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स्मार्ट सिटी के गांव का हाल: प्लास्टिक की छत और मिट्टी की दीवाल, सुने इस बार चुनाव में यह लोग क्या करेंगे कमाल

वक्त चुनाव का है ऐसे में सियासी पार्टियां अपने-अपने दावे जनता के सामने रख रही हैं, लेकिन जवाबदेही तो सरकार की बनती है जो चुनाव के वक्त अपने किए गए विकास के दावों को जनता के सामने पेश करती है. ईटीवी भारत लगातार उन दावों की हकीकत जानने के लिए ग्राउंड जीरो से रिपोर्टिंग कर रहा है. ऐसे में बनारसी दीदी भी बनारस के अलग-अलग हिस्सों में जाकर अलग-अलग लोगों से विकास की हकीकत और चुनावी मूड जानने की कोशिश कर रही है. इसी के तहत बनारसी दीदी की चुनावी चौपाल वाराणसी के रोहनिया स्थित ऊंच गांव पहुंची. जहां सरकार के विकास के दावे धरासाई नजर आए. पटेल बाहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र में 2017 के चुनाव में बीजेपी और अपना दल एस के गठबंधन से विधायक चुने गए. लगभग 5000 की आबादी वाले इस क्षेत्र का एक ऐसा भी इलाका है जहां आज भी पानी खरीद कर पिया जाता है और प्रधानमंत्री आवास योजना होने के बावजूद यहां लोग मिट्टी की दीवाल और प्लास्टिक से बने हुए कमरों में रहने को मजबूर हैं. क्या है पूरा माजरा बनारसी दीदी ने यहां के लोगों से जाना. साथ ही इस बार चुनाव में किसकी ओर यहां के लोग जाने वाले हैं. इस पर बातचीत की गई. आप भी देखें, बनारस के अविकसित गांव की कहानी और यहां के लोगों का चुनाव मूड क्या है.

बनारसी दीदी चौपाल.
बनारसी दीदी चौपाल.
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Published : Jan 22, 2022, 8:29 AM IST

वक्त चुनाव का है ऐसे में सियासी पार्टियां अपने-अपने दावे जनता के सामने रख रही हैं, लेकिन जवाबदेही तो सरकार की बनती है जो चुनाव के वक्त अपने किए गए विकास के दावों को जनता के सामने पेश करती है. ईटीवी भारत लगातार उन दावों की हकीकत जानने के लिए ग्राउंड जीरो से रिपोर्टिंग कर रहा है. ऐसे में बनारसी दीदी भी बनारस के अलग-अलग हिस्सों में जाकर अलग-अलग लोगों से विकास की हकीकत और चुनावी मूड जानने की कोशिश कर रही है. इसी के तहत बनारसी दीदी की चुनावी चौपाल वाराणसी के रोहनिया स्थित ऊंच गांव पहुंची. जहां सरकार के विकास के दावे धरासाई नजर आए.

बनारसी दीदी चौपाल.

पटेल बाहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र में 2017 के चुनाव में बीजेपी और अपना दल एस के गठबंधन से विधायक चुने गए. लगभग 5000 की आबादी वाले इस क्षेत्र का एक ऐसा भी इलाका है जहां आज भी पानी खरीद कर पिया जाता है और प्रधानमंत्री आवास योजना होने के बावजूद यहां लोग मिट्टी की दीवाल और प्लास्टिक से बने हुए कमरों में रहने को मजबूर हैं. क्या है पूरा माजरा बनारसी दीदी ने यहां के लोगों से जाना. साथ ही इस बार चुनाव में किसकी ओर यहां के लोग जाने वाले हैं. इस पर बातचीत की गई. आप भी देखें, बनारस के अविकसित गांव की कहानी और यहां के लोगों का चुनाव मूड क्या है.

वक्त चुनाव का है ऐसे में सियासी पार्टियां अपने-अपने दावे जनता के सामने रख रही हैं, लेकिन जवाबदेही तो सरकार की बनती है जो चुनाव के वक्त अपने किए गए विकास के दावों को जनता के सामने पेश करती है. ईटीवी भारत लगातार उन दावों की हकीकत जानने के लिए ग्राउंड जीरो से रिपोर्टिंग कर रहा है. ऐसे में बनारसी दीदी भी बनारस के अलग-अलग हिस्सों में जाकर अलग-अलग लोगों से विकास की हकीकत और चुनावी मूड जानने की कोशिश कर रही है. इसी के तहत बनारसी दीदी की चुनावी चौपाल वाराणसी के रोहनिया स्थित ऊंच गांव पहुंची. जहां सरकार के विकास के दावे धरासाई नजर आए.

बनारसी दीदी चौपाल.

पटेल बाहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र में 2017 के चुनाव में बीजेपी और अपना दल एस के गठबंधन से विधायक चुने गए. लगभग 5000 की आबादी वाले इस क्षेत्र का एक ऐसा भी इलाका है जहां आज भी पानी खरीद कर पिया जाता है और प्रधानमंत्री आवास योजना होने के बावजूद यहां लोग मिट्टी की दीवाल और प्लास्टिक से बने हुए कमरों में रहने को मजबूर हैं. क्या है पूरा माजरा बनारसी दीदी ने यहां के लोगों से जाना. साथ ही इस बार चुनाव में किसकी ओर यहां के लोग जाने वाले हैं. इस पर बातचीत की गई. आप भी देखें, बनारस के अविकसित गांव की कहानी और यहां के लोगों का चुनाव मूड क्या है.

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