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भूखे ना रह जाएं बेजुबान, 35 सालों से सेवा में जुटी कामिनी कश्यप

अल्मोड़ा की कामिनी कश्यप 35 साल से ज्यादा समय से आवारा और बेजुबान जानवरों का पेट भरती है.

Almora
भूखे ना रह जाएं बेजुबान.
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Published : Jun 4, 2021, 9:40 AM IST

Updated : Jun 4, 2021, 10:15 AM IST

अल्मोड़ा: कामिनी कश्यप 35 सालों से बेजुबानों की सेवा में जुटी हैं. वहीं लॉकडाउन में भूख से बिलख रहे आवारा कुत्तों समेत अन्य जानवरों की सेवा में वे तत्परता के साथ जुटी हुई हैं. वह सुबह शाम बेजुबानों को खाना दे रही हैं.

भूखे ना रह जाएं बेजुबान, 35 सालों से सेवा में जुटी कामिनी कश्यप


अल्मोड़ा की रहने वाली पेशे से वकील कामिनी कश्यप बीते 35 सालों से पशुओं की सेवा में जुटी हैं. शहर में कहीं आवारा मवेशी या कुत्ते घायल हो जाएं तो लोग सबसे पहले उन्हें इसकी सूचना देते हैं. कामिनी कश्यप तुरंत मौके पर पहुंचकर घायल जानवरों को अपने घर लाकर उनका इलाज करती हैं. यही नहीं उन्होंने आवारा जानवरों के रहने के लिए अपने घर मे शेल्टर होम भी बनाया है. जहां 50 से अधिक कुत्तों और अन्य जानवरों को शरण दे रखा है. कोरोना कर्फ्यू में वह बाजार में आवारा कुत्तों समेत अन्य जानवरों को खाना खिला रही हैं.

पढ़ें: ग्रामीणों के अनुशासन के आगे कोरोना भी फेल! उत्तराखंड के इस गांव में कोरोना की NO ENTRY

कामिनी कश्यप ने बताया कि वह 1986 से पशुओं के लिए काम करती आ रही हैं. वो अपनी बहन के बेटे और बहू के साथ शहर में खोल्टा मोहल्ले में रहती हैं. उनका कहना है कि पशु सेवा में पूरा परिवार उनका साथ देता है. उनको यह प्रेरणा अपनी मां से मिली है. उनका कहना है कि इस कार्य के लिए उन्हें सरकार और शासन प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली, लेकिन अपने प्रयासों से पशुओं की सेवा में जुटी हैं. उनके घर मे बनाये शेल्टर होम में 55 कुत्ते, 26 गाय समेत अन्य जानवर रहते हैं.

अल्मोड़ा: कामिनी कश्यप 35 सालों से बेजुबानों की सेवा में जुटी हैं. वहीं लॉकडाउन में भूख से बिलख रहे आवारा कुत्तों समेत अन्य जानवरों की सेवा में वे तत्परता के साथ जुटी हुई हैं. वह सुबह शाम बेजुबानों को खाना दे रही हैं.

भूखे ना रह जाएं बेजुबान, 35 सालों से सेवा में जुटी कामिनी कश्यप


अल्मोड़ा की रहने वाली पेशे से वकील कामिनी कश्यप बीते 35 सालों से पशुओं की सेवा में जुटी हैं. शहर में कहीं आवारा मवेशी या कुत्ते घायल हो जाएं तो लोग सबसे पहले उन्हें इसकी सूचना देते हैं. कामिनी कश्यप तुरंत मौके पर पहुंचकर घायल जानवरों को अपने घर लाकर उनका इलाज करती हैं. यही नहीं उन्होंने आवारा जानवरों के रहने के लिए अपने घर मे शेल्टर होम भी बनाया है. जहां 50 से अधिक कुत्तों और अन्य जानवरों को शरण दे रखा है. कोरोना कर्फ्यू में वह बाजार में आवारा कुत्तों समेत अन्य जानवरों को खाना खिला रही हैं.

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कामिनी कश्यप ने बताया कि वह 1986 से पशुओं के लिए काम करती आ रही हैं. वो अपनी बहन के बेटे और बहू के साथ शहर में खोल्टा मोहल्ले में रहती हैं. उनका कहना है कि पशु सेवा में पूरा परिवार उनका साथ देता है. उनको यह प्रेरणा अपनी मां से मिली है. उनका कहना है कि इस कार्य के लिए उन्हें सरकार और शासन प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली, लेकिन अपने प्रयासों से पशुओं की सेवा में जुटी हैं. उनके घर मे बनाये शेल्टर होम में 55 कुत्ते, 26 गाय समेत अन्य जानवर रहते हैं.

Last Updated : Jun 4, 2021, 10:15 AM IST
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