थराली: गुरुवार को पूरे विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए लाटू देवता के कपाट बंद कर दिए गये हैं. कड़ाके की ठंड होने के बाद भी लाटू देवता के कपाट बंद के मौके पर सैकड़ों श्रद्धालु यहां पहुंचे. इस मौके पर लाटू देवता ने श्रद्धालुओं को धनधान्य और राजी-खुशी रहने का आशीष दिया. अब मंदिर के कपाट बैशाख की पूर्णिमा के दिन अप्रैल में खोले जाएंगे.
लाटू देवता का मंदिर देवाल ब्लाक के वांण गांव में समुद्र तल से 8500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. लाटू देवता मां राजराजेश्वरी नन्दा के धर्म भाई हैं. वांण गांव में लाटू देवता का पौराणिक मन्दिर है जो कि बैशाख पूर्णिमा के दिन हर साल श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए खोला जाता है. इस साल भी परम्पराओं के अनुसार 19 अप्रैल को मन्दिर के कपाट खोले गए थे. जिसके बाद 8 माह तक पूजा अर्चना के बाद गुरुवार को कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं.
पढ़ें- नागरिक संसोधन बिल पर CM त्रिवेंद्र ने जताई खुशी, बोले- सरकार का सकारात्मक निर्णय
लाटू देवता को उत्तराखंड की आराध्या देवी नंदा देवी का धर्म भाई माना जाता है जिसके चलते उत्तराखंड में लाटू देवता की पूजा की विशिष्ट परम्परा है. लाटू देवता का प्रत्येक 12 सालों में आयोजित होने वाली सबसे लंबी पैदल यात्रा नंदा देवी की राजजात यात्रा के बारहवें पड़ाव वांण गांव में स्थित पौराणिक मन्दिर है.
पढ़ें- मसूरी शिफन कोर्ट में रह रहे लोगों का धरना, प्रशासन ने दिए खाली करने के निर्देश
मान्यता है कि यात्रा के दौरान निर्जन मार्ग पर लाटू देवता ही मां नन्दा की अगुवाई करते हैं. मान्यता के अनुसार लाटू देवता के साथ साक्षात नागराज मणि विराजमान हैं. जिसके चलते यहां आम श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित है. जिसके चलते यहां श्रद्धालुओं के लिए पूजा अर्चना के लिए मुख्य मंदिर से करीब 25 फीट की दूरी से व्यवस्था बनाई गई है. साथ ही यहां पुजारी भी मन्दिर में आंख और मुंह पर पट्टी बांध कर पूजा करते हैं.
रहस्यमयी मंदिर है लाटू देवता का मंदिर
भारत में कई रहस्यमयी मंदिर हैं जहां श्रद्धालु आते तो हैं, लेकिन भगवान के दर्शन नहीं कर सकते. चमोली के वांण गांव में स्थित लाटू देवता का मंदिर भी ऐसा ही है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आंखों पर पट्टी बांधकर लाटू देवता मंदिर में पूजा की जाती है. इस मंदिर में पुजारी के अलावा और किसी महिला और पुरुष को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है. श्रद्धालु इस मंदिर परिसर से लगभग 25 फीट की दूरी पर रहकर पूजन करते हैं.लाटू देवता मंदिर के अंदर नाग और नागराज मणि के दृश्य को आज तक कोई देख नहीं पाया है, इसलिए लाटू देवता मंदिर आज भी रहस्य बना हुआ है.