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हॉस्पिटल के बाहर बिचौलियों का बढ़ता जाल प्रबंधन के लिए बना सिरदर्द, ऐसे होता है कमीशन का खेल

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Published : Jul 21, 2019, 6:24 AM IST

Updated : Jul 21, 2019, 7:45 AM IST

राजधानी का दून मेडिकल कॉलेज इन दिनों बिचौलियों का अड्डा बनता जा रहा है. बड़ी संख्या में सक्रिय बिचौलिये मरीजों को झांसे में लेकर प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती करवा रहे हैं.

मेडिकल कॉलेज

देहरादूनः उत्तराखंड के सबसे बड़े दून मेडिकल कॉलेज में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. दरअसल यहां बड़ी संख्या में बिचौलिये सक्रिय हैं. मेडिकल कॉलेज के गेट पर आते ही बिचौलिये मरीजों को ट्रेप करके देहरादून में संचालित कुछ ट्रॉमा सेंटरों पर सस्ते इलाज का झांसा देकर अपनी प्राइवेट एंबुलेंस मे बैठाकर रफूचक्कर हो जाते हैं.

दून मेडिकल कॉलेज में बिचौलिए डेरा डाले हैं.

मेडिकल कॉलेज में आए मरीज उनके झांसे में आकर प्राइवेट नर्सिंग होमों का रुख करने को मजबूर हो जाते हैं. ट्रॉमा सेंटर और कुछ नर्सिंग होम के साथ बिचौलियों की सांठगांठ के चलते ये धंधा काफी फलफूल रहा है.

मेडिकल कॉलेज में बिचौलियों की आमद होने से अस्पताल प्रबंधन भी परेशान है. अस्पताल प्रबंधन ने इसकी शिकायत बाकायदा पुलिस के आलाधिकारियों से की है.

यह भी पढ़ेंः दिल्ली: शीला दीक्षित के निधन पर दो दिन का राजकीय शोक घोषित

दलाल अपने जाल में फंसाकर उन्हें ट्रैप करने में लगे हुए हैं. आलम यह है कि दून अस्पताल के गेट से इमरजेंसी की दूरी महज कुछ मीटर है, लेकिन यहां सक्रिय दलाल मरीज को अपने झांसे में लेकर रफूचक्कर हो जाते हैं. जहां से उन दलालों का कमीशन तय है, वहां उस मरीज को ले जाकर भर्ती करवा देते हैं.

सूत्रों द्वारा बताया गया है कि अस्पताल में सक्रिय हो रहे दलालों का शहर मे संचालित कुछ प्राइवेट सेंटरों में मरीजों को लाने के बदले में मोटा कमीशन तय है. देहरादून के जिला अस्पतालों में चलाए जाने वाले दून अस्पताल को परिवर्तित करके मेडिकल कॉलेज का स्वरूप प्रदान किया गया है. लोगों के साथ-साथ यहां के डॉक्टरों को भी उम्मीद थी कि यह मेडिकल कॉलेज स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप उतरेगा.

दून अस्पताल कैंपस में सक्रिय दलालों का गिरोह न सिर्फ अस्पताल प्रबंधन के लिए सिरदर्द साबित हो रहे हैं बल्कि वहां इलाज कराने आये मरीजों को ट्रैप करके अन्य प्राइवेट अस्पतालों में ले जा रहे हैं. उसके एवज में प्राइवेट सेंटरों द्वारा दलालों को बतौर इनाम स्वरूप कमीशन दिया जाता है.

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के घंटाघर से महज कुछ कदमों की दूरी पर इस प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी दून मेडिकल कॉलेज है. यहां उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी सहित उत्तराखंड के मैदानी जिलों और उत्तराखंड की सीमा से लगते उत्तर प्रदेश के आसपास के जिलों से मरीज अपना इलाज कराने यहां आते हैं.

मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी के आसपास सक्रिय बिचौलियों का गिरोह वहां इलाज कराने आये मरीजों को अपने जाल मे फंसाकर निजी अस्पतालों में ले जाते हैं. ऐसे तत्वों से अस्पताल प्रबंधन भी परेशान है. इस संबंध में दून मेडिकल कॉलेज के डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ एन एस खत्री का कहना है कि उनके संज्ञान में भी आया है कि कुछ प्राइवेट एंबुलेंस संचालक कुछ लोगों के साथ मिलकर कैंपस के भीतर और बाहर सक्रिय रहते हैं.

यह भी पढ़ेंः देहरादून: 7500 सीट और रजिस्ट्रेशन 23 हजार से अधिक, कैसे होगा एडमिशन?

दुर्भाग्य से पेशेंट और उसके परिजन इमरजेंसी में आने से पहले ही ट्रेप किए जा रहे हैं. ये लोग उन्हें बरगला कर कहीं और ले जा रहे हैं. इससे पूर्व भी इस प्रकार का एक केस पहले भी अस्पताल प्रबंधन के समक्ष आया था. उस दौरान बिचौलियों पर कार्रवाई भी की गई थी, लेकिन जिस मरीज को प्राइवेट अस्पताल में बरगला कर ले जाया जा रहा था वो मरीज मौके से जा चुका था. इसलिए अस्पताल प्रबंधन इनके खिलाफ अग्रिम कार्रवाई नहीं कर पाया था.

उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन की यही जिम्मेदारी है कि इमरजेंसी में आए किसी मरीज को ट्रैप करके कहीं और न ले जाया जाए. मगर ये दु:खद विषय है कि अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में आने से पहले ही बिचौलिये मरीज को बहला-फुसलाकर कहीं और ले जाते हैं.

इस मामले में कैंपस के भीतर स्थित दून पुलिस चौकी का रवैया भी नकारात्मक है. इसकी शिकायत एडीजी लॉ एंड आर्डर से भी की गई है. साथ ही सीओ को भी पत्र लिखा जा चुका है.

यह भी पढ़ेंः ग्रामीणों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल, मंत्री रेखा आर्य को भेजा ज्ञापन

दरअसल दून मेडिकल कॉलेज में गरीब मरीज इस आस में इलाज कराने आते हैं कि वहां उन्हें बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध होंगी. मगर ऐसे मरीजों को चिन्हित करके वहां सक्रिय बिचौलिए उन्हें बहला-फुसलाकर प्राइवेट अस्पतालों की ओर ले जा रहे हैं.

जिसके एवज में उन्हें उपहार स्वरूप निजी अस्पताल की ओर से कमीशन दिया जाता है. अस्पताल प्रबंधन ने भी इस विषय को गंभीरता से लेते हुए पुलिस से शिकायत की है और मरीजों को ट्रैप कर रहे बिचौलियों पर लगाम लगाने को कहा है.

देहरादूनः उत्तराखंड के सबसे बड़े दून मेडिकल कॉलेज में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. दरअसल यहां बड़ी संख्या में बिचौलिये सक्रिय हैं. मेडिकल कॉलेज के गेट पर आते ही बिचौलिये मरीजों को ट्रेप करके देहरादून में संचालित कुछ ट्रॉमा सेंटरों पर सस्ते इलाज का झांसा देकर अपनी प्राइवेट एंबुलेंस मे बैठाकर रफूचक्कर हो जाते हैं.

दून मेडिकल कॉलेज में बिचौलिए डेरा डाले हैं.

मेडिकल कॉलेज में आए मरीज उनके झांसे में आकर प्राइवेट नर्सिंग होमों का रुख करने को मजबूर हो जाते हैं. ट्रॉमा सेंटर और कुछ नर्सिंग होम के साथ बिचौलियों की सांठगांठ के चलते ये धंधा काफी फलफूल रहा है.

मेडिकल कॉलेज में बिचौलियों की आमद होने से अस्पताल प्रबंधन भी परेशान है. अस्पताल प्रबंधन ने इसकी शिकायत बाकायदा पुलिस के आलाधिकारियों से की है.

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दलाल अपने जाल में फंसाकर उन्हें ट्रैप करने में लगे हुए हैं. आलम यह है कि दून अस्पताल के गेट से इमरजेंसी की दूरी महज कुछ मीटर है, लेकिन यहां सक्रिय दलाल मरीज को अपने झांसे में लेकर रफूचक्कर हो जाते हैं. जहां से उन दलालों का कमीशन तय है, वहां उस मरीज को ले जाकर भर्ती करवा देते हैं.

सूत्रों द्वारा बताया गया है कि अस्पताल में सक्रिय हो रहे दलालों का शहर मे संचालित कुछ प्राइवेट सेंटरों में मरीजों को लाने के बदले में मोटा कमीशन तय है. देहरादून के जिला अस्पतालों में चलाए जाने वाले दून अस्पताल को परिवर्तित करके मेडिकल कॉलेज का स्वरूप प्रदान किया गया है. लोगों के साथ-साथ यहां के डॉक्टरों को भी उम्मीद थी कि यह मेडिकल कॉलेज स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप उतरेगा.

दून अस्पताल कैंपस में सक्रिय दलालों का गिरोह न सिर्फ अस्पताल प्रबंधन के लिए सिरदर्द साबित हो रहे हैं बल्कि वहां इलाज कराने आये मरीजों को ट्रैप करके अन्य प्राइवेट अस्पतालों में ले जा रहे हैं. उसके एवज में प्राइवेट सेंटरों द्वारा दलालों को बतौर इनाम स्वरूप कमीशन दिया जाता है.

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के घंटाघर से महज कुछ कदमों की दूरी पर इस प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी दून मेडिकल कॉलेज है. यहां उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी सहित उत्तराखंड के मैदानी जिलों और उत्तराखंड की सीमा से लगते उत्तर प्रदेश के आसपास के जिलों से मरीज अपना इलाज कराने यहां आते हैं.

मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी के आसपास सक्रिय बिचौलियों का गिरोह वहां इलाज कराने आये मरीजों को अपने जाल मे फंसाकर निजी अस्पतालों में ले जाते हैं. ऐसे तत्वों से अस्पताल प्रबंधन भी परेशान है. इस संबंध में दून मेडिकल कॉलेज के डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ एन एस खत्री का कहना है कि उनके संज्ञान में भी आया है कि कुछ प्राइवेट एंबुलेंस संचालक कुछ लोगों के साथ मिलकर कैंपस के भीतर और बाहर सक्रिय रहते हैं.

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दुर्भाग्य से पेशेंट और उसके परिजन इमरजेंसी में आने से पहले ही ट्रेप किए जा रहे हैं. ये लोग उन्हें बरगला कर कहीं और ले जा रहे हैं. इससे पूर्व भी इस प्रकार का एक केस पहले भी अस्पताल प्रबंधन के समक्ष आया था. उस दौरान बिचौलियों पर कार्रवाई भी की गई थी, लेकिन जिस मरीज को प्राइवेट अस्पताल में बरगला कर ले जाया जा रहा था वो मरीज मौके से जा चुका था. इसलिए अस्पताल प्रबंधन इनके खिलाफ अग्रिम कार्रवाई नहीं कर पाया था.

उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन की यही जिम्मेदारी है कि इमरजेंसी में आए किसी मरीज को ट्रैप करके कहीं और न ले जाया जाए. मगर ये दु:खद विषय है कि अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में आने से पहले ही बिचौलिये मरीज को बहला-फुसलाकर कहीं और ले जाते हैं.

इस मामले में कैंपस के भीतर स्थित दून पुलिस चौकी का रवैया भी नकारात्मक है. इसकी शिकायत एडीजी लॉ एंड आर्डर से भी की गई है. साथ ही सीओ को भी पत्र लिखा जा चुका है.

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दरअसल दून मेडिकल कॉलेज में गरीब मरीज इस आस में इलाज कराने आते हैं कि वहां उन्हें बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध होंगी. मगर ऐसे मरीजों को चिन्हित करके वहां सक्रिय बिचौलिए उन्हें बहला-फुसलाकर प्राइवेट अस्पतालों की ओर ले जा रहे हैं.

जिसके एवज में उन्हें उपहार स्वरूप निजी अस्पताल की ओर से कमीशन दिया जाता है. अस्पताल प्रबंधन ने भी इस विषय को गंभीरता से लेते हुए पुलिस से शिकायत की है और मरीजों को ट्रैप कर रहे बिचौलियों पर लगाम लगाने को कहा है.

Intro: उत्तराखंड के सबसे बड़े दून मेडिकल कॉलेज में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दरअसल मेडिकल कॉलेज के गेट में आते ही वहां सक्रिय बिचौलिये मरीजों को ट्रेप करके देहरादून में संचालित कुछ ट्रॉमा सेंटरो पर सस्ते इलाज का आश्वासन देकर अपनी प्राइवेट एम्बुलेंस मे बैठाकर रफूचक्कर हो जाते हैं। मेडिकल कॉलेज में आया मरीज उनके झांसे में आकर प्राइवेट नर्सिंग होमों का रुख करने पर मजबूर हो जाता है, ट्रॉमा सेंटर और कुछ नर्सिंग होम्स के साथ बिचौलियों की साठगांठ के चलते ये धंधा काफी फलफूल रहा है, मेडिकल कॉलेज में बिचौलियों की आमद होने से अस्पताल प्रबंधन भी परेशान है, अस्पताल प्रबंधन ने इसकी शिकायत बाकायदा पुलिस के आलाधिकारियों से की है।
summary- उत्तराखंड के सबसे बड़े दून मेडिकल कॉलेज में वहां सक्रिय दलाल अस्पताल के गेट में मरीज के एंटर होने के दौरान अपने जाल में फंसा कर उन्हें ट्रैप करने में लगे हुए हैं। आलम यह है कि दून अस्पताल के गेट से इमरजेंसी की दूरी महज कुछ मीटर है, लेकिन इसी दौरान वहां सक्रिय दलाल मरीज को अपने झांसे में लेकर से टाइप कर लेते हैं और जहां से उन दलालों का कमीशन तय है वहां उस मरीज को ले जाकर भर्ती करवा देते हैं। सूत्रों द्वारा बताया गया है कि अस्पताल मे सक्रिय हो रखे दलालों का शहर मे संचालित कुछ प्राइवेट सेंटरो मे मरीजों को लाने के बदले मे मोटा कमीशन तय है।


