सोमेश्वर: देवभूमि में प्राचीन मंदिरों से लोगों की अपार श्रद्धा जुड़ी है. सोमेश्वर घाटी को शिव नगरी भी कहा जाता है, क्योंकि यहां 12वीं शताब्दी से लेकर शिवजी के अनेक मंदिर स्थित हैं. अलग-अलग नाम से स्थापित इन शिव मंदिरों में सावन महीने में पूजा अनुष्ठान करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
शिव की नगरी सोमेश्वर में महादेव शिवजी के अनेक नाम से 12 से अधिक मंदिर विद्यमान हैं. जिनमें शिवजी के अनेक स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है. यहां 12वीं शताब्दी का सोमनाथ महादेव मंदिर विद्यमान है. जिनके नाम से इस घाटी की पहचान होती है. सोमनाथ महादेव नाम से क्षेत्र का सबसे प्राचीन शिव मंदिर सोमेश्वर में विद्यमान है. इसके अलावा चार घाटियों में बंटे सोमेश्वर क्षेत्र में विद्यमान शिव मंदिरों में चनौदा क्षेत्र के अंतर्गत पिनाथेश्वर महादेव मंदिर सबसे ऊंची पहाड़ी में स्थित है.
ये भी पढे़ं: आपदा प्रभावित क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से किया गया रेस्क्यू
इस मंदिर में क्षेत्रीय श्रद्धालुओं के अलावा देश-विदेश के लोग भी आठ किलोमीटर का पैदल सफर तक करके भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं. वहीं कांटली गांव से दो किलोमीटर आगे रुद्रधारी महादेव मंदिर स्थापित है, जहां शिवजी के रौद्ररूप की पूजा की जाती है. साथ ही चनौदा में कोसी और मैनोली नदी के संगम में स्थित बृषभेश्वर महादेव मंदिर से लोगों की अपार आस्था जुड़ी है. जबकि, माला गांव में स्थापित चंद्रेश्वर मंदिर में शिवजी के सिर पर सुशोभित चंद्र रूप का द्योतक है. यहां देवभूमि की प्रसिद्ध नंदा राजजात यात्रा का पहला रात्रि पड़ाव भी है.
मनसा घाटी में स्थापित खड़केश्वर मंदिर में भी शिवजी को पूजा भव्य रूप से की जाती है. लखनाड़ी मढ़ी में शिवजी भतीनेश्वर कहलाते हैं और यहां स्थित भतीनेश्वर मंदिर से शताब्दियों से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. लोद घाटी के बयाला खालसा में देवादि-देव बद्रेश्वर रूप में बद्रीनाथ मंदिर में पूजे जाते हैं. शिवजी के साथ उनके असंख्य गणों को गणानाथ मठ में पूजा जाता है. रनमन में भगवान शिव की गौरेश्वर मंदिर में पूजा होती है.
ये भी पढे़ं: पिथौरागढ़: आपदा प्रभावित क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से किया गया रेस्क्यू
शिवनगरी सोमेश्वर में एड़ाद्यो महादेव मंदिर भी सुरम्य और ऊंची पहाड़ी में स्थित है. जिससे जिले भर के हजारों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. जबकि भजनेश्वर मंदिर, मल्लिका मंदिर और मनान में कोसी नदी के तट पर विद्यमान शिवालय में भी शिवजी को श्रद्धा के साथ पूजा जाता है.
वृषभेश्वर महादेव मंदिर चनौदा के आचार्य दीप चंद्र कांडपाल का कहना है कि शिवजी की घाटी के सभी शिव मंदिरों में श्रावण महीने में पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. सावन महीने में बच्चे, जवान, बुजुर्ग और महिलाओं के साथ ही पुरोहित और संत समाज भी शिवार्चन, रुद्री यज्ञ और शिवजी को जलाभिषेक करने के लिए मंदिरों में पहुंचकर पुण्यलाभ अर्जित करते हैं.