देहरादूनः राजधानी दून में ईसी रोड पर स्थित ऐतिहासिक काबुल हाउस में गुरुवार (2 नवंबर) को कस्टोडियन संपत्ति (शत्रु संपत्ति) पर बेदखली की कार्रवाई की गई. प्रशासन की टीम ने 16 परिवारों पर कार्रवाई करते हुए उनके ठिकानों से सामान बाहर निकाला, जिस पर लोगों में खासी नाराजगी नजर आई. उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. बता दें कि, ये इमारत ईसी रोड पर 19 बीघे भूमि में फैली हुई है और इसकी अनुमानित कीमत 400 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है.
दरअसल, गुरुवार सुबह एडीएम की मौजूदगी में भारी पुलिस फोर्स के साथ टीम मजदूरों को लेकर काबुल हाउस पहुंची. यहां पर 16 अवैध कब्जों पर कार्रवाई करते हुए उनके सामान को घरों से बाहर निकाला गया. इस दौरान काबुल हाउस में करीब 100 सालों से रह रही पूजा का घर भी प्रशासन ने खाली करवाया और सील कर दिया. पूजा का परिवार इस इलाके में पिछले 100 सालों से रह रहा है.
पूजा की होनी है शादी, घर ही नहीं बचाः पूजा ने बताया कि दिसंबर में उसकी शादी है, जिसकी तैयारियां परिवार जोरों से कर रहा था, लेकिन अब घर न होने से कहां शादी होगी, यह समस्या खड़ी हो गई है. वहीं, अन्य लोगों का आरोप है कि उनको घर खाली करने के आदेश कुछ दिन पहले ही मिले थे. ऐसे में अब उनके पास कोई छत नहीं है, वो लोग कहां जाएं?
राजा मोहम्मद याकूब खान ने बनाया था काबुल हाउसः बता दें कि इस ऐतिहासिक काबुल हाउस को साल 1879 में अफगानिस्तान के राजा रहे मोहम्मद याकूब खान ने बनाया था. याकूब खान 1879 से 1923 में अपनी मृत्यु तक यहां रहे थे. फिर उनके वंशज भारत पाक बंटवारे के दौरान पाकिस्तान चले गए थे. जिसके बाद से ही काबुल हाउस के कई लोगों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपना होने का भी दावा किया था. लंबे समय से काबुल हाउस में 16 परिवार रह रहे थे.
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40 सालों कोर्ट में लंबित था मामलाः पिछले 40 सालों से काबुल हाउस का मामला जिलाधिकारी कोर्ट में लंबित था. जिस पर फैसला सुनाते हुए देहरादून डीएम सोनिका सिंह ने काबुल हाउस को शत्रु संपत्ति घोषित कर उसमें रहने वाले लोगों को खाली करने का नोटिस जारी किया और आज सीलिंग की कार्रवाई शुरू हुई.
प्रशासन ने कही ये बातः वहीं, सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह प्रशासन की मानें तो उनकी ओर से पहले ही इन लोगों को नोटिस दे दिया गया था ताकि, उन लोगों को समय मिल जाए और वो लोग अपने सामान को खुद ही बाहर निकाल दें, लेकिन इन लोगों ने ऐसा नहीं किया. लिहाजा, जब सामान को बाहर नहीं निकाला गया तो कोर्ट के आदेश पर यह कार्रवाई अमल में लाई गई.
कहां जाएं लोग? उधर, काबुल हाउस से शत्रु संपत्ति को खाली करवाने के लिए प्रशासन की टीम जुटी है, लेकिन अब यहां रहने वाले लोगों के सामने संकट खड़ा हो गया कि आखिर में वो जाएं तो जाएं कहां? उनका कहना है कि अब उनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं है. अब वो क्या करें?
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शत्रु संपत्ति क्या होती है? दरअसल, जब 1947 में देश का बंटवारा हुआ या फिर 1962 में चीन, 1965 और 1971 पाकिस्तान के साथ हुई जंग के दौरान या उसके बाद कई लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए. ऐसे नागरिकों को भारत सरकार शत्रु मानती है. सरकार ऐसी संपत्तियों की देखरेख के लिए एक कस्टोडियन को नियुक्त करती है. भारत सरकार ने साल 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था. इसके तहत शत्रु संपत्ति को कस्टोडियन में रखने की सुविधा दी गई. केंद्र सरकार ने इसके लिए कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग का गठन किया है, जिसे शत्रु संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार दिया गया है.