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होल्यारों ने भगवान शिव को चढ़ाया गुलाल, गायन से दिया सामूहिक समरसता का संदेश - बागेश्वर में मंदिर

बागेश्वर में होल्यारों ने होली के त्योहार में सामाजिक सौहार्द और एकता का संदेश दिया है. इसके साथ ही बागनाथ मंदिर में भगवान शिव को गुलाल लगाया.

bageshwar
बागनाथ मंदिर में चढ़ाया भगवान शिव को गुलाल
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Published : Mar 9, 2020, 7:17 AM IST

बागेश्वर: विकासखंड के करीब 40 से 50 गांवों से आए होल्यारों ने होली का सामूहिक गायन किया. चतुर्दशी पर बागनाथ मंदिर में सामूहिक होली गायन की वर्षों पुरानी परंपरा सामाजिक सौहार्द और एकता को आज भी जीवित रखे हुए है. चतुर्दशी पर बागनाथ मंदिर में भगवान शिव को रंग और गुलाल चढ़ाने की परंपरा है. इसके साथ ही लोगों ने होली गायन के माध्यम से सामूहिक समरसता का भी संदेश दिया.

होल्यारों ने भगवान शिव को चढ़ाया गुलाल.

बाबा बागनाथ धाम में होली की चतुर्दशी को विकासखंड के विभिन्न गांवों से आए होल्यारों ने महफिल सजाई. उन्होंने बाबा बागनाथ को अबीर, गुलाल अर्पित कर उनकी विधिवत पूजा की. मंदिर परिसर में रंग बिरंगे कपड़ों में आए होल्यारों की टोली ने सामूहिक होली गायन किया. इस दौरान विभिन्न गांवों की साझा संस्कृति के दर्शन हुए. लोगों ने होली गायन के माध्यम से सामूहिक समरसता का भी संदेश दिया. हर साल होली की चतुर्दशी को बागनाथ मंदिर में होली गायन करने की परंपरा है. रविवार को नगर के समीप के गांव आरे, द्यांगण, अमतौड़ा, खोली, बहुली, अमसरकोट से लेकर बोरगांव, जौलकांडे, चामी, क्वैराली, सात, रतबे, धारी, डोबा, मनकोट सहित करीब 40 से 50 गांवों की होली बागनाथ मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंची.

ये भी पढ़ें: होली पर मिलावट के खेल को पुलिस ने किया फेल, 3 क्विंटल नकली मावा के साथ दो गिरफ्तार

यहां से होल्यारों ने अपने-अपने ढोलक के साथ टोली में होली गायन कर मंदिर तक का सफर तय किया. सबसे पहले मनकोट की होली मंदिर पहुंची, जिसके बाद आरे, द्यांगण, जोलकांडे सहित अन्य होल्यारों की टोलियों ने ‘हां जी शंभो तुम क्यों न खेले होरी लला’ का गायन करते हुए बारी-बारी से मंदिर परिसर में प्रवेश किया. होल्यारों ने यहां आकर विधिवत् बाबा बागनाथ की पूजा की. उन्होंने भगवान शिव को अबीर, गुलाल और रंग अर्पित किया, जिसके बाद मंदिर परिसर में होली की महफिल सजी. कई गांवों के ढोलकों की सामूहिक थाप पर होल्यारों ने ढोलकों की थाप और स्वरों की जुगलबंदी से समां बांध दिया. करीब दो घंटे तक मंदिर में चली होली गायन का नगरवासियों ने भी जमकर लुत्फ उठाया.

बागेश्वर: विकासखंड के करीब 40 से 50 गांवों से आए होल्यारों ने होली का सामूहिक गायन किया. चतुर्दशी पर बागनाथ मंदिर में सामूहिक होली गायन की वर्षों पुरानी परंपरा सामाजिक सौहार्द और एकता को आज भी जीवित रखे हुए है. चतुर्दशी पर बागनाथ मंदिर में भगवान शिव को रंग और गुलाल चढ़ाने की परंपरा है. इसके साथ ही लोगों ने होली गायन के माध्यम से सामूहिक समरसता का भी संदेश दिया.

होल्यारों ने भगवान शिव को चढ़ाया गुलाल.

बाबा बागनाथ धाम में होली की चतुर्दशी को विकासखंड के विभिन्न गांवों से आए होल्यारों ने महफिल सजाई. उन्होंने बाबा बागनाथ को अबीर, गुलाल अर्पित कर उनकी विधिवत पूजा की. मंदिर परिसर में रंग बिरंगे कपड़ों में आए होल्यारों की टोली ने सामूहिक होली गायन किया. इस दौरान विभिन्न गांवों की साझा संस्कृति के दर्शन हुए. लोगों ने होली गायन के माध्यम से सामूहिक समरसता का भी संदेश दिया. हर साल होली की चतुर्दशी को बागनाथ मंदिर में होली गायन करने की परंपरा है. रविवार को नगर के समीप के गांव आरे, द्यांगण, अमतौड़ा, खोली, बहुली, अमसरकोट से लेकर बोरगांव, जौलकांडे, चामी, क्वैराली, सात, रतबे, धारी, डोबा, मनकोट सहित करीब 40 से 50 गांवों की होली बागनाथ मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंची.

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यहां से होल्यारों ने अपने-अपने ढोलक के साथ टोली में होली गायन कर मंदिर तक का सफर तय किया. सबसे पहले मनकोट की होली मंदिर पहुंची, जिसके बाद आरे, द्यांगण, जोलकांडे सहित अन्य होल्यारों की टोलियों ने ‘हां जी शंभो तुम क्यों न खेले होरी लला’ का गायन करते हुए बारी-बारी से मंदिर परिसर में प्रवेश किया. होल्यारों ने यहां आकर विधिवत् बाबा बागनाथ की पूजा की. उन्होंने भगवान शिव को अबीर, गुलाल और रंग अर्पित किया, जिसके बाद मंदिर परिसर में होली की महफिल सजी. कई गांवों के ढोलकों की सामूहिक थाप पर होल्यारों ने ढोलकों की थाप और स्वरों की जुगलबंदी से समां बांध दिया. करीब दो घंटे तक मंदिर में चली होली गायन का नगरवासियों ने भी जमकर लुत्फ उठाया.

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