वाराणसी: अब तक आपने भक्तों को नाथ के नाथ बाबा विश्वनाथ को मदार की माला, दूध और बेलपत्र चढ़ाते देखा होगा. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि बाबा विश्वनाथ गोलगप्पे और गुलाब जामुन के भी शौकीन हैं. यह बात सुनकर आपको थोड़ी हैरानी होगी. लेकिन, आपको हैरान होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि बाबा विश्वनाथ को औघड़दानी के रूप में भी जाना जाता है. बड़ी बात यह है कि औघड़दानी महादेव के भक्त भी बिल्कुल उन्हीं के मिजाज के अल्हडता के साथ ही उनकी पूजा करते हैं. आज हम आपको बाबा विश्वनाथ के ऐसे भक्त के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बाबा को दूध, मदार, भांग नहीं, बल्कि गोलगप्पे और गुलाब जामुन का स्वाद चखाता है.
सावन के पवित्र महीने में बाबा विश्वनाथ को प्रसन्न करने के लिए हर कोई काशी आता है और बाबा को जल अर्पण करता है. ऐसे में बनारस खानपान के लिए भी जाना जाता है. बनारस के गोलगप्पे और चाट पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. जिले के ढूंढी राज गणेश विश्वनाथ गली के पास विश्वनाथ चाट भंडार नाम की दुकान है. दुकान की खास बात यह है कि प्रत्येक दिन शाम के समय गोलगप्पे और गुलाब जामुन का भोग बाबा को लगाया जाता है. इसके बाद ही किसी ग्राहक को गोलगप्पा और चार्ट खिलाया जाता है. कई सालों से इस परंपरा को दुकान में निभाया जा रहा है.
राजू गुप्ता हर रोज अपनी दुकान पर बाबा विश्वनाथ के लिए गोलगप्पे तैयार करते हैं. दुकान लगाने के बाद चाहे जितनी भी भीड़ हो, राजू सबसे पहले बाबा विश्वनाथ के लिए गोलगप्पा और गुलाब जामुन पहुंचाते हैं. इसके बाद ग्राहकों को इसका स्वाद चखाते हैं. सबसे बड़ी बात है कि बाबा को भोग लगाने के लिए वह अपनी दुकान पर लहसुन और प्याज का प्रयोग नहीं करते हैं.
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राजू गुप्ता ने बताया कि बाबा को गोलगप्पा पसंद है. गोलगप्पा के साथ बाबा को थोड़ा मीठे के लिए गुलाब जामुन भी रख देते हैं. सुबह दुकान खुलते ही बाबा के लिए गोलगप्पा और गुलाब जामुन तैयार करके उनके दर तक पहुंचाया जाता है. ठंड के समय बाबा को चूड़ा, मटर और गाजर के हलवे का भी भोग लगता है. महीने में एक दो बार ठंडाई भी बाबा को भोग लगाई जाती है. राजू गुप्ता का कहना है कि जो भी अब तक जीवन में प्राप्त हुआ है, वह बाबा का ही दिया हुआ है.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक श्रीकांत मिश्र ने कहा कि कुछ भक्त ऐसे हैं, जिनकी चाट की दुकान है. भगवान को पदार्थ से मतलब नहीं होता. भगवान का भोजन तो सुगंधिम पुष्टिवर्धनम है. काशी में ऐसे परंपरागत लोग हैं, जिनकी जिस भी चीज की दुकान है वह बाबा को उसका भोग लगाते हैं.
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