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VDO भर्ती घोटाला: आयोग के पूर्व अधिकारियों की कोर्ट में पेशी, 14 दिन की न्यायिक हिरासत बढ़ी

उत्तराखंड में साल 2016 में हुए ग्राम विकास अधिकारी (VDO) भर्ती घोटाले मामले में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष और परीक्षा नियंत्रक को सोमवार देहरादून कोर्ट में पेश किया गया. जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में सुद्दोवाला जेल भेज दिया गया है. STF ने ईडी को पत्र लिखकर उनकी संपत्ति का ब्यौरा भेज जानकारी के आधार पर जांच करने की अपील की है.

VDO recruitment scam
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Published : Oct 10, 2022, 7:42 PM IST

देहरादून: साल 2016 ग्राम विकास अधिकारी (VDO) भर्ती घोटाले मामले में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत सचिव और परीक्षा नियंत्रक आरोपी अधिकारियों को एक बार फिर सोमवार देहरादून कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में सुद्दोवाला जेल भेज दिया गया है.

वहीं, इस भर्ती घोटालें में सलाखों के पीछे धकेले गए आयोग पूर्व अध्यक्ष डॉ आरबीएस रावत की संपत्ति जांच की भी तैयारी है. इसके लिए STF ने ईडी को पत्र लिखकर उनकी संपत्ति का फौरी ब्यौरा भेज जानकारी के आधार पर जांच करने की अपील की है. बताया जा रहा है कि इस भर्ती घोटाले में आरोपी तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष के साथ ही पूर्व सचिव एमएस कन्याल और परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र पोखरिया की भी संपत्ति की जांच की जा सकती है. प्रारंभिक कार्रवाई के तहत एसटीएफ ने तीनों ही अधिकारियों के संपत्ति का लेखा-जोखा जुटाकर ED को पत्राचार के माध्यम बताया है.

3 माह की जगह परीक्षा के मात्र 23 दिनों में कैसे परिणाम जारी: बता दें कि 6 मार्च, 2016 में ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती आयोजित की गई थी. इस भर्ती परीक्षा में लगभग 1 लाख 10 हजार आवेदन आये थे, जिनमें से 87 हजार अभ्यर्थी परीक्षा शामिल हुए थे. हैरानी की बात यह रही की परीक्षा आयोजन के मात्र 23 दिनों बाद यानी 29 मार्च, 2016 को परिणाम जारी कर दिया गया. जबकि इस परीक्षा आयोजन के अलग-अलग औपचारिकता के लिए कम से कम 3 माह का समय निर्धारित था.

परीक्षा आयोजित होने के बाद 87 हजार अभ्यर्थियों के आंसर शीट चेक करना और उसके बाद आपत्तियों का निस्तारण कर अंतिम आंसर शीट के साथ रिजल्ट आउट करना निर्धारित था, लेकिन ऐसा कैसे हुआ इस पर संशय बरकरार है. अब तक की जांच में यही सामने आया है कि मोटी रकम वसूल कर ओएमआर शीट (Optical Mark Recognition) से छेड़छाड़ कर भारी संख्या में अपात्र अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचा कर VDO की नौकरी में नियुक्ति दी गई.
पढ़ें- मंत्री सौरभ बहुगुणा की हत्या के लिए दी ₹20 लाख की सुपारी, ब्याज पर उधार लिए पैसे, 4 गिरफ्तार

VDO भर्ती घोटाले में हो सकती हैं और गिरफ्तारियां: सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2016 वीडीओ भर्ती घोटाले में आयोग के तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष सहित तीन अधिकारियों के जेल जाने के बाद अब कई अन्य अधिकारी-कर्मचारियों पर भी जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है. इस बात की संभावना जताई जा रही है कि इस पूरे भर्ती घोटाले में सरकारी और गैर सरकारी कुछ और लोगों की गिरफ्तारी भी हो सकती है.

देहरादून: साल 2016 ग्राम विकास अधिकारी (VDO) भर्ती घोटाले मामले में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत सचिव और परीक्षा नियंत्रक आरोपी अधिकारियों को एक बार फिर सोमवार देहरादून कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में सुद्दोवाला जेल भेज दिया गया है.

वहीं, इस भर्ती घोटालें में सलाखों के पीछे धकेले गए आयोग पूर्व अध्यक्ष डॉ आरबीएस रावत की संपत्ति जांच की भी तैयारी है. इसके लिए STF ने ईडी को पत्र लिखकर उनकी संपत्ति का फौरी ब्यौरा भेज जानकारी के आधार पर जांच करने की अपील की है. बताया जा रहा है कि इस भर्ती घोटाले में आरोपी तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष के साथ ही पूर्व सचिव एमएस कन्याल और परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र पोखरिया की भी संपत्ति की जांच की जा सकती है. प्रारंभिक कार्रवाई के तहत एसटीएफ ने तीनों ही अधिकारियों के संपत्ति का लेखा-जोखा जुटाकर ED को पत्राचार के माध्यम बताया है.

3 माह की जगह परीक्षा के मात्र 23 दिनों में कैसे परिणाम जारी: बता दें कि 6 मार्च, 2016 में ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती आयोजित की गई थी. इस भर्ती परीक्षा में लगभग 1 लाख 10 हजार आवेदन आये थे, जिनमें से 87 हजार अभ्यर्थी परीक्षा शामिल हुए थे. हैरानी की बात यह रही की परीक्षा आयोजन के मात्र 23 दिनों बाद यानी 29 मार्च, 2016 को परिणाम जारी कर दिया गया. जबकि इस परीक्षा आयोजन के अलग-अलग औपचारिकता के लिए कम से कम 3 माह का समय निर्धारित था.

परीक्षा आयोजित होने के बाद 87 हजार अभ्यर्थियों के आंसर शीट चेक करना और उसके बाद आपत्तियों का निस्तारण कर अंतिम आंसर शीट के साथ रिजल्ट आउट करना निर्धारित था, लेकिन ऐसा कैसे हुआ इस पर संशय बरकरार है. अब तक की जांच में यही सामने आया है कि मोटी रकम वसूल कर ओएमआर शीट (Optical Mark Recognition) से छेड़छाड़ कर भारी संख्या में अपात्र अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचा कर VDO की नौकरी में नियुक्ति दी गई.
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VDO भर्ती घोटाले में हो सकती हैं और गिरफ्तारियां: सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2016 वीडीओ भर्ती घोटाले में आयोग के तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष सहित तीन अधिकारियों के जेल जाने के बाद अब कई अन्य अधिकारी-कर्मचारियों पर भी जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है. इस बात की संभावना जताई जा रही है कि इस पूरे भर्ती घोटाले में सरकारी और गैर सरकारी कुछ और लोगों की गिरफ्तारी भी हो सकती है.

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