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उत्तराखंडः निर्माण के देवता भगवान विश्वकर्मा की धूमधाम से मनाई गई जयंती, मशीनों और औजारों की हुई पूजा - फैक्ट्रियों और कारखानों में पूजा

उत्तराखंड में औद्योगिक इकाइयों, कल-कारखानों, फैक्ट्रियों और औद्योगिक संस्थानों में धूमधाम के साथ विश्वकर्मा दिवस मनाया गया. इस दौरान मशीनों और औजारों की पूजा की गई.

विश्वकर्मा दिवस
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Published : Sep 17, 2019, 9:42 PM IST

Updated : Sep 17, 2019, 10:36 PM IST

हल्द्वानी/मसूरी/कालाढूंगी/बागेश्वरः पूरे देश में विश्वकर्मा जयंती धूमधाम से मनाई गई. इस दौरान विश्वकर्मा के मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. साथ ही विभिन्न जगहों पर विश्वकर्मा के प्रतिमा और मूर्तियों का पूजन किया गया. वहीं, औद्योगिक इकाइयों, कल-कारखानों, फैक्ट्रियों और औद्योगिक संस्थानों में मशीनों व औजारों की पूजा की गई. माना जाता है कि विश्वकर्मा की पूजा करने से व्‍यापार में वृद्धि होती है.

उत्तराखंड में धूमधाम से मनाई गई विश्वकर्मा जयंती.

हल्द्वानीः विभिन्न स्थानों पर किया गया शिल्पी भगवान विश्वकर्मा पूजन का आयोजन
नैनीताल जिले में जगह-जगह विश्वकर्मा पूजन का आयोजन किया गया. इस दौरान औद्योगिक इकाइयों के साथ रेलवे और निजी कल-कारखानों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की गई. वहीं, कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन भी किए गए.

ये भी पढ़ेंः आश्चर्य: 14000 फीट, जहां परिंदे भी नहीं पहुंच पाते वहां कौन करता है धान की खेती?

मसूरीः विश्वकर्मा मंदिर में श्रद्धालुओं का लगा रहा तांता
मसूरी छावनी परिषद् के लक्ष्मणपुरी में स्थित भगवान विश्वकर्मा मंदिर में सुबह से ही विशेष पूजा-अर्चना की गई. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने कीर्तन कर भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद लिया. इस मौके पर भंडारे का भी आयोजन किया गया. दूसरी ओर निर्माण, मशीनरी कारखानों और दुकानों में समस्त औजारों की पूजा की गई.

विश्वकर्मा मंदिर समिति के अध्यक्ष सुभाष ने बताया कि मसूरी स्थित विश्वकर्मा भगवान का मंदिर 25 साल पुराना है. मंदिर की मान्यता है कि भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

मान्यता है कि पौराणिक काल में देवताओं के अस्त्र-शस्त्र और महलों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था. भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है. इन्हें इंजीनियर और आर्किटेक्ट भी कहा जाता है.

ये भी पढ़ेंः सरकार को ही चूना लगा रहा सरकारी सिस्टम, 15 सालों से नहीं जमा किए लाखों के टैक्स

कालाढूंगीः फैक्ट्रियों में मशीनों और कलपुर्जों की पूजा
कालाढूंगी में भी पॉलीटेक्निक कॉलेज, आईटीआई और फैक्ट्रियों में धूमधाम के साथ विश्वकर्मा दिवस मनाया गया. इस दौरान सिंचाई अधिकारी ऐजाज अहमद ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी विभाग में औजारों की पूजा अर्चना की गई. वहीं, फैक्ट्री प्रबंधक योगेश जोशी ने मशीनों की पूजा कर पूरे देशवासियों को विश्वकर्मा जयंती की बधाई दी.

