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सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर लगा पलिता, यहां 1000 पेड़ों में से बचे मात्र 100 पेड़

ग्राम प्रधान संगठन के सचिव और पल्यूड़ा-सोमेश्वर के प्रधान सन्तोष कुमार का कहना है कि उनकी पंचायत के पल्यूड़ा जंगल में 1000 पेड़ लगाये गए थे. जिनमें बमुश्किल 100 पेड़ ही बचे हैं. उनका आरोप है कि उन्होंने बीडीसी बैठक और सीडीओ के सामने पेड़ों की सुरक्षा की गुहार लगाई है.

सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर लगा पलिता.
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Published : Apr 17, 2019, 3:14 PM IST

सोमेश्वर: कोसी नदी पुनर्जनन योजना मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के 'ड्रीम प्रोजेक्ट' के रूप में जानी जाती है. पिछले साल हरेला पर्व के अवसर पर कोसी नदी के किनारे एक दिन में 1 लाख 67 हजार वृक्षारोपण करने का रिकॉर्ड बनाया था. लेकिन वृक्षारोपण के 9 माह बाद सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर अनदेखी और अव्यवस्थाओं के कारण पलीता लग गया है.

ग्राम प्रधान संगठन के सचिव और पल्यूड़ा-सोमेश्वर के प्रधान सन्तोष कुमार का कहना है कि उनकी पंचायत के पल्यूड़ा जंगल में 1000 पेड़ लगाये गए थे. जिनमें बमुश्किल 100 पेड़ ही बचे हैं. उनका आरोप है कि उन्होंने बीडीसी बैठक और सीडीओ के सामने पेड़ों की सुरक्षा की गुहार लगाई है. लेकिन उन्हें कहीं से न तो बजट मिला है और न ही सुरक्षा के प्रबन्ध किये गए हैं. उन्होंने बताया कि पौधों को खाद पानी न मिलने से 90 फीसदी पेड़ या तो सूख गए या फिर जानवरों का चारा बन गये हैं.

इधर कांटली के ग्राम प्रधान गिरीश चन्द्र काण्डपाल का कहना है कि सीएम ने जहां पौधरोपण किया वहां 80 फीसदी पेड़ सुरक्षित और हरे हैं. वे बताते हैं कि उनकी पंचायत में पौधों की सुरक्षा के लिए तार-बाड़ और दीवार भी बनी है.

वे बताते हैं कि जहां-जहां पर सीएम पहुंचे वहां तमाम इंतजाम किये गए हैं. लेकिन अधिकांश गांवों में पौधारोपण के बाद प्रशासन ने मुंह फेर लिया है. वहीं प्रशासन पर यह आरोप भी लग रहा है कि वह धरातल में निरीक्षण करने के बजाय जिला मुख्यालय में ही समीक्षा कर खानापूर्ति कर रहा है.

सोमेश्वर: कोसी नदी पुनर्जनन योजना मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के 'ड्रीम प्रोजेक्ट' के रूप में जानी जाती है. पिछले साल हरेला पर्व के अवसर पर कोसी नदी के किनारे एक दिन में 1 लाख 67 हजार वृक्षारोपण करने का रिकॉर्ड बनाया था. लेकिन वृक्षारोपण के 9 माह बाद सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर अनदेखी और अव्यवस्थाओं के कारण पलीता लग गया है.

ग्राम प्रधान संगठन के सचिव और पल्यूड़ा-सोमेश्वर के प्रधान सन्तोष कुमार का कहना है कि उनकी पंचायत के पल्यूड़ा जंगल में 1000 पेड़ लगाये गए थे. जिनमें बमुश्किल 100 पेड़ ही बचे हैं. उनका आरोप है कि उन्होंने बीडीसी बैठक और सीडीओ के सामने पेड़ों की सुरक्षा की गुहार लगाई है. लेकिन उन्हें कहीं से न तो बजट मिला है और न ही सुरक्षा के प्रबन्ध किये गए हैं. उन्होंने बताया कि पौधों को खाद पानी न मिलने से 90 फीसदी पेड़ या तो सूख गए या फिर जानवरों का चारा बन गये हैं.

इधर कांटली के ग्राम प्रधान गिरीश चन्द्र काण्डपाल का कहना है कि सीएम ने जहां पौधरोपण किया वहां 80 फीसदी पेड़ सुरक्षित और हरे हैं. वे बताते हैं कि उनकी पंचायत में पौधों की सुरक्षा के लिए तार-बाड़ और दीवार भी बनी है.

