नैनीताल: 5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण उपछाया ग्रहण के रूप में देखा जाएगा. वैसे तो भारत में चंद्र ग्रहण दिखाई देगा लेकिन इस दौरान सूतक के नियम नहीं माने जाएंगे. इस खगोलीय घटना पर भारत समेत देश-विदेश के वैज्ञानिकों की नजरें टिकी रहेंगी.
5 जून को लगने जा रहे चंद्र ग्रहण को लेकर आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वैज्ञानिकों की निगाहें टिकी हुई हैं. जून महीने की शुरुआत में लगने वाला ये चंद्र ग्रहण साल का दूसरा चंद्र ग्रहण है. वैज्ञानिक बताते हैं कि भले ही यह एक आम खगोलीय घटना है लेकिन सौर मंडल में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए यह घटना बेहद जरूरी रहेगी और चंद्रमा किसी आग के छल्ले के रूप में दिखाई देगा.
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5 जून को होने वाले चंद्र ग्रहण में चांद पृथ्वी की हल्की छाया से होकर गुजरेगा जो भारत समेत यूरोप के अधिकांश भाग, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका महाद्वीपों के कुछ हिस्सों से दिखाई देगा. बता दें कि चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा सामान्य से थोड़ा गहरे रंग का दिखता है.
वहीं, 5 जून को रात करीब 11 बजकर 15 मिनट पर चंद्र ग्रहण शुरू होगा जो 6 जून तड़के 2:30 बजे तक अपने चरम पर रहेगा. इसे धरती से चश्मे या टेलीस्कोप की मदद से आसानी से देखा जा सकेगा. वैज्ञानिक बताते हैं कि भारत में दिखने वाला यह चंद्र ग्रहण रात 12 बजकर 15 मिनट पर सबसे ज्यादा सुंदर और आकर्षक दिखाई देगा. साथ ही एस्ट्रोलॉजी में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए घटना बेहद खास होगी.
शास्त्रों में उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है. इसलिए इस दिन कोई भी कार्य करने पर प्रतिबंध नहीं होगा. इस ग्रहण में चंद्रमा वृश्चिक राशि में ज्येष्ठ नक्षत्र में लगने वाला है. वृश्चिक राशि के लोगों को चंद्र ग्रहण के समय सावधान रहने की जरूरत है.