वाराणसी : कोरोना वायरस ने सभी प्रकार के व्यापार पर अपना असर डाला है. इन्हीं में से एक गेंदे के फूल का व्यवसाय भी है. जो इन दिनों एकदम मुरझा गया है. तीज त्योहार भी गेंदा फूलों में ताजगी नहीं ला पाए, जिसकी वजह से फूलों की खेती करने वाले किसान काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि दिवाली-छठ से बेहद उम्मीद थी, लेकिन इतने बड़े त्योहार पर भी उम्मीद के हिसाब से व्यवसाय नहीं हो सका. ईटीवी भारत की टीम ने गेंदा फूल की खेती करने वाले किसानों से बातचीत की और जाना कि इन दिनों उनका व्यवसाय कैसा चल रहा है.
लॉकडाउन ने तोड़ दी कमर
गेंदे के फूल की खेती करने वाली महिला विद्या देवी ने बताया कि उन्हें कोरोना की वजह से इस बार काफी नुकसान देखने को मिला है. लॉकडाउन के कारण फूल की खेती करने वालों की कमर पूरी तरीके से टूट गई है. वे कर्ज में जीने को मजबूर हैं. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के शुरुआत में उन्होंने फूलों की खेती की थी. उस समय सारे फूल नालियों में फेंकने पड़े थे. इसके बाद उन्होंने सब्जियों की खेती की, वह भी बर्बाद हो गई. इतने बड़े पैमाने पर हुए नुकसान से अब वह भारी कर्ज तले दबीं हैं.
त्योहारों ने भी तोड़ी सारी उम्मीद
महिला किसान पिंकी भारद्वाज ने बताया कि 4 महीने पहले उन्होंने गेंदा के फूलों को लगाया था. त्योहार के सीजन आने वाले थे जिससे उन्हें काफी उम्मीद थी कि आमदनी अच्छी होगी. लेकिन त्योहार भी उम्मीद पूरा नहीं कर सकें. उन्होंने बताया कि इसकी खेती करना और इसे जानवरों से बचाने में हजारों का खर्च और काफी मेहनत लगती है. लेकिन इस बार मेहनताना भी नहीं मिला. उन्होंने बताया कि बाजार से ग्राहक तो आए, लेकिन औने-पौने दाम में फूल माला खरीद कर ले गए और उन्हीं मालाओं को बाजारों में अच्छे दामों पर बेचें.
पिंकी ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते संसाधन का अभाव था, जिससे वह शहर नहीं जा सकीं और ना ही मुनाफा कमा सकीं. इस बार त्योहार में 80 रुपये दर्जन और आम दिनों में 20 रुपये दर्जन के हिसाब से गेंदा फूल के माला बिके, जिसमें खेती का खर्च भी नहीं निकल पाया.