हल्द्वानी: लॉकडाउन के चलते प्रदेश सरकार को राजस्व का खासा नुकसान हो रहा है. लॉकडाउन के कारण प्रदेश में खनन और शराब का कारोबार बंद पड़ा है. ये दोनों की प्रदेश सरकार के राजस्व का सबसे बड़ा जरिया है.
बात अगर राज्य में शराबके कारोबार की करें तो साल 2019-20 में कुमाऊं मंडल के में 287 शराब की दुकानें आवंटित की गई थी, जिनमें से 76 दुकानों को उनके ठेकेदार नहीं मिले. जबकि, 287 शराब की दुकानों के लिए सरकार ने 794 करोड़ का राजस्व लक्ष्य रखा था. 76 दुकानों के ठेकेदार न मिलने के चलते सरकार को 122 करोड़ का राजस्व नुकसान उठाना पड़ा. जिसके बाद लॉकडाउन के कारण एक हफ्ते से बंद पड़ी शराब की दुकानों के कारण इसके और बढ़ने की संभावना है.
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वहीं, सरकार ने कुमाऊं मंडल के 6 जिलों की 287 शराब दुकानों से वित्तीय वर्ष 2020 -21 के लिए नीलामी प्रक्रिया कर 794 करोड़ का लक्ष्य रखा है. मगर 14 अप्रैल तक लॉकडाउन की स्थिति में शराब की दुकानें बंद होने के कारण प्रदेश सरकार के साथ-साथ शराब कारोबारियों को भी खासा नुकसान उठाना पड़ेगा.
शराब कारोबारियों का कहना है कि 122 करोड़ के घाटे को पूर्ति नजदीक की दुकानों से हो सकती है, क्योंकि 76 दुकानों के बंद होने से नजदीकी दुकानों की बिक्री बढ़ी है. उन्होंने बताया कि मंडल में 54 देसी शराब दुकानें जबकि, 22 विदेशी शराब की दुकानें बंद हैं.
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उधम सिंह नगर में 33 दुकानें ,नैनीताल जनपद में 8 दुकानें, अल्मोड़ा जनपद में 20 दुकानें जबकि पिथौरागढ़ में 10, बागेश्वर में 4 और चंपावत में 1 दुकान बंद है. जिससे साफ तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर दिन दुकान बंद होने से शराब कारोबारियों के साथ ही सरकार को कितना नुकसान उठाना पड़ रहा होगा.