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उत्तराखंड में राशन की कालाबाजारी पर लगेगी रोक, 7 हजार दुकानें हुई डिजिटल

प्रदेश भर में राशन वितरण की करीब 9,000 दुकानें हैं. ऐसे में राशन वितरण की धांधली और कालाबाजारी को रोकने के लिए राशन की दुकानों पर लैपटॉप, प्रिंटर और बायोमेट्रिक मशीनें दी गई है. वहीं, खाद्य विभाग अभीतक करीब 7,000 राशन की दुकानों पर डिजिटल कर चुका है.

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कालाबाजारी रोकने के लिए सख्त हुआ खाद्य विभाग
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Published : Dec 28, 2019, 9:02 PM IST

Updated : Dec 28, 2019, 9:12 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड खाद्य विभाग राशन की कालाबाजारी को रोकने को लेकर सजग हो चुका है. जिसके लिए राशन वितरण प्रणाली का स्पाइस चैन मैनेजमेंट और सस्ता गल्ला विक्रेता को कंप्यूटरीकृत किया जा रहा है. इसके अलावा 'एक राष्ट्र एक राशन कार्ड' योजना के तहत प्रदेश के सभी राशन कार्ड धारकों को आधार से लिंक करने कि कवायद तेज कर दी गई है.

कालाबाजारी रोकने के लिए सख्त हुआ खाद्य विभाग

मौजूद समय मे राशन वितरण प्रणाली का स्पाइस चैन मैनेजमेंट और सस्ता गल्ला विक्रेता (जो राशन बांटते) इन दोनों प्रक्रियाओं का ऑटोमेशन जोर-शोर से किया जा रहा है. इसके अंतर्गत एफसीआई और राज्य के गोदामों से जो राशन भेजा जाता है, उस प्रक्रिया को कंप्यूटरीकृत किया गया है. इसमें करीब 90% राशन का वितरण कंप्यूटरीकृत प्रक्रिया के अंतर्गत हुआ है. बाकी बचे 10% राशन वितरण प्रक्रिया को जल्द ही कंप्यूटरीकृत कर लिया जाएगा.

पढ़ें-रुड़की: कड़ाके की ठंड से बाजारों से ग्राहक नदारद, व्यापारियों में छाई मायूसी

5,000 दुकानों पर बायोमेट्रिक से वितरित किया जा रहा राशन
प्रदेश भर में राशन वितरण की करीब 9,000 दुकानें हैं. लिहाजा राशन वितरण की धांधली और कालाबाजारी को रोकने के लिए राशन की दुकानों पर लैपटॉप, प्रिंटर और बायोमेट्रिक मशीनें दी गई हैं.अभी तक करीब 7,000 राशन की दुकानों पर यह व्यवस्थाएं उपलब्ध करा दी गई हैं. जिसमें से नवंबर महीने में करीब 5,000 राशन वितरण की दुकानों से बायोमेट्रिक तरीके से राशन वितरण किया गया है.

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94 फीसदी राशन कार्ड आधार से हुए लिंक
प्रदेश भर के करीब 23 लाख 32 हजार राशन कार्ड धारकों में से करीब 94 फ़ीसदी राशन कार्ड, आधार से लिंक हो चुके हैं. यही नहीं करीब 60 फीसदी राशन कार्डों को आधार से लिंक करने के बाद इन आधार कार्डों का वेलिडेशन भी कराया जा चुका है. बाकी बचे राशन कार्ड धारकों के राशन कार्ड भी जल्द ही आधार कार्ड से लिंक करा दिये जाएंगे.

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कंप्यूटराइज प्रक्रिया से राशन की कालाबाजारी पर लगेगी रोक
खाद्य सचिव सुशील कुमार ने बताया कि जब खाद्य वितरण की पूरी प्रक्रिया कंप्यूटराइज हो जाएगी तो इससे राशन की कालाबाजारी बंद हो जाएगी. उन्होंने बताया इससे हर चीज को तय समय पर करना होगा, जिससे कालाबाजारी करने वाले नहीं बच सकते हैं.

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प्रदेश में तीन तरह के राशन कार्ड धारक हैं
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत दो तरह के राशन कार्ड धारक हैं. जिसमें अंत्योदय और प्राथमिक परिवार कार्ड शामिल है. इससे अलग जो राशन लेने से वंचित रह जाते हैं उन्हे राज्य खाद्य योजना के अंतर्गत थोड़ा राशन भारत सरकार की तरफ से और थोड़ा राशन राज्य सरकार की तरफ से दिया जाता है. खाद्य सचिव सुशील कुमार ने बताया कि अंत्योदय के तहत 35 किलोग्राम, प्राथमिक परिवार कार्ड पर 5 किलोग्राम प्रति यूनिट और राज्य योजना के तहत 15 किलोग्राम राशन देने की व्यवस्था है. इसके साथ ही प्रत्येक परिवार को हर माह में 2 किलो चना दाल कम कीमत पर मुहैया कराई जा रही है.

