ऋषिकेश: पतंजलि योगपीठ (Patanjali Yogpeeth) के महासचिव आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balakrishna) परमार्थ निकेतन (Parmarth Niketan) पहुंचे. परमार्थ गुरुकुल के ऋषि कुमारों और आचार्यों ने शंख ध्वनि से उनका दिव्य अभिनन्दन किया. जहां उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती (Swami Chidananda Saraswati, President of Parmarth Niketan) और आचार्य बालकृष्ण की मुलाकात की. दोनों ने आयुर्वेद के पुनर्जागरण के विषय में चर्चा की.
स्वामी चिदानंद ने कहा कि हिमालय ऑक्सीजन के साथ ही जड़ी-बूटियों का भी केंद्र है. हिमालय की गोद में जड़ी-बूटियों का अपार भंडार है. इससे उत्तराखंड के युवाओं को रोजगार (Employment to Uttarakhand youth) दिया जा सकता है. हमें अब औषधी युक्त पौधों के रोपण पर जोर देना होगा. ताकि स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार के साथ ही आयुर्वेद का भी पुनर्जागरण किया जा सकें.
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स्वामी चिदानंद ने कहा आयुर्वेद प्राचीन चिकित्सा पद्धति (ayurveda ancient medicine) है. जिससे न केवल बीमारियों का इलाज संभव है, बल्कि इसके माध्यम से एक स्वस्थ जीवन शैली भी विकसित की जा सकती है. आयुर्वेद मानव शरीर में वात, पित्त और कफ का वेकल संतुलन ही नहीं करता, बल्कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के साथ मानव के सामाजिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक पहलुओं को भी समग्रता प्रदान करता है. ताकि जीवन स्वस्थ और खुशहाल हो सके.
आचार्य बालकृष्ण ने कहा आयुर्वेद की गंभीर बीमारियों के इलाज में भी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. क्योंकि आयुर्वेद प्राचीन भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के साथ ही जीवन का समग्र विज्ञान भी है. उन्होंने कहा हम सभी को मिलकर आयुर्वेद को आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ जोड़ने का प्रयास करना होगा.