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आप की सरकार से मांग, उच्च हिमालय की जल विद्युत परियोजनाओं की हो समीक्षा

चमोली आपदा के बाद राज्य और यहां के जन धन की चिंता करने वाले लोग सरकार को अपनी ओर से सलाह दे रहे हैं. आप ने भी सरकार को जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर सलाह दी है.

dehradun
नेता रविंद्र जुगरान
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Published : Feb 10, 2021, 9:59 AM IST

देहरादून: आम आदमी पार्टी ने सरकार से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में चल रही जल विद्युत परियोजनाओं की पुनः समीक्षा किए जाने की मांग उठाई है. दरअसल चमोली जिले के रैणी गांव के निकट ऋषि गंगा में ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद आई आपदा के बाद आप ने प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में चल रही गतिविधियों की पुनः समीक्षा किए जाने पर जोर दिया है.

आप की सरकार से मांग

आम आदमी पार्टी के नेता रविंद्र जुगरान का कहना है कि चमोली में आई आपदा में करीब 200 लोगों के लापता होने की जानकारी आ रही है. उन्होंने कहा कि यह उच्च संवेदनशील हिमालय है. यहां जितने भी प्रोजेक्ट चल रहे हैं उनमें किसी को यह मालूम नहीं है कि हिमालयी क्षेत्रों में चल रही विद्युत परियोजनाओं के पास संबंधित मंत्रालयों के अनापत्ति प्रमाण पत्र मौजूद हैं या नहीं हैं. ऐसे में इन प्रोजेक्ट्स की पुनः समीक्षा किये जाने की आवश्यकता है कि क्या यह प्रोजेक्ट बिना सुरक्षा मानकों के लोगों की जान के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रहे हैं.

जुगरान का कहना है कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि क्या वहां वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गतिविधियां संचालित होनी चाहिए. क्योंकि वहां अंधाधुंध विकास हानिकारक सिद्ध हो रहा है. उन्होंने केदारनाथ घाटी में चल रही हेली सेवाओं पर प्रश्नचिन्ह खड़े करते हुए कहा कि सरकार को इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि केदारनाथ घाटी में चल रही हेली सेवाएं क्या मानकों के अनुरूप हैं. क्योंकि घाटी में उड़ रहे हेलीकॉप्टरों से वहां कार्बन उत्सर्जन हो रहा है. इससे ग्लेशियरों में कार्बन की परत जम जाती है. जिस कारण ग्लेशियर के ऊपर पड़ने वाली बर्फ टिकती नहीं है. जब बर्फ नहीं टिकेगी तो फिर जमेगी कैसे. उन्होंने इस बात पर भी आवश्यकता जताई कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हैवी जनरेटर और व्हीकल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो हिमालयी क्षेत्रों और वहां रहने वाले लोगों के लिए घातक सिद्घ हो रहा है.

पढ़ें: DGP ने अफवाहों पर लगाया विराम, तय तिथि पर ही होगी पुलिस रैंकर परीक्षा

आम आदमी पार्टी का कहना है कि संपूर्ण हिमालय के अंदर 2010, 2013 की केदारनाथ आपदा से कोई सबक नहीं लिया गया है. अपर हिमालय में तमाम बांध निर्माण आदि गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है. ऐसे में जो प्रस्तावित परियोजनाएं हैं उन्हें दोबारा समीक्षा की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में हम ऐसी प्राकृतिक या मानवीय आपदाओं से बच सकें.

देहरादून: आम आदमी पार्टी ने सरकार से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में चल रही जल विद्युत परियोजनाओं की पुनः समीक्षा किए जाने की मांग उठाई है. दरअसल चमोली जिले के रैणी गांव के निकट ऋषि गंगा में ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद आई आपदा के बाद आप ने प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में चल रही गतिविधियों की पुनः समीक्षा किए जाने पर जोर दिया है.

आप की सरकार से मांग

आम आदमी पार्टी के नेता रविंद्र जुगरान का कहना है कि चमोली में आई आपदा में करीब 200 लोगों के लापता होने की जानकारी आ रही है. उन्होंने कहा कि यह उच्च संवेदनशील हिमालय है. यहां जितने भी प्रोजेक्ट चल रहे हैं उनमें किसी को यह मालूम नहीं है कि हिमालयी क्षेत्रों में चल रही विद्युत परियोजनाओं के पास संबंधित मंत्रालयों के अनापत्ति प्रमाण पत्र मौजूद हैं या नहीं हैं. ऐसे में इन प्रोजेक्ट्स की पुनः समीक्षा किये जाने की आवश्यकता है कि क्या यह प्रोजेक्ट बिना सुरक्षा मानकों के लोगों की जान के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रहे हैं.

जुगरान का कहना है कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि क्या वहां वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गतिविधियां संचालित होनी चाहिए. क्योंकि वहां अंधाधुंध विकास हानिकारक सिद्ध हो रहा है. उन्होंने केदारनाथ घाटी में चल रही हेली सेवाओं पर प्रश्नचिन्ह खड़े करते हुए कहा कि सरकार को इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि केदारनाथ घाटी में चल रही हेली सेवाएं क्या मानकों के अनुरूप हैं. क्योंकि घाटी में उड़ रहे हेलीकॉप्टरों से वहां कार्बन उत्सर्जन हो रहा है. इससे ग्लेशियरों में कार्बन की परत जम जाती है. जिस कारण ग्लेशियर के ऊपर पड़ने वाली बर्फ टिकती नहीं है. जब बर्फ नहीं टिकेगी तो फिर जमेगी कैसे. उन्होंने इस बात पर भी आवश्यकता जताई कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हैवी जनरेटर और व्हीकल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो हिमालयी क्षेत्रों और वहां रहने वाले लोगों के लिए घातक सिद्घ हो रहा है.

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आम आदमी पार्टी का कहना है कि संपूर्ण हिमालय के अंदर 2010, 2013 की केदारनाथ आपदा से कोई सबक नहीं लिया गया है. अपर हिमालय में तमाम बांध निर्माण आदि गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है. ऐसे में जो प्रस्तावित परियोजनाएं हैं उन्हें दोबारा समीक्षा की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में हम ऐसी प्राकृतिक या मानवीय आपदाओं से बच सकें.

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