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अमेरिका के नारोपा विश्वविद्यालय से आए छात्र पहुंचे परमार्थ निकेतन, आध्यात्म का लिया ज्ञान

नरोपा विश्वविद्यालय बोल्डर कोलोराडो में एक अमेरिकी निजी उदार कला विश्वविद्यालय है. तिब्बत बौद्ध शिक्षक चोइगाम टुंगपा द्वारा ये विश्वविद्यालय 1974 में स्थापित किया गया था. जो 11वीं शताब्दी के भारतीय बौद्ध ऋषि नरोपा, नालंदा के मठाधीश के नाम पर है.

अमेरिका के नारोपा विश्वविद्यालय से आए छात्र पहुंचे परमार्थ निकेतन
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Published : Nov 7, 2019, 9:09 PM IST

ऋषिकेशः अमेरिका के नरोपा विश्वविद्यालय से आए छात्रों और शिक्षकों के दल ने परमार्थ निकेतन पहुंचकर परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात की. इस दौरान छात्रों ने भारतीय अध्यात्म और दर्शन से जुड़ी जानकारियां भी ली.

बता दें कि नरोपा विश्वविद्यालय बोल्डर कोलोराडो में एक अमेरिकी निजी उदार कला विश्वविद्यालय है. तिब्बत बौद्ध शिक्षक चोइगाम टुंगपा द्वारा ये विश्वविद्यालय 1974 में स्थापित किया गया था. जो 11वीं शताब्दी के भारतीय बौद्ध ऋषि नरोपा, नालंदा के मठाधीश के नाम पर है.

वहीं, इस मुलाकात के दौरान छात्रों से स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि योगी नरोपा बंगाल में जन्म लेने वाले तथा युवा अवस्था में ही आध्यात्मिक ज्ञान के साथ वैज्ञानिक सोच रखने वाले विद्वान थे.

ये भी पढ़ेंःGST लागू होने के बाद उत्तराखंड में राजस्व हुआ कम, CM ने अधिकारियों के साथ की मंत्रणा

इस मौके पर छात्रों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हम सभी का उद्देश्य वन यूनिवर्स-वन फैमिली, वसुधैव कुटुम्बकम् अर्थात पूरा विश्व एक ही परिवार होना चाहिए. हमें एक नई सामूहिकता (कम्यून) को जन्म देना होगा.

उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक और परिपक्व दिखना होगा. युवा पीढ़ी को चाहिए कि वे अपनी रचनात्मकता, नवीनता और अन्वेषण के आधार पर पर्यावरण संरक्षण के नए तरीके खोजे. साथ ही कल्चर, नेचर और फ्यूचर इन तीनों से जुड़े रहे.

ऋषिकेशः अमेरिका के नरोपा विश्वविद्यालय से आए छात्रों और शिक्षकों के दल ने परमार्थ निकेतन पहुंचकर परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात की. इस दौरान छात्रों ने भारतीय अध्यात्म और दर्शन से जुड़ी जानकारियां भी ली.

बता दें कि नरोपा विश्वविद्यालय बोल्डर कोलोराडो में एक अमेरिकी निजी उदार कला विश्वविद्यालय है. तिब्बत बौद्ध शिक्षक चोइगाम टुंगपा द्वारा ये विश्वविद्यालय 1974 में स्थापित किया गया था. जो 11वीं शताब्दी के भारतीय बौद्ध ऋषि नरोपा, नालंदा के मठाधीश के नाम पर है.

वहीं, इस मुलाकात के दौरान छात्रों से स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि योगी नरोपा बंगाल में जन्म लेने वाले तथा युवा अवस्था में ही आध्यात्मिक ज्ञान के साथ वैज्ञानिक सोच रखने वाले विद्वान थे.

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इस मौके पर छात्रों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हम सभी का उद्देश्य वन यूनिवर्स-वन फैमिली, वसुधैव कुटुम्बकम् अर्थात पूरा विश्व एक ही परिवार होना चाहिए. हमें एक नई सामूहिकता (कम्यून) को जन्म देना होगा.

उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक और परिपक्व दिखना होगा. युवा पीढ़ी को चाहिए कि वे अपनी रचनात्मकता, नवीनता और अन्वेषण के आधार पर पर्यावरण संरक्षण के नए तरीके खोजे. साथ ही कल्चर, नेचर और फ्यूचर इन तीनों से जुड़े रहे.

Intro:ऋषिकेश--नरोपा विश्वविद्यालय, अमेरिका से आये छात्रों और शिक्षकों के दल ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती से भंेट वार्ता की। छात्रों ने भारतीय अध्यात्म और दर्शन में गहरी रूचि दिखायी तथा अध्यात्म के प्रति अपनी जिज्ञासाओं का समाधान साध्वी भगवती सरस्वती के द्वारा आयोजित सत्संग में सहभाग कर प्राप्त किया।


Body:वी/ओ--नरोपा विश्वविद्यालय बोल्डर कोलोराडो में एक अमेरिकी निजी उदार कला विश्वविद्यालय है। तिब्बत बौद्ध शिक्षक चोइगाम टुंगपा द्वारा 1974 में स्थापित, यह 11 वीं शताब्दी के भारतीय बौद्ध ऋषि नरोपा, नालंदा के मठाधीश के नाम पर है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि भारत की भूमि बंगाल में जन्म लेने वाले तथा युवा अवस्था में ही आध्यात्मिक ज्ञान के साथ वैज्ञानिक सोच रखने वाले विद्वान थे योगी नरोपा, छात्रों को सम्बोधित करते हुये उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हम सभी का उद्देेश्य वन यूनिवर्स-वन फॅमिली, वसुधैव कुटुम्बकम् अर्थात पूरा विश्व एक परिवार ही होना चाहिये। हमें एक नयी सामूहिकता (कम्यून) को जन्म देना होगा जहां पर न केवल जनसमूदाय एक साथ हो बल्कि जन समूदाय और प्रकृति के मध्य घनिष्ठ सम्बंध भी हो। हम प्रकृति से अपने स्वार्थ के लिये नहीं बल्कि प्रेम के साथ जुड़े।


Conclusion:वी/ओ--आज के युवाओं को पर्यावरण के प्रति अपनी जागरूता और परिपक्वता दिखाना होगा ताकि पर्यावरणीय समस्याओं को कम किया जा सके। अभी तक जलवायु के प्रति काफी उदासीनता दिखायी गयी जिसके परिणाम युवा पीढ़ी के लिये घातक हो सकते है, युवा पीढ़ी को चाहिये कि वे अपनी रचनात्मकता, नवीनता और अन्वेषण के आधार पर पर्यावरण संरक्षण के नये तरीके खोजे और कल्चर, नेचर और फ्यूचर इन तीनों से जुड़े रहे यही सबसे बेहतर समाधान है।
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