देहरादून: उत्तराखंड खाद्य विभाग राशन की कालाबाजारी को रोकने को लेकर सजग हो चुका है. जिसके लिए राशन वितरण प्रणाली का स्पाइस चैन मैनेजमेंट और सस्ता गल्ला विक्रेता को कंप्यूटरीकृत किया जा रहा है. इसके अलावा 'एक राष्ट्र एक राशन कार्ड' योजना के तहत प्रदेश के सभी राशन कार्ड धारकों को आधार से लिंक करने कि कवायद तेज कर दी गई है.

कालाबाजारी रोकने के लिए सख्त हुआ खाद्य विभाग

मौजूद समय मे राशन वितरण प्रणाली का स्पाइस चैन मैनेजमेंट और सस्ता गल्ला विक्रेता (जो राशन बांटते) इन दोनों प्रक्रियाओं का ऑटोमेशन जोर-शोर से किया जा रहा है. इसके अंतर्गत एफसीआई और राज्य के गोदामों से जो राशन भेजा जाता है, उस प्रक्रिया को कंप्यूटरीकृत किया गया है. इसमें करीब 90% राशन का वितरण कंप्यूटरीकृत प्रक्रिया के अंतर्गत हुआ है. बाकी बचे 10% राशन वितरण प्रक्रिया को जल्द ही कंप्यूटरीकृत कर लिया जाएगा.

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5,000 दुकानों पर बायोमेट्रिक से वितरित किया जा रहा राशन
प्रदेश भर में राशन वितरण की करीब 9,000 दुकानें हैं. लिहाजा राशन वितरण की धांधली और कालाबाजारी को रोकने के लिए राशन की दुकानों पर लैपटॉप, प्रिंटर और बायोमेट्रिक मशीनें दी गई हैं.अभी तक करीब 7,000 राशन की दुकानों पर यह व्यवस्थाएं उपलब्ध करा दी गई हैं. जिसमें से नवंबर महीने में करीब 5,000 राशन वितरण की दुकानों से बायोमेट्रिक तरीके से राशन वितरण किया गया है.

पढ़ें-रुड़की: कड़ाके की ठंड से बाजारों से ग्राहक नदारद, व्यापारियों में छाई मायूसी
94 फीसदी राशन कार्ड आधार से हुए लिंक
प्रदेश भर के करीब 23 लाख 32 हजार राशन कार्ड धारकों में से करीब 94 फ़ीसदी राशन कार्ड, आधार से लिंक हो चुके हैं. यही नहीं करीब 60 फीसदी राशन कार्डों को आधार से लिंक करने के बाद इन आधार कार्डों का वेलिडेशन भी कराया जा चुका है. बाकी बचे राशन कार्ड धारकों के राशन कार्ड भी जल्द ही आधार कार्ड से लिंक करा दिये जाएंगे.

पढ़ें-रुड़की: कड़ाके की ठंड से बाजारों से ग्राहक नदारद, व्यापारियों में छाई मायूसी

कंप्यूटराइज प्रक्रिया से राशन की कालाबाजारी पर लगेगी रोक
खाद्य सचिव सुशील कुमार ने बताया कि जब खाद्य वितरण की पूरी प्रक्रिया कंप्यूटराइज हो जाएगी तो इससे राशन की कालाबाजारी बंद हो जाएगी. उन्होंने बताया इससे हर चीज को तय समय पर करना होगा, जिससे कालाबाजारी करने वाले नहीं बच सकते हैं.

पढ़ें-रुड़की: कड़ाके की ठंड से बाजारों से ग्राहक नदारद, व्यापारियों में छाई मायूसी

प्रदेश में तीन तरह के राशन कार्ड धारक हैं
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत दो तरह के राशन कार्ड धारक हैं. जिसमें अंत्योदय और प्राथमिक परिवार कार्ड शामिल है. इससे अलग जो राशन लेने से वंचित रह जाते हैं उन्हे राज्य खाद्य योजना के अंतर्गत थोड़ा राशन भारत सरकार की तरफ से और थोड़ा राशन राज्य सरकार की तरफ से दिया जाता है. खाद्य सचिव सुशील कुमार ने बताया कि अंत्योदय के तहत 35 किलोग्राम, प्राथमिक परिवार कार्ड पर 5 किलोग्राम प्रति यूनिट और राज्य योजना के तहत 15 किलोग्राम राशन देने की व्यवस्था है. इसके साथ ही प्रत्येक परिवार को हर माह में 2 किलो चना दाल कम कीमत पर मुहैया कराई जा रही है.

