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चमोली: डिम्मर गांव के अनुभव डिमरी बने आईएएस, पहले प्रयास में पाई 37वीं रैंक - civil services result 2020

उत्तराखंड के अनुभव डिमरी आईएएस बन गए हैं. अनुभव के इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस की परीक्षा पास करने से उनके गांव डिम्मर में खुशी का माहौल है. अनुभव के पिता चंद्रशेखर डिमरी सेना से रिटायर होने के बाद रेलवे सुरक्षा बल कोलकाता में तैनात हैं.

IAS ANUBHAV DIMRI
अनुभव डिमरी बने आईएएस
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Published : Jan 4, 2022, 7:15 AM IST

चमोली: जनपद स्थित डिम्मर गांव के अनुभव डिमरी यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा में पास हुए हैं. अनुभव के सिविल सर्विसेज में चयनित होने पर उनके गांव के साथ ही चमोली जनपद में खुशी की लहर है. चमोली में कर्णप्रयाग तहसील के डिम्मर गांव के चंद्रशेखर डिमरी के बेटे अनुभव डिमरी ने आईएएस परीक्षा उत्तीर्ण कर सफलता का परचम लहराया है.

2019 में हुए ग्रेजुएट: अनुभव के पिता चंद्रशेखर डिमरी सेना से रिटायर होने के बाद रेलवे सुरक्षा में कोलकाता में तैनात हैं. बताया जा रहा है कि अनुभव ने पिता के सेना में रहने के दौरान ही पठन-पाठन किया. अनुभव डिमरी ने बीएससी कंप्यूटर साइंस से 2019 में उत्तीर्ण किया. इसके बाद अनुभव ने आईएएस बनने की ठानी. बीएससी उत्तीर्ण करने के पश्चात वह यूपीएससी परीक्षा की तैयारियों में जुट गये.

अनुभव डिमरी को मिली 37वीं रैंक: अनुभव ने यूपीएससी सिविल सर्विसेज में 37वीं रैंक हासिल की है. उनके गांव डिम्मर के लोगों का पढ़ाई से विशेष लगाव है. यहां के अनेक लोगों ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा नाम कमाया है.

ये भी पढ़ें: आज खटीमा में नितिन गडकरी करेंगे बीजेपी की विजय संकल्प रैली का समापन, 6 को उत्तरकाशी आएंगे राजनाथ

सामान्य परिवार से आते हैं अनुभव: अनुभव डिमरी ने यूपीएससी 2020 (IAS EXAM 2020) की परीक्षा उत्तीर्ण कर अपना सपना तो पूरा किया ही साथ ही चमोली तथा उत्तराखंड का नाम रोशन किया है. एक साधारण परिवार में पठन-पाठन के पश्चात अनुभव ने जीवन संघर्ष के क्षेत्र में सबसे बड़ा मुकाम हासिल किया है. गोपेश्वर के पूर्व डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पूर्व अध्यक्ष सुरेश डिमरी, सचिव राजेंद्र प्रसाद डिमरी, डिम्मर उमट्टा डिमरी पंचायत के दिनेश डिमरी, डिम्मर की प्रधान राखी डिमरी, सुमन प्रसाद डिमरी आदि ने अनुभव की सफलता पर खुशी जताई है.

बचपन से ही सिविल सर्विस में जाना चाहते थे: आज जहां हर बच्चा इंजीनियर और मैनेजर बनना चाहता है, वहीं अनुभव डिमरी बचपन से ही IAS (Indian Administrative Service) बनना चाहते थे. इसके लिए वो बहुत मेहनत भी करते थे. अनुभव का मानना है कि अगर अपने हर क्लास के सिलेबस को रिसर्च की तरह पढ़ा जाए तो हर एग्जाम पास किया जा सकता है. उनके पढ़ाई के अलग कॉन्सेप्ट के कारण ही वो पहले प्रयास में ही आईएएस बन गए.

चमोली: जनपद स्थित डिम्मर गांव के अनुभव डिमरी यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा में पास हुए हैं. अनुभव के सिविल सर्विसेज में चयनित होने पर उनके गांव के साथ ही चमोली जनपद में खुशी की लहर है. चमोली में कर्णप्रयाग तहसील के डिम्मर गांव के चंद्रशेखर डिमरी के बेटे अनुभव डिमरी ने आईएएस परीक्षा उत्तीर्ण कर सफलता का परचम लहराया है.

2019 में हुए ग्रेजुएट: अनुभव के पिता चंद्रशेखर डिमरी सेना से रिटायर होने के बाद रेलवे सुरक्षा में कोलकाता में तैनात हैं. बताया जा रहा है कि अनुभव ने पिता के सेना में रहने के दौरान ही पठन-पाठन किया. अनुभव डिमरी ने बीएससी कंप्यूटर साइंस से 2019 में उत्तीर्ण किया. इसके बाद अनुभव ने आईएएस बनने की ठानी. बीएससी उत्तीर्ण करने के पश्चात वह यूपीएससी परीक्षा की तैयारियों में जुट गये.

अनुभव डिमरी को मिली 37वीं रैंक: अनुभव ने यूपीएससी सिविल सर्विसेज में 37वीं रैंक हासिल की है. उनके गांव डिम्मर के लोगों का पढ़ाई से विशेष लगाव है. यहां के अनेक लोगों ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा नाम कमाया है.

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सामान्य परिवार से आते हैं अनुभव: अनुभव डिमरी ने यूपीएससी 2020 (IAS EXAM 2020) की परीक्षा उत्तीर्ण कर अपना सपना तो पूरा किया ही साथ ही चमोली तथा उत्तराखंड का नाम रोशन किया है. एक साधारण परिवार में पठन-पाठन के पश्चात अनुभव ने जीवन संघर्ष के क्षेत्र में सबसे बड़ा मुकाम हासिल किया है. गोपेश्वर के पूर्व डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पूर्व अध्यक्ष सुरेश डिमरी, सचिव राजेंद्र प्रसाद डिमरी, डिम्मर उमट्टा डिमरी पंचायत के दिनेश डिमरी, डिम्मर की प्रधान राखी डिमरी, सुमन प्रसाद डिमरी आदि ने अनुभव की सफलता पर खुशी जताई है.

बचपन से ही सिविल सर्विस में जाना चाहते थे: आज जहां हर बच्चा इंजीनियर और मैनेजर बनना चाहता है, वहीं अनुभव डिमरी बचपन से ही IAS (Indian Administrative Service) बनना चाहते थे. इसके लिए वो बहुत मेहनत भी करते थे. अनुभव का मानना है कि अगर अपने हर क्लास के सिलेबस को रिसर्च की तरह पढ़ा जाए तो हर एग्जाम पास किया जा सकता है. उनके पढ़ाई के अलग कॉन्सेप्ट के कारण ही वो पहले प्रयास में ही आईएएस बन गए.

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