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नवरात्रि का छठवां दिन: मां कात्यायनी के दर्शन से भक्तों को रोग, शोक और भय से मिलेगी मुक्ति - भगवती कात्यायनी के दर्शन

आज नवरात्रि का छठवां दिन है. इस दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति देवी कात्यायनी की पूजा करने का विधान है. ऐसा माना जाता है कि मां कात्यायनी की आराधना करने से सभी पाप और दुख नष्ट हो जाते हैं. भक्तों को रोग, शोक और भय से मुक्ति मिल जाती है.

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नवरात्रि का छठवां दिन
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Published : Apr 7, 2022, 10:46 AM IST

वाराणसी: आज चैत्र नवरात्रि का छठवां दिन है. इस दिन मां कात्यायनी का पूजन विधि-विधान से किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि मां के चरणों में हल्दी या दही चढ़ाने से अच्छे वर की प्राप्ति होती है. इसके लिए कन्या को मंगलवार और गुरुवार को लगातार 48 दिनों तक हल्दी-दही मां को अर्पित करना होता है. कात्यायनी देवी के मंदिर में मंगल और शनि से ग्रसित लोगों के लिए पूजन भी किया जाता है.

जिले के पक्का महल स्थित सिद्धेश्वरी में मां कात्यायनी देवी का मंदिर स्थापित है. यह मंदिर बहुत प्राचीन है. यहां मंगल और गुरुवार को विधि-विधान से पूजन किया जाता है. मंगल और गुरुवार को मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है. मंदिर परिसर में गणेश, शनि, शुक्र और मंगल जैसे ग्रहों की शांति के लिए पूजन-पाठ भी किया जाता है.

नवरात्रि का छठवां दिन

यह भी पढ़ें : आज की प्रेरणा : ममता और संताप रहित होकर मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए

कात्यायनी देवी मंदिर के महंत शिवशंकर मिश्र ने बताया कि नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी का दिन होता है. भगवती कात्यायनी के दर्शन करने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. कुंवारी कन्या मां को 40 दिन तक हल्दी का लेपन लगाती हैं. तभी उन्हें वर की प्राप्ति होती है. वहीं, लड़कों को भी कन्या प्राप्ति के लिए 40 दिन मां को हल्दी का लेपन करना होता है. पहले देवी मां की आरती की जाती है, उसके बाद भक्तों के लिए मंदिर के पट खोले जाते हैं. मंदिर में दर्शन के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है.

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वाराणसी: आज चैत्र नवरात्रि का छठवां दिन है. इस दिन मां कात्यायनी का पूजन विधि-विधान से किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि मां के चरणों में हल्दी या दही चढ़ाने से अच्छे वर की प्राप्ति होती है. इसके लिए कन्या को मंगलवार और गुरुवार को लगातार 48 दिनों तक हल्दी-दही मां को अर्पित करना होता है. कात्यायनी देवी के मंदिर में मंगल और शनि से ग्रसित लोगों के लिए पूजन भी किया जाता है.

जिले के पक्का महल स्थित सिद्धेश्वरी में मां कात्यायनी देवी का मंदिर स्थापित है. यह मंदिर बहुत प्राचीन है. यहां मंगल और गुरुवार को विधि-विधान से पूजन किया जाता है. मंगल और गुरुवार को मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है. मंदिर परिसर में गणेश, शनि, शुक्र और मंगल जैसे ग्रहों की शांति के लिए पूजन-पाठ भी किया जाता है.

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कात्यायनी देवी मंदिर के महंत शिवशंकर मिश्र ने बताया कि नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी का दिन होता है. भगवती कात्यायनी के दर्शन करने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. कुंवारी कन्या मां को 40 दिन तक हल्दी का लेपन लगाती हैं. तभी उन्हें वर की प्राप्ति होती है. वहीं, लड़कों को भी कन्या प्राप्ति के लिए 40 दिन मां को हल्दी का लेपन करना होता है. पहले देवी मां की आरती की जाती है, उसके बाद भक्तों के लिए मंदिर के पट खोले जाते हैं. मंदिर में दर्शन के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है.

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