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100 साल से देश में क्रांति और ज्ञान का अलख जगा रहा काशी विद्यापीठ

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Published : Feb 14, 2021, 11:19 AM IST

Updated : Mar 13, 2021, 10:30 AM IST

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने अपनी गौरवशाली परम्परा को संजोये हुए 10 फरवरी 2021 को अपनी स्थापना का सौ वर्ष पूरा कर लिया. असहयोग आंदोलन के समय 10 फरवरी 1921 को शिव प्रसाद गुप्त ने इसकी स्थापना की थी. महात्मा गांधी ने इस विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी थी.

काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.
काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.

वाराणसी : असहयोग आंदोलन के समय 10 फरवरी सन् 1921 को शिव प्रसाद गुप्त ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में काशी विद्यापीठ की स्थापना की थी. महात्मा गांधी ने इस विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी थी. जिसके बाद इसे राष्ट्रीय शिक्षा का केंद्र बनाया गया. 1963 में इसको मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय के रूप में घोषित कर दिया गया था. फरवरी 2021 में विश्वविद्यालय ने अपने 100 वर्ष को पूरे कर लिए हैं. इन 100 सालों में विश्वविद्यालय में कई सारे परिवर्तन देखने को मिले. जिसने विश्वविद्यालय को एक नया आयाम दिया. यहां से दो भारत रत्न निकले और यहीं से पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी शिक्षा ग्रहण की थी.

काशी विद्यापीठ शताब्दी वर्ष.

स्वतंत्रता आंदोलन में विश्वविद्यालय की अहम भूमिका
इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 1921 से 1942 तक देश में जब-जब क्रांति हुई तब-तब यहां के निरीक्षक व प्रबंधकों के अलावा संस्था के अध्यापक और विद्यार्थियों ने भी अपना भरपूर योगदान दिया. सत्याग्रह आंदोलन में जब प्रांत के बड़े-बड़े नेता जेल में चले गए थे, तब विद्यापीठ के विद्यार्थियों ने इस आंदोलन को बखूबी निभाया था और कमान संभाली थी. यही कारण है कि इस विश्वविद्यालय को स्वतंत्रता आंदोलन की नर्सरी कहा जाता है.

काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.
काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.

11 संकाय के साथ तीन अन्य परिसर
100 साल पूरे कर लेने के बाद भी इस विश्वविद्यालय के कण-कण में महात्मा गांधी के विचार परिलक्षित होते हुए नजर आते हैं. विद्यापीठ में अध्ययन और अध्यापन का माध्यम हिंदी है. यहां पर साहित्य और आधुनिक वैज्ञानिक सभी प्रकार की के पाठ्यक्रम संचालित होते हैं. यहां लगभग 11 संकाय हैं. इसके साथ ही चार छात्रावास की सुविधा दी भी दी गई है. वहीं सोनभद्र, गंगापुर, भैरव तालाब में इसका अन्य प्रांगण भी है.

काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.
काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.

64 प्रतिशत है छात्राओं की संख्या
इसकी खास बात यह है कि यह विश्वविद्यालय सामाजिक समरसता, बंधुत्व, समाज में बेटियों के विकास में भी हमेशा अग्रसर रहा है. यही वजह है कि इस विश्वविद्यालय में 64 प्रतिशत जनसंख्या बेटियों की है. जी हां, मेडल लाना हो या फिर खेल में अपनी प्रतिभा दिखाना हो बेटियां हर क्षेत्र में आगे हैं. हर साल लाखों की संख्या में यहां विद्यार्थी डिग्रियां लेते हैं जिनमें बेटियों की संख्या सर्वाधिक होती है.

काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.
काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.

यहां का विद्यार्थी होने पर गर्व
इस बारे में छात्राओं ने कहा कि हमें बेहद गर्व महसूस होता है कि हम इस विश्वविद्यालय की छात्रा हैं. उन्होंने कहा कि समय-समय पर शिक्षकों के द्वारा अनेक कार्यक्रमों का आयोजन कर हम सभी को प्रोत्साहित किया जाता है. हमें यह सिखाया जाता है कि आप हमेशा आगे बढ़ें, कभी रुकना नहीं है. एक समय था जब विद्यापीठ में बेटियों की संख्या बहुत कम थी, परंतु वर्तमान में बेटियों ने इस विश्वविद्यालय परिसर में अपना अलग मुकाम बनाया है.

काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.
काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.

देश की महान विभूतियों ने ग्रहण की है शिक्षा
इस बाबत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टीएन सिंह ने बताया कि यह विश्वविद्यालय नित्य प्रतिदिन एक नए आयाम को छू रहा है. उन्होंने कहा कि मैं खुद को बेहद गौरवान्वित महसूस करता हूं कि यहां कुलपति के पद पर कार्य करने का मौका मिला है. यह विश्वविद्यालय महात्मा गांधी और शिव प्रसाद गुप्त के विचारों से ओतप्रोत रहा है. यह वही विश्वविद्यालय है जहां के छात्र आचार्य नरेंद्र देव, राजेंद्र प्रसाद, संपूर्णानंद जी, लाल बहादुर शास्त्री जैसे लोग रहे हैं.

काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.
काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.

10 हजार नई पुस्तकें कराई गई हैं उपलब्ध
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने दिन प्रतिदिन नई-नई गतिविधियों को प्राप्त किया है. यदि शैक्षिक गतिविधियों की बात करें तो विद्यालय में 64 प्रतिशत बेटियां पढ़ रही है. इसके साथ ही इनके सुविधा और सुरक्षा का भी भरपूर ध्यान रखा जाता है. हम लोगों ने 10 हजार नई पुस्तकें विश्वविद्यालय में उपलब्ध कराई हैं. ताकि बच्चों के अध्ययन में कोई समस्या न हो सके. इसके साथ ही हमने बच्चियों के लिए कॉमन रूम, हॉस्टल की सुविधा भी बढ़ाई है.

विश्वविद्यालय के ई-कंटेंट
प्रोफेसर टी एन सिंह ने बताया कि हमारे विश्वविद्यालय ने ई-लर्निंग में पूरे प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है. हमने 5000 से ज्यादा ई कंटेंट अपडेट किए हैं. शोधगंगा पर हमारे यहां की शोध पत्रिकाओं को और पुस्तकों को ऑनलाइन किया गया है. जिससे कि अन्य विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के छात्र भी इसका लाभ उठा सकें. उन्होंने बताया कि लगभग 400 से ज्यादा विश्वविद्यालय हमारे विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं. इसके साथ ही हम लोगों ने एक नए परिसर को भी भैरवतालाब में स्थापित किया है. यहां पर हम कृषि अनुसंधान केंद्र स्थापित कर रहे हैं, जहां बच्चे कृषि के क्षेत्र में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. यह देश का ऐसा परिसर है जो पूरी तरीके से कृषि को समर्पित है. वहां पर प्रयोगशाला भी बनवा रहे हैं, जहां बच्चे अलग-अलग प्रयोग कर सकेंगे.

काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.
काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.

गांधी अध्ययन के लिए बना है अलग पीठ
हमारा सदैव यही प्रयास रहेगा कि हम महात्मा गांधी के विचारों को आत्मसात कर उस पर चलते हुए इस विश्वविद्यालय को और ऊंचाइयों तक ले कर जाएं. उन्होंने बताया कि हमारा परिसर एकमात्र ऐसा परिसर है जहां पर गांधी अध्ययन शोध संस्थान की स्थापना की गई है. यहां पर गांधी के विचारों पर शोध कराया जाता है. इस जगह एक अलग पुस्तकालय भी है, जहां गांधीजी से संबंधित पुस्तकों को रखा गया है.

वाराणसी : असहयोग आंदोलन के समय 10 फरवरी सन् 1921 को शिव प्रसाद गुप्त ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में काशी विद्यापीठ की स्थापना की थी. महात्मा गांधी ने इस विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी थी. जिसके बाद इसे राष्ट्रीय शिक्षा का केंद्र बनाया गया. 1963 में इसको मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय के रूप में घोषित कर दिया गया था. फरवरी 2021 में विश्वविद्यालय ने अपने 100 वर्ष को पूरे कर लिए हैं. इन 100 सालों में विश्वविद्यालय में कई सारे परिवर्तन देखने को मिले. जिसने विश्वविद्यालय को एक नया आयाम दिया. यहां से दो भारत रत्न निकले और यहीं से पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी शिक्षा ग्रहण की थी.

