देहरादून: कोरोना काल में उत्तराखंड की जेलों में बंद 7 साल से कम सजायाफ्ता और विचाराधीन 791 कैदियों को पैरोल पर रिहा करने की कवायद जारी है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में कोरोनाकाल के दौरान जेलों में कैदियों की अधिक संख्या को देखते 106 सिद्धदोष बंदियों एवं 685 सजायाफ्ता बंदियों को तीन माह के लिए पैरोल या अंतरिम जमानत देने की संस्तुति की गई.
उत्तराखंड जेल आईजी एपी अंशुमान के मुताबिक राज्य की अलग-अलग जिलों से 46 कैदियों को पैरोल पर रिहा किया जा चुका है. आईजी ने बताया कि संक्रमण के खतरे को देखते हुए लगातार कोरोना टेस्टिंग और स्वास्थ्य के प्रति एहतियात के लिए सभी व्यवस्थाएं बनाई गई हैं. फिलहाल, किसी भी जेल में कोई गंभीर स्थिति नहीं है.
पढ़ें- कोरोनाकाल में गर्भवतियों के लिए एम्स के चिकित्सकों की सलाह, टीके से ना घबरायें
उत्तराखंड की सभी 11 जेलों में क्षमता से दोगुने कैदी बंद हैं. सभी जेलों में करीब 3540 कैदियों की क्षमता है, लेकिन 6 हजार से ज्यादा कैदी जेलों में बंद हैं. जिसमें देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर और रुड़की जेल में क्षमता से दोगुने कैदी सजा काट रहे हैं.
पढ़ें- उत्तराखंड की दो फैक्ट्रियों में बनेगी ब्लैक फंगस की दवा, एम्स ऋषिकेश ने भी कसी कमर
देहरादून की सुद्धोवाला जेल में साल 2020 में पैरोल पर छोड़े गए कैदियों में से 35 कैदी नहीं लौटे हैं. ये सभी कैदी उत्तराखंड यूपी पंजाब हिमाचल हरियाणा राजस्थान जैसे राज्यों के हैं.
कैदियों की सजा माफ
उत्तराखंड सरकार ने इस साल 26 जनवरी को 3 कैदियों की सजा माफ की थी. इसके साथ ही साल 2021 में 15 अगस्त को 40 पुराने उम्रदराज कैदियों की सजा माफ करने का प्रस्ताव शासन स्तर पर विचाराधीन है.