मनाया है. महाराज से इस पर्व के विषय में जानकर मिलने पर अति प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि भारतीय संस्कृति अद्भुत है.

ऋषिकेशः परमार्थ निकेतन में भारत सहित विश्व के अनेक देशों से आये श्रद्धालुओं संग बीते दिन भाई दूज का पर्व मनाया. विश्व के अनेक देश जिसमें ब्राजील, अमेरिका, जर्मनी, लन्दन, रूस, कनाडा, अफ्रीका आदि देशों से आयीं बहनों और भाइयों ने परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार भाइयों को तिलक लगाकर ईश्वर से उनके खुशहाली की कामना की.

हर्षोल्लास से मना भाईदूज पर्व

भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्रति स्नेह की अभिव्यक्ति का पर्व है इसे यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है.वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज को तिलक कर आशीर्वाद लिया और फिर भाई दूज के कार्यक्रम का शुभारंभ किया. सभी ऋषिकुमारों को लड्डू खिलाकर रिश्तों की मिठास का महत्व समझाया.

भाई दूज के पावन अवसर पर साध्वी भगवती सरस्वती ने आर्गेनिक इण्डिया के प्रमुख भरत मित्रा को तिलक लगाकर उनका अभिनन्दन किया. स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भाईदूज पर्व के बारे में बताते हुए कहा कि कार्तिक शुल्क द्वितीया को यमुनाजी ने भगवान यमराज को तिलक लगाकर अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था उस दिन से यह उत्सव मनाया जाता है.

महापुराण में इसका उल्लेख मिलता है. भाई दूज, भाई-बहन के पवित्र प्रेम, स्नेह, और समर्पण का पर्व है. इस पर्व पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी खुशहाली की कामना करती है और भाई बहनों को उनकी रक्षा का आश्वासन देते हैं.

वास्तव में अटूट रिश्ता है यह और अद्भुत संदेश देता है यह पर्व. हमारे पर्व हमें आपसी प्रेम और समर्पण का अद्भुत संदेश देते हैं. इसी तरह का प्रेम और समर्पण अपनी प्रकृति और पर्यावरण के साथ हो तो हम उन्हें प्रदूषण से मुक्त रख सकते हैं.

यह भी पढ़ेंः दीपावली के बाद पहाड़ों में मनाया जाता है बर्तातोडू, इस वजह से ये पर्व है बेहद खास

उन्होने कहा कि पेड़-पौधे हमें जीवनदायिनी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं. उनसे हमें प्रेम का रिश्ता बनाए रखना होगा तभी हम अपना और अपनी आने वाली पीढ़ियों का जीवन सुरक्षित रख सकते हैं.

भाई दूज के कार्यक्रम के अवसर पर परमार्थ निकेतन में उत्सव का वातावरण था. कई विदेशी श्रद्धालुओं ने भाई दूज पर्व पहली बार मनाया है. महाराज से इस पर्व के विषय में जानकर मिलने पर अति प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि भारतीय संस्कृति अद्भुत है.

Intro:ऋषिकेश--परमार्थ निकेतन में भारत सहित विश्व के अनेक देशों से आये श्रद्धालुओं संग भाईदूज का पर्व मनाया। विश्व के अनेक देश यथा ब्राजील, अमेरिका, जर्मनी, लन्दन, रूस कनाण, अफ्रीका आदि देशों से आयी बहनों और भाईयों ने परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार भाईयों को तिलक लगाकर ईश्वर से उनके खुशहाली की कामना की। भाईदूज का पर्व भाई-बहन के प्रति स्नेह की अभिव्यक्ति का पर्व है इसे यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है।


Body:वी/ओ--वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज को तिलक कर आशीर्वाद लिया और फिर भाईदूज के कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। सभी ऋषिकुमारों को लड्डू खिलाकर रिश्तों की मिठास का महत्व समझाया। भाईदूज के पावन अवसर पर जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने आर्गेनिक इण्डिया के प्रमुख श्री भरत मित्रा जी को तिलक लगाकर उनका अभिनन्दन किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भाईदूज पर्व के बारे में बताते हुये कहा कि कार्तिक शुल्क द्वितीया को यमुना जी ने भगवान यमराज को तिलक लगाकर अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था उस दिन से यह उत्सव मनाया जाता है। महा पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। भाईदूज, भाई-बहन के पवित्र प्रेम, स्नेह, और समर्पण का पर्व है। इस पर्व पर बहनें अपने भाईयों को तिलक लगाकर उनकी खुशहाली की कामना करती है और भाई, बहनों को उनकी रक्षा का आश्वासन देते है वास्तव में अटूट रिश्ता है यह और अद्भुत संदेश देता है यह पर्व। हमारे पर्व हमें आपसी प्रेम और समर्पण का अद्भुत संदेश देते है। इसी तरह का प्रेम और समर्पण अपनी प्रकृति और पर्यावरण के साथ हो तो हम उन्हें प्रदूषण से मुक्त रख सकते हैं। उन्होने कहा कि पेड़-पौधे हमें जीवनदायिनी आॅक्सीजन प्रदान करते हैं, उनसे हमें प्रेम का रिश्ता बनायें रखना होगा तभी हम अपना और अपनी आने वाली पीढ़ियों का जीवन सुरक्षित रख सकते हैं।


Conclusion:वी/ओ--भाईदूज के कार्यक्रम के अवसर पर परमार्थ निकेतन में उत्सव का वातावरण था कई विदेशी श्रद्धालुओं ने भाईदूज पर्व को पहली बार मनाया है। स्वामी जी महाराज से इस पर्व के विषय में जानकर अति प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि भारतीय संस्कृति अद्भुत है।
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