काशी विद्यापीठ शताब्दी वर्ष.

स्वतंत्रता आंदोलन में विश्वविद्यालय की अहम भूमिका
इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 1921 से 1942 तक देश में जब-जब क्रांति हुई तब-तब यहां के निरीक्षक व प्रबंधकों के अलावा संस्था के अध्यापक और विद्यार्थियों ने भी अपना भरपूर योगदान दिया. सत्याग्रह आंदोलन में जब प्रांत के बड़े-बड़े नेता जेल में चले गए थे, तब विद्यापीठ के विद्यार्थियों ने इस आंदोलन को बखूबी निभाया था और कमान संभाली थी. यही कारण है कि इस विश्वविद्यालय को स्वतंत्रता आंदोलन की नर्सरी कहा जाता है.

काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.
काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.

11 संकाय के साथ तीन अन्य परिसर
100 साल पूरे कर लेने के बाद भी इस विश्वविद्यालय के कण-कण में महात्मा गांधी के विचार परिलक्षित होते हुए नजर आते हैं. विद्यापीठ में अध्ययन और अध्यापन का माध्यम हिंदी है. यहां पर साहित्य और आधुनिक वैज्ञानिक सभी प्रकार की के पाठ्यक्रम संचालित होते हैं. यहां लगभग 11 संकाय हैं. इसके साथ ही चार छात्रावास की सुविधा दी भी दी गई है. वहीं सोनभद्र, गंगापुर, भैरव तालाब में इसका अन्य प्रांगण भी है.

काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.
काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.

64 प्रतिशत है छात्राओं की संख्या
इसकी खास बात यह है कि यह विश्वविद्यालय सामाजिक समरसता, बंधुत्व, समाज में बेटियों के विकास में भी हमेशा अग्रसर रहा है. यही वजह है कि इस विश्वविद्यालय में 64 प्रतिशत जनसंख्या बेटियों की है. जी हां, मेडल लाना हो या फिर खेल में अपनी प्रतिभा दिखाना हो बेटियां हर क्षेत्र में आगे हैं. हर साल लाखों की संख्या में यहां विद्यार्थी डिग्रियां लेते हैं जिनमें बेटियों की संख्या सर्वाधिक होती है.

काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.
काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.

यहां का विद्यार्थी होने पर गर्व
इस बारे में छात्राओं ने कहा कि हमें बेहद गर्व महसूस होता है कि हम इस विश्वविद्यालय की छात्रा हैं. उन्होंने कहा कि समय-समय पर शिक्षकों के द्वारा अनेक कार्यक्रमों का आयोजन कर हम सभी को प्रोत्साहित किया जाता है. हमें यह सिखाया जाता है कि आप हमेशा आगे बढ़ें, कभी रुकना नहीं है. एक समय था जब विद्यापीठ में बेटियों की संख्या बहुत कम थी, परंतु वर्तमान में बेटियों ने इस विश्वविद्यालय परिसर में अपना अलग मुकाम बनाया है.

काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.
काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.

देश की महान विभूतियों ने ग्रहण की है शिक्षा
इस बाबत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टीएन सिंह ने बताया कि यह विश्वविद्यालय नित्य प्रतिदिन एक नए आयाम को छू रहा है. उन्होंने कहा कि मैं खुद को बेहद गौरवान्वित महसूस करता हूं कि यहां कुलपति के पद पर कार्य करने का मौका मिला है. यह विश्वविद्यालय महात्मा गांधी और शिव प्रसाद गुप्त के विचारों से ओतप्रोत रहा है. यह वही विश्वविद्यालय है जहां के छात्र आचार्य नरेंद्र देव, राजेंद्र प्रसाद, संपूर्णानंद जी, लाल बहादुर शास्त्री जैसे लोग रहे हैं.

काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.
काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.

10 हजार नई पुस्तकें कराई गई हैं उपलब्ध
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने दिन प्रतिदिन नई-नई गतिविधियों को प्राप्त किया है. यदि शैक्षिक गतिविधियों की बात करें तो विद्यालय में 64 प्रतिशत बेटियां पढ़ रही है. इसके साथ ही इनके सुविधा और सुरक्षा का भी भरपूर ध्यान रखा जाता है. हