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बाल विकास मंत्री ने कुपोषित बच्ची का कराया इलाज

प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बुधवार को अपने द्वारा गोद ली गई ढाई साल की कुपोषित बच्ची निहारिका से मुलाकात कर दून अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ से उसका इलाज करावाया.

बाल विकास मंत्री ने कुपोषित बच्ची का कराया इलाज.
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Published : Sep 12, 2019, 10:08 AM IST

देहरादून: प्रदेश के नौनिहालों में कुपोषण दूर करने के लिए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हालहि में एक विशेष अभियान की शुरूआत की है. जिसके तहत सूबे के हर मंत्री और अधिकारी को एक कुपोषित बच्चे को गोद लेने कि जिम्मेदारी दी गई है. इसी क्रम में बुधवार को प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने अपने द्वारा गोद ली गई ढाई साल की कुपोषित बच्ची निहारिका से मुलाकात की और दून अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ से उसका इलाज करावाया.

बाल विकास मंत्री ने कुपोषित बच्ची का कराया इलाज.

बता दें कि निहारिका के पिता दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. ऐसे में परिवार की माली हालत ठीक न होने की वजह से निहारिका कुपोषण का शिकार है.

पढ़ें: सर्राफा व्यापारी ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, पुलिस जांच में जुटी

वहीं, दून अस्पताल में निहारिका के इलाज के लिए पहुंची मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि डॉक्टर की ओर से निहारिका को कुपोषण से बाहर निकालने के लिए एक डाइट चार्ट दिया गया है. ऐसे में इस डाइट चार्ट में दी गई दवाइयां और अन्य पौष्टिक आहारों को वह निहारिका के परिजनों को उपलब्ध कराएंगी, जिससे निहारिका जल्द जल्द तंदरुस्त हो सकेगी.

बता दें कि महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के मुताबिक प्रदेश में 17 हजार कुपोषित बच्चे हैं. जिसमें अति कुपोषित बच्चों की संख्या 1600 है.

बच्चों में कुपोषण के कुछ प्रमुख लक्षण-

  • भूख न लगना
  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • खेलते हुए जल्द थक जाना
  • शरीर में खून की कमी
  • चिड़चिड़ापन
  • कमजोर प्रतिरक्षा

देहरादून: प्रदेश के नौनिहालों में कुपोषण दूर करने के लिए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हालहि में एक विशेष अभियान की शुरूआत की है. जिसके तहत सूबे के हर मंत्री और अधिकारी को एक कुपोषित बच्चे को गोद लेने कि जिम्मेदारी दी गई है. इसी क्रम में बुधवार को प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने अपने द्वारा गोद ली गई ढाई साल की कुपोषित बच्ची निहारिका से मुलाकात की और दून अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ से उसका इलाज करावाया.

बाल विकास मंत्री ने कुपोषित बच्ची का कराया इलाज.

बता दें कि निहारिका के पिता दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. ऐसे में परिवार की माली हालत ठीक न होने की वजह से निहारिका कुपोषण का शिकार है.

पढ़ें: सर्राफा व्यापारी ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, पुलिस जांच में जुटी

वहीं, दून अस्पताल में निहारिका के इलाज के लिए पहुंची मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि डॉक्टर की ओर से निहारिका को कुपोषण से बाहर निकालने के लिए एक डाइट चार्ट दिया गया है. ऐसे में इस डाइट चार्ट में दी गई दवाइयां और अन्य पौष्टिक आहारों को वह निहारिका के परिजनों को उपलब्ध कराएंगी, जिससे निहारिका जल्द जल्द तंदरुस्त हो सकेगी.

बता दें कि महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के मुताबिक प्रदेश में 17 हजार कुपोषित बच्चे हैं. जिसमें अति कुपोषित बच्चों की संख्या 1600 है.

बच्चों में कुपोषण के कुछ प्रमुख लक्षण-

  • भूख न लगना
  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • खेलते हुए जल्द थक जाना
  • शरीर में खून की कमी
  • चिड़चिड़ापन
  • कमजोर प्रतिरक्षा
Intro:देहरादून- प्रदेश के नौनिहालों में कुपोषण दूर करने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कि ओर से हालहि में विशेष अभियान की शुरूआत की गई है । जिसके तहत सूबे के हर मंत्री और अधिकारी को एक कुपोषित बच्चे को गोद लेने कि जिम्मेदारी दी गई है ।

ऐसे में मुख्यमंत्री के इस खास अभियान के तहत आज प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने अपने द्वारा गोद ली गई ढाई साल की कुपोषित बच्ची निहारिका से मुलाकात की। साथ ही उन्होंने बच्ची का दून अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ से इलाज भी कराया।

बता दें कि मासूम बच्ची निहारिका के पिता दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं । ऐसे में परिवार की माली हालत ठीक न होने की वजह से निहारिका कुपोषण का शिकार है ।




Body:वहीं दून अस्पताल में मासूम निहारिका के इलाज के लिए पहुंची मंत्री रेखा आर्य ने बताया की डॉक्टर की ओर से निहारिका को कुपोषण से बाहर निकालने के लिए एक डाइट चार्ट दिया गया है। ऐसे में इस डाइट चार्ट में दी गई दवाइयां और अन्य पौष्टिक आहारों को वह निहारिका के परिजनों को उपलब्ध कराएगी । जिससे निहारिका जल्द जल्द तंदरुस्त हो सकेगी ।





Conclusion:आपको बता दें कि महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के मुताबिक प्रदेश में 17000 कुपोषित बच्चे हैं । वहीं अति कुपोषित बच्चों की संख्या 1600 है । ऐसे भी कुपोषण के खिलाफ मुख्यमंत्री के इस विशेष अभियान का तात्पर्य यह है कि प्रदेश के अधिकारी और मंत्री 1 कुपोषित बच्चे को गोद लेकर उसके देखभाल की जिम्मेदारी उठाएंगे । यानी कि जिस पोस्टिक आहार कि बच्चे को जरूरत होगी । उस पोष्टिक आहार को संबंधित अधिकारी या मंत्री बच्चे के परिवार को उपलब्ध कराएंगे । इससे प्रदेश में कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की संख्या कम हो सकेगी ।

बच्चों में कुपोषण के कुछ प्रमुख लक्षण-
- भूख न लगना
- मांसपेशियों में कमजोरी
- खेलते हुए जल्द थक जाना
-शरीर में खून की कमी
- चिड़चिड़ापन
-कमजोर प्रतिरक्षा


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