Body:देहरादून के जिला अस्पतालों में चलाए जाने वाले दून अस्पताल को परिवर्तित करके मेडिकल कॉलेज का स्वरूप प्रदान किया गया है। लोगों के साथ साथ यहां के डॉक्टरों को भी उम्मीद थी कि यह मेडिकल कॉलेज स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप उतरेगा, लेकिन दून अस्पताल कैंपस में सक्रिय दलालों का गिरोह ना सिर्फ अस्पताल प्रबंधन के लिए सिरदर्द साबित हो रहे हैं बल्कि वहां इलाज कराने आये मरीजों को ट्रैप करके अन्य प्राइवेट अस्पतालों में ले जा रहे हैं, उसकी एवज में प्राइवेट सेंटरो द्वारा दलालों को बतौर इनाम स्वरूप कमीशन दिया जाता है।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के घंटाघर से महज कुछ कदमों की दूरी पर इस प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी दून मेडिकल कॉलेज है। यहां उत्तरकाशी, टिहरी ,पौड़ी सहित उत्तराखंड के मैदानी जिलों और और उत्तराखंड की सीमा से लगते उत्तर प्रदेश के आसपास के जिलों से मरीज अपना इलाज कराने यहां आते हैं।लेकिन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी के आसपास सक्रिय बिचौलियों का गिरोह वहां इलाज कराने आये मरीजों को अपने जाल मे फसांकर निजी अस्पतालों मे ले जाते हैं।ऐसे तत्वों से अस्पताल प्रबंधन भी परेशान है। इस संबंध में दून मेडिकल कॉलेज के डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ एन एस खत्री का कहना है कि उनके संज्ञान में भी आया है कि कुछ प्राइवेट एंबुलेंस संचालक कुछ लोगों के साथ मिलकर कैंपस के भीतर और बाहर सक्रिय रहते हैं। दुर्भाग्य से पेशेंट और उसके परिजन इमरजेंसी में आने से पहले ही ट्रेप किए जा रहे हैं। ये लोग उन्हें बरगला कर कहीं और ले जा रहे हैं। इससे पूर्व भी इस प्रकार का एक केस पहले भी अस्पताल प्रबंधन के समक्ष आया था, उस दौरान बिचौलियों पर कार्रवाई भी की गई थी, लेकिन जिस मरीज को प्राइवेट अस्पताल मे बरगला कर ले जाया जा रहा था वो मरीज मौके से जा चुका था इसलिए अस्पताल प्रबंधन इनके खिलाफ अग्रिम कार्रवाई नहीं कर पाया था। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन की यही जिम्मेदारी है कि इमरजेंसी में आए किसी मरीज को ट्रैप करके कहीं और ना ले जाया जाए। मगर ये दुखद विषय है कि अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में आने से पहले ही बिचौलिये मरीज को बहला-फुसलाकर कहीं और ले जाते हैं, इस मामले में कैंपस के भीतर स्थित दून पुलिस चौकी का रवैया भी नकारात्मक है। इसकी शिकायत एडीजी लॉ एंड आर्डर से भी की गई है, और और साथ ही सीओ को भी पत्र लिखा जा चुका है।

बाईट- डॉ एन एस खत्री ,डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, दून मेडिकल कॉलेज


Conclusion:दरअसल दून मेडिकल कॉलेज में गरीब मरीज इस आस में इलाज कराने आते हैं कि वहां उन्हें बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध होंगी। मगर ऐसे मरीजों को चिन्हित करके वहां सक्रिय बिचौलिए उन्हें बहला-फुसलाकर प्राइवेट अस्पतालों की ओर ले जा रहे हैं जिसकी एवज में उन्हें उपहार स्वरूप निजी अस्पताल की ओर से कमीशन दिया जाता है, अस्पताल प्रबंधन ने भी इस विषय को गंभीरता से लेते हुए पुलिस से शिकायत की है ,और मरीजों को ट्रैप कर रहे बिचौलियों पर लगाम लगाने को कहा है।
Last Updated : Jul 21, 2019, 7:45 AM IST
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