वाराणसीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अपने दौरे के दूसरे दिन बरकी गांव में आयोजित जनसभा से बनारस रेल इंजन कारखाने में तैयार 10,000वें इंजन को देश को समर्पित किया. बनारस रेल इंजन कारखाने ने कारखाने ने अपना 10,000वां रेल इंजन तैयार कर उपब्लधियों के इतिहास में एक और अध्याय जोड़ दिया है. इस इंजन के बन जाने से भारतीय रेलवे के बेड़े में एक ऐसा इंजन शामिल हो गया है जो न सिर्फ अत्याधुनिक है, बल्कि एनर्जी के साथ ही प्रदूषण के बचाव में भी मदद करेगा.
बरेका का इंजनों के उत्पादन में कीर्तिमान
बनारस रेल इंजन कारखाना को पहले डीजल रेल इंजन कारखाना के नाम से जाना जाता था. इस कारखाने ने ALCO लोको तकनीक पर आधारित पहला लोकोमोटिव इंजन तैयार करके अपनी यात्रा शुरू कर न केवल रेल इंजनों के उत्पादन में कीर्तिमान स्थापित किया है, बल्कि रेल इंजनों की अश्व शक्ति में वृद्धि के साथ ही नयी-नयी तकनीक का भी विकास किया है. साल 2017 से बरेका ने विद्युत इंजन का निर्माण शुरू किया था. वर्तमान समय में बरेका रेलवे के लिए यात्री सेवा के लिए WAP7 और मालवाहक के लिए WAG9 इंजनों के निर्माण के साथ ही गैर रेलवे ग्राहकों और निर्यात के रेल इंजनों का उत्पाादन कर रहा है. आज बरेका के इतिहास में 10 हजारवां रेलवे इंजन जुड़ चुका है.
मौजूदा समय में 7,000 इलेक्ट्रिक इंजन
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि भारतीय रेल के लिए यह बड़ी सफलता इसलिए है, क्योंकि 10,000 जो नंबर है, वह बहुत मायने रखता है. पूरे भारतीय रेलवे में मौजूदा समय में करीब 7,000 इलेक्ट्रिक इंजन हैं. इसके साथ ही करीब 5,000 डीजल इंजन हैं. यह एक बहुत बड़ा फिगर है. इस साल जितने इंजन बनाए जा रहे हैं. वह पूरे यूरोप में जितने इंजन बनते हैं, उससे भी अधिक हैं. यह बरेका के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है". उन्होंने कहा कि वाराणसी में जब इसकी शुरुआत हुई थी तब साल में करीब 50 इंजन बनते थे. अब हम 500 के पार पहुंच गया है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय रेलवे ने कितना विकास किया है.
6000 हॉर्स पॉवर का सबसे पॉवरफुल इंजन
यह इंजन एक्सप्रेस को चलाने के लिए तैयार किया गया है. 6000 हॉर्स पॉवर का यह सबसे पावरफुल इंजन है, उनमें जो अभी भारतीय रेल में चल रहे हैं. यह विद्युत चालित इंजन हैं और एनर्जी एफिशिएंट है. इसकी स्पीड की अगर बात करें को 130 किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से है. उन्होंने बताया कि अभी जो 24 कोच की लंबी ट्रेनें हैं, उनको 130 किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से चलाने की क्षमता ये इंजन रखता है. इसमें होटल लोड का प्रोविजन है. इस कोच में एसी, लाइटें, पंखे आदि चलाने के लिए रेलवे को जेनरेटर या बिजली की जररूत नहीं है. इसी इंजन से सारी सप्लाई दी जाएगी.
बरेका की नींव राष्ट्रपति ने रखी थी
रेलवे से मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक बरेका 1687 विद्युत लोकोमोटिव, 7498 डीजल लोकोमोटिव, 172 निर्यातित लोकोमोटिव, गैर रेलवे ग्राहक हेतु 634 लोकोमोटिव, 01 डुएल (डीजल+विद्युत) मोड लोकोमोटिव, 08 डीजल से इलेक्ट्रिक में परिवर्तित लोकोमोटिव का निर्माण किया है. बरेका की नीव प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 23 अप्रैल 1956 को रखी थी. अगस्त 1961 में बरेका अपने अस्तित्व में आया. 03 जनवरी 1964 में पहला ब्राड गेज WDM2 का लोकार्पण पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने, नवम्बर 1968 में पहले मीटर गेज रेल इंजन YDM4 का लोकार्पण पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने किया था. बरेका ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक 10,000 रेल इंजन बनाकर एक इतिहास रचा है.
वंदे भारत ट्रेन का लोकार्पण
वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कई योजनाओं की सौगात देने वाले हैं. इस दौरान पीएम मोदी वाराणसी से दिल्ली के लिए जाने वाली वंदे भारत ट्रेन का लोकार्पण करेंगे. इसके साथ ही एक मेमू ट्रेन का भी लोकार्पण हरी झंडी दिखाकर करेंगे. इसके साथ ही तमाम योजनाओं और परियोजनाओं का लोकार्पण और उद्घाटन करेंगे. प्रधानमंत्री ने बीते दिन काशी तमिल संगमम एक्सप्रेस का लोकार्पण किया था. बता दें कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में 30 साल बाद वाराणसी कैंट स्टेशन की रीमॉडलिंग और विस्तार का काम किया गया है. स्टेशन पर प्लेटफॉर्म की संख्या बढ़ाने के साथ ही लिफ्ट और एक्सेलरेटर भी लगाए गए हैं.