Intro:उत्तराखंड खाद्य विभाग, राशन के कालाबाजारी को रोकने को लेकर राशन वितरण प्रणाली का स्पाइस चैन मैनेजमेंट और सस्ता गल्ला विक्रेता को कंप्यूटरीकृत के साथ ही एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना के तहत प्रदेश के सभी राशन कार्ड धारकों के राशन कार्ड को आधार से लिंक करने कि कवायत में जुटा हुआ है। हालांकि क्या है राशन कार्ड धारकों को आधार से लिंक करने की स्तिथि, इसके साथ ही कितने सस्ता गल्ला विक्रेता अभी तक हुए है कंप्यूटरीकृत? देखिए ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट में......


Body:मौजूद समय मे राशन वितरण प्रणाली का स्पाइस चैन मैनेजमेंट और सस्ता गल्ला विक्रेता (जो राशन बांटते) इन दोनों प्रक्रियाओं का ऑटोमेशन, जोरो शोरो से किया जा रहा है, यानी इसके अंतर्गत जो एफसीआई और राज्य के गोदामों से जो राशन भेजा जाता है। उस प्रक्रिया को कंप्यूटरीकृत किया गया है। और करीब 90% राशन का वितरण कंप्यूटरीकृत प्रक्रिया के अंतर्गत हुई है बाकी बचे राशन वितरण के 10% कंप्यूटरीकृत प्रक्रिया को भी जल्दी पूरी कर ली जाएगी। 


5,000 दुकानों पर बायोमेट्रिक से वितरित किए जा रहे हैं राशन.....

प्रदेश भर में राशन वितरण की करीब 9,000 दुकानें हैं। लिहाजा राशन वितरण की धांधली और कालाबाजारी को रोकने के लिए राशन की दुकानों पर लैपटॉप, प्रिंटर और बायोमेट्रिक मशीनें दी गई हैं। और अभी तक करीब 7,000 राशन की दुकानों पर यह व्यवस्थाएं उपलब्ध करा दी गई हैं। जिसमें से नवंबर महीने में करीब 5,000 राशन वितरण की दुकानों से बायोमेट्रिक तरीके से राशन वितरण किया गया है। 


94 फीसदी राशन कार्ड आधार से चुके हैं लिंक.......

प्रदेश भर के करीब 23 लाख 32 हज़ार राशन कार्ड धारकों में से करीब 94 फ़ीसदी राशन कार्ड, आधार से लिंक हो चुके हैं। यही नहीं करीब 60 फ़ीसदी राशन कार्ड का आधार से लिंक होने के बाद इन आधार कार्डो का वेलिडेशन भी कराया जा चुका है। बाकी बचे राशन कार्ड धारकों के राशन कार्ड को भी जल्द ही आधार कार्ड से लिंक कर दिया जाएगा।


कंप्यूटराइज प्रक्रिया से राशन कालाबाजारी पर लगेगी रोक........

खाद्य सचिव सुशील कुमार ने बताया कि जब खाद्य वितरण की सारी प्रक्रिया कंप्यूटराइज हो जाएगी, तो राशन की कालाबाजारी बंद हो जाएगी। क्योंकि हर चीज को तय समय पर करना होगा। चाहे वह राशन को गोदाम से उठाना हो या फिर राशन का वितरण करना हो। इसके साथ ही राशन उन्हीं जरूरतमंद लोगों को मिलेगा जिनके नाम पर राशन कार्ड बना हुआ है


प्रदेश में तीन तरह के हैं राशन कार्ड धारक........

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना जिसके अंतर्गत दो राशन कार्ड धारक है। जिसमें अन्तोदय, प्राथमिक परिवार के कार्ड शामिल है। इससे अलग जो राशन लेने से वंचित रह जाते हैं, उनको राज्य खाद्य योजना के अंतर्गत थोड़ा राशन भारत सरकार की तरफ से और थोड़ा राशन राज्य सरकार की तरफ से दिया जाता है। वही खाद्य सचिव सुशील कुमार ने बताया कि अन्तोदय के तहत 35 किलोग्राम, प्राथमिक परिवार कार्ड पर 5 किलोग्राम प्रत्येक यूनिट और राज्य योजना के तहत 15 किलोग्राम राशन देने की व्यवस्था है। इसके साथ ही प्रत्येक परिवार को हर माह 2 किलो चना दाल कम कीमत पर मुहैया करा रही है। और अन्य दालों के वितरण पर भी सरकार विचार कर रही है।

बाइट - सुशील कुमार, खाद्य सचिव




Conclusion:
Last Updated : Dec 28, 2019, 9:12 PM IST
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