भगवान विश्‍वकर्मा के जन्‍मदिन को विश्वकर्मा पूजा, विश्वकर्मा दिवस और विश्वकर्मा जयंती के नाम से जाना जाता है. इस पर्व का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है. मान्‍यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें धर्मपुत्र के रूप में जन्‍म लिया था. भगवान विश्‍वकर्मा को 'देवताओं का शिल्‍पकार', 'वास्‍तुशास्‍त्र का देवता', 'प्रथम इंजीनियर', 'देवताओं का इंजीनियर' और 'मशीन का देवता' कहा जाता है.

ये भी पढ़ेंः अच्छी खबरः एसिड अटैक पीड़िता और दिव्यांग महिलाओं को बनाया जाएगा आत्मनिर्भर

बागेश्वरः देश में हो रहे विकास कार्यों में गुणवत्ता बनाये रखने की कामना
बागेश्वर में भी हर्षोल्लास के साथ विश्वकर्मा जयंती मनाई गई. इस मौके पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना के साथ प्रसाद वितरण किया गया. जहां पर देश में होने वाले विकास कार्यों में गुणवत्ता बनाये रखने की कामना भी की गई.

हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से निकले एक कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई थी. ब्रह्मा जी के एक पुत्र धर्म पैदा हुए थे. धर्म के सातवें संतान के रूप में वास्तु का जन्म हुआ था. मान्यता है कि विश्वकर्मा जी का जन्म वास्तु देव की अंगिरसी नाम की पत्नी से हुआ था.

भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर अलग-अलग मत हैं, लेकिन प्रचलित मान्यता के अनुसार विश्वकर्मा पूजन का मुहूर्त सूर्य के परागमन के आधार पर तय किया जाता है. आमतौर पर यह दिन प्रत्येक साल 17 सितंबर को ही पड़ता है. इसलिए विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को ही मनाई जाती है.

हल्द्वानी/मसूरी/कालाढूंगी/बागेश्वरः पूरे देश में विश्वकर्मा जयंती धूमधाम से मनाई गई. इस दौरान विश्वकर्मा के मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. साथ ही विभिन्न जगहों पर विश्वकर्मा के प्रतिमा और मूर्तियों का पूजन किया गया. वहीं, औद्योगिक इकाइयों, कल-कारखानों, फैक्ट्रियों और औद्योगिक संस्थानों में मशीनों व औजारों की पूजा की गई. माना जाता है कि विश्वकर्मा की पूजा करने से व्‍यापार में वृद्धि होती है.

उत्तराखंड में धूमधाम से मनाई गई विश्वकर्मा जयंती.

हल्द्वानीः विभिन्न स्थानों पर किया गया शिल्पी भगवान विश्वकर्मा पूजन का आयोजन
नैनीताल जिले में जगह-जगह विश्वकर्मा पूजन का आयोजन किया गया. इस दौरान औद्योगिक इकाइयों के साथ रेलवे और निजी कल-कारखानों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की गई. वहीं, कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन भी किए गए.

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मसूरीः विश्वकर्मा मंदिर में श्रद्धालुओं का लगा रहा तांता
मसूरी छावनी परिषद् के लक्ष्मणपुरी में स्थित भगवान विश्वकर्मा मंदिर में सुबह से ही विशेष पूजा-अर्चना की गई. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने कीर्तन कर भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद लिया. इस मौके पर भंडारे का भी आयोजन किया गया. दूसरी ओर निर्माण, मशीनरी कारखानों और दुकानों में समस्त औजारों की पूजा की गई.

विश्वकर्मा मंदिर समिति के अध्यक्ष सुभाष ने बताया कि मसूरी स्थित विश्वकर्मा भगवान का मंदिर 25 साल पुराना है. मंदिर की मान्यता है कि भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

मान्यता है कि पौराणिक काल में देवताओं के अस्त्र-शस्त्र और महलों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था. भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है. इन्हें इंजीनियर और आर्किटेक्ट भी कहा जाता है.

