देहरादून: भारतीय सेना में नई भर्तियों के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी अग्निपथ योजना (Agnipath Recruitment Scheme) को लेकर देशभर में धरना प्रदर्शन और तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है. जहां-तहां उग्र प्रदर्शनकारी रेलगाड़ियों को आग के हवाले कर सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. वहीं उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी पिछले तीन-चार सालों से आर्मी में जाने की तैयारियों में जुटे युवाओं में भी अग्निपथ स्कीम को लेकर खासा आक्रोश और निराशा नजर देखी जा रही है.
देहरादून के परेड मैदान में बड़ी संख्या में प्रतिदिन तैयारी करने वाले मैदानी और पहाड़ी जनपदों के युवाओं का साफ तौर पर कहना है कि जिस तरह का सपना उन्होंने भारतीय सेना को ज्वाइन कर एक सुरक्षित भविष्य को लेकर देखा था, वह अग्निपथ स्कीम से टूटता नजर आ रहा है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए परेड मैदान में शारीरिक दक्षता का अभ्यास करने वाले युवाओं का कहना है कि इस स्कीम में 4 साल की नौकरी में वह कैसे अपने भविष्य को सिक्योर कर सकते हैं. 4 साल के छोटे से अनुभव से कैसे कोई जवान पाकिस्तान और चाइना या अन्य देशों के अनुभवी जवानों के आगे बॉर्डर पर कड़ी टक्कर दे सकता है.
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अग्निपथ योजना पर ये बोले युवा: कुछ युवाओं ने अग्निपथ स्कीम पर कड़ी आपत्ति और आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि यह सारा खेल देश में बड़ी राजनीति का हिस्सा है. कौन से राजनेता का सुपुत्र देश सेवा में अपने भविष्य का बलिदान दे रहा है. यही कारण है कि राज्य से लेकर केंद्र सरकार युवाओं के भविष्य को अधर में रखकर अग्निपथ योजना को परवान चढ़ाना चाहती हैं. आक्रोशित युवाओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि पहले केंद्र सरकार इस बात पर विश्वास दिलाया कि इस स्कीम से 4 साल के लिए सेना में सेवा देने वाले युवाओं का भविष्य आगे कैसे सुरक्षित रह सकता है.
युवाओं का सवाल राज्य सरकार के नौकरी प्राथमिकता आश्वासन पर कैसे विश्वास किया जाए: वहीं पिछले 4 सालों से सेना में भर्ती की तैयारी में जुटे उत्तराखंड के युवाओं का यह भी कहना है कि राज्य सरकार अग्निपथ स्कीम के तहत सेना में सेवा देने वाले युवाओं को अलग-अलग सरकारी सेवाओं में प्राथमिकता देने की बात कर रही है. उसको पहले शासनादेश के रूप में इसे धरातल पर लाना होगा. तभी राज्य के युवाओं में विश्वास जगाया जा सकता है. उत्तराखंड राज्य एक अरसे से ही सैनिक बाहुल्य प्रदेश रहा है. यहां का अधिकांश युवा सेना में ही अपने पूर्वजों की तर्ज पर अपना भविष्य तलाशता है.
युवाओं का सवाल है कि जिस तरह से 4 साल का सेवाकाल योजना सरकार लेकर आ रही है, उसे समझना और उस पर भरोसा करना बेहद मुश्किल नजर आ रहा है. अग्निपथ को लेकर उत्तराखंड के मैदानी और पहाड़ी क्षेत्र के आक्रोशित युवाओं ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी जीत का जश्न सड़कों पर मनाते नजर आए, लेकिन आज युवा जब इस योजना से हताश और निराश होकर सड़कों पर आ रहा है तो मुख्यमंत्री खुद आगे आकर युवाओं से बात क्यों नहीं करते.
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अग्निपथ को सेना के जानकार मानते हैं बढ़िया स्कीम: वहीं दूसरी ओर अग्निपथ योजना को लेकर सेना के जानकार मानते हैं कि युवाओं के लिए ये भविष्य में सकारात्मक रूप में वरदान साबित होगी. लेकिन फिलहाल विपक्ष इस मुद्दे को गलत दिशा में मोड़कर युवाओं को गुमराह कर आग भड़काने का काम कर रहा है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर केजी बहल ने कहा कि इस पूरी स्कीम को बिना गहराई से समझे ही देशभर में इसका बेफिजूल का विरोध हो रहा है. सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा कर गलत संदेश दिया जा रहा है.
केजी बहल ने कहा कि भारतीय सेना द्वारा पहले की तरह ही एक सशक्त फौजी के रूप में अग्निपथ योजना में सैनिक तैयार किए जाएंगे, जो तकनीकी और मानसिक रूप से उतने ही सक्षम होंगे जितने पहले के जवान युद्ध भूमि में दुश्मन को कड़ा मुकाबला देते रहे हैं. केजी बहल के मुताबिक 4 साल की अग्निपथ स्कीम न सिर्फ देश में लगातार बढ़ रही बेरोजगारी को कम करने का काम करेगी, बल्कि युवाओं का भविष्य भी बेहतर करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है.
क्या है अग्निपथ योजना: देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 14 जून को ‘अग्निपथ’ नाम की योजना शुरू करने की घोषणा की. इसमें चार साल के लिए सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती होगी. योजना के तहत चुने गए युवाओं को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा और इस साल करीब 46 हजार युवाओं को सहस्त्र बलों में शामिल करने की योजना है. हालांकि केंद्र सरकार की इस घोषणा के बाद से देश के अलग-अलग राज्यों में अग्निपथ योजना के खिलाफ असंतोष नजर आया है.
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‘अग्निपथ’ योजना में क्या होगा: केंद्र की अग्निपथ योजना के तहत इस साल 46 हजार युवाओं को सहस्त्र बलों में शामिल किया जाना है. योजना के मुताबिक युवाओं की भर्ती चार साल के लिए होगी और उन्हें ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा. अग्निवीरों की उम्र 17 से 21 वर्ष के बीच होगी और 30-40 हजार प्रतिमाह वेतन मिलेगा. योजना के मुताबिक भर्ती हुए 25 फीसदी युवाओं को सेना में आगे मौका मिलेगा और बाकी 75 फीसदी को नौकरी छोड़नी पड़ेगी.