वे बताते हैं कि जहां-जहां पर सीएम पहुंचे वहां तमाम इंतजाम किये गए हैं. लेकिन अधिकांश गांवों में पौधारोपण के बाद प्रशासन ने मुंह फेर लिया है. वहीं प्रशासन पर यह आरोप भी लग रहा है कि वह धरातल में निरीक्षण करने के बजाय जिला मुख्यालय में ही समीक्षा कर खानापूर्ति कर रहा है.

Intro:कोसी नदी पुनर्जनन योजना मुख्य मंत्री त्रिवेन्द्र रावत के 'ड्रीम प्रोजेक्ट' के रूप में जानी जाती है। पिछले वर्ष हरेला पर्व के अवसर पर कोसी नदी के किनारे बसे हवालबाग और सोमेश्वर क्षेत्र के दर्जनों गांवों के वन पंचायतों और वन क्षेत्रों में एक दिन में 1 लाख 67 हजार वृक्षारोपण करने का रिकॉर्ड बनाने का शासन प्रशासन ने खूब ढिंढोरा पीटा। लेकिन वृक्षारोपण के 9 माह बाद पेड़ों की जमीनी स्थिति बता रही है कि सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर अनदेखी और अव्यवस्थाओं के कारण पलीता लग गया है। हालात यह हैं कि अधिकांश गांवों में 80 फीसदी पेड़ या तो सूख गए हैं या फिर उन्हें जानवर चट कर गए हैं।Body:सोमेश्वर। कुंवर भाकुनी
'कोसी नदी पुनर्जनन योजना' मुख्य मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर जानी जाती है उसके तहत गत वर्ष हरेला पर्व के दिन रिकार्ड 1 लाख 67 हजार से अधिक पौधरोपण किया गया था। लेकिन सीएम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत लगाये गए अधिकांश पौंधे देख रेख और सुरक्षा इंतजामों की कमी के चलते नष्ट हो चुके हैं। शासन प्रशासन ने रिकार्ड पौधरोपण कर अपनी पीठ तो थपथपाई लेकिन उनको जानवरों से बचाने के लिए अधिकांश क्षेत्रों में न तो तार बाड़ किया और न ही सुरक्षा दीवारों का निर्माण किया गया। कांटली ग्राम पंचायत जहां स्वयं सीएम ने पौधरोपण किया था वहां और कुछ अन्य जगह तार बाड़ और सुरक्षा दीवार बनाई गई। जबकि ताकुला और हवालबाग विकास खण्ड के दर्जनों गांवों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नही होने से ड्रीम प्रोजेक्ट पर पलीता लग गया है।
ग्राम प्रधान संगठन के सचिव और पल्यूड़ा-सोमेश्वर के प्रधान सन्तोष कुमार का कहना है कि उनकी पंचायत के पल्यूड़ा जंगल में एक हजार पेड़ लगाये गए थे जिनमें बमुश्किल एक सौ पेड़ ही बचे हैं। उनका आरोप है कि उन्होंने बीडीसी बैठक और सीडीओ के सम्मुख भी पेड़ों की सुरक्षा की गुहार लगाई किन्तु कहीं से न तो बजट मिला और न ही सुरक्षा के प्रबन्ध किये गए। सुरक्षा नही होने और चौकीदार नही रखने पौधों को खाद पानी नही मिलने से 90 फीसदी पेड़ या तो सूख गए या उन्हें जानवर चट कर गए।
इधर कांटली के ग्राम प्रधान गिरीश चन्द्र काण्डपाल का कहना है कि सीएम ने जहां पौधरोपण किया वहां 80 फीसदी पेड़ सुरक्षित और हरे हैं। उनकी पंचायत में पौधों की सुरक्षा हेतु तार बाड़ और दीवार भी बनी है तथा चौकीदार भी नियुक्त है जिस कारण पेड़ अब तक जिन्दा हैं।
Conclusion:अर्थात कहा जा सकता है कि जहां सीएम पहुंचे वहां तमाम इंतजाम किये गए जबकि अधिकांश गांवों में पौधरोपण के बाद प्रशासन ने मुंह फेर लिया और रोपे गए पौंधे मनरेगा और जानवरों के भरोसे छोड़ दिए गए। क्योंकि तब शासन प्रशासन ने इस ड्रीम प्रोजेक्ट की सुरक्षा मनरेगा के बजट से करने की बात कही थी जबकि प्रधानों का आरोप है कि उन्हें इस मद के लिए मनरेगा से कोई अतिरिक्त बजट नही दिया गया। प्रशासन पर यह भी आरोप है कि वह धरातल में निरीक्षण करने के बजाय जिला मुख्यालय में समीक्षा कर जिम्मेदारी की इतिश्री करता रहा है।
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