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कालाढूंगीः फैक्ट्रियों में मशीनों और कलपुर्जों की पूजा
कालाढूंगी में भी पॉलीटेक्निक कॉलेज, आईटीआई और फैक्ट्रियों में धूमधाम के साथ विश्वकर्मा दिवस मनाया गया. इस दौरान सिंचाई अधिकारी ऐजाज अहमद ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी विभाग में औजारों की पूजा अर्चना की गई. वहीं, फैक्ट्री प्रबंधक योगेश जोशी ने मशीनों की पूजा कर पूरे देशवासियों को विश्वकर्मा जयंती की बधाई दी.

भगवान विश्‍वकर्मा के जन्‍मदिन को विश्वकर्मा पूजा, विश्वकर्मा दिवस और विश्वकर्मा जयंती के नाम से जाना जाता है. इस पर्व का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है. मान्‍यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें धर्मपुत्र के रूप में जन्‍म लिया था. भगवान विश्‍वकर्मा को 'देवताओं का शिल्‍पकार', 'वास्‍तुशास्‍त्र का देवता', 'प्रथम इंजीनियर', 'देवताओं का इंजीनियर' और 'मशीन का देवता' कहा जाता है.

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बागेश्वरः देश में हो रहे विकास कार्यों में गुणवत्ता बनाये रखने की कामना
बागेश्वर में भी हर्षोल्लास के साथ विश्वकर्मा जयंती मनाई गई. इस मौके पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना के साथ प्रसाद वितरण किया गया. जहां पर देश में होने वाले विकास कार्यों में गुणवत्ता बनाये रखने की कामना भी की गई.

हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से निकले एक कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई थी. ब्रह्मा जी के एक पुत्र धर्म पैदा हुए थे. धर्म के सातवें संतान के रूप में वास्तु का जन्म हुआ था. मान्यता है कि विश्वकर्मा जी का जन्म वास्तु देव की अंगिरसी नाम की पत्नी से हुआ था.

भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर अलग-अलग मत हैं, लेकिन प्रचलित मान्यता के अनुसार विश्वकर्मा पूजन का मुहूर्त सूर्य के परागमन के आधार पर तय किया जाता है. आमतौर पर यह दिन प्रत्येक साल 17 सितंबर को ही पड़ता है. इसलिए विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को ही मनाई जाती है.

Intro:sammry- धूमधाम से मनाई जा रही है शिल्पी भगवान विश्वकर्मा जयंती कल कारखानों में की गई पूजा।

एंकर- शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा आज बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है। विभिन्न इकाइयों से दुकानों और गैराजों और कल कारखानों ने भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जा रही। इस मौके पर जगह-जगह भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा और मूर्तियों का पूजा किया जा रहा है। आज विश्वकर्मा जयंती के साथ कल मूर्तियों का विसर्जन किया जाएगा।


Body:नैनीताल जिले में जगह-जगह विश्वकर्मा पूजन का आयोजन किया जा रहा है औद्योगिक इकाइयों को के साथ-साथ रेलवे और निजी कल कारखानों ने विश्वकर्मा पूजा का आयोजन किया जा रहा है जहां शिल्पी भगवान विश्वकर्मा का पूजा विधि विधान के साथ किया जा रहा है इस मौके पर संस्था के कर्मचारी और अधिकारी बड़ी संख्या में पूजा में हिस्सा ले रहे हैं। इस मौके पर कई जगह पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन भी किए जा रहे हैं।


Conclusion:कहा जाता है कि प्राचीन काल में जितनी भी राजधानियां बनाई गई थी उसका निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने की थी और इसलिए भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे बड़ा इंजीनियर ,वास्तुकार माना जाता है। यहां तक कि सतयुग का स्वर्ग त्रेता युग की लंका द्वापर की द्वारका और कलयुग का हस्तिनापुर इन सभी का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने की थी।
Last Updated : Sep 17, 2019, 10:36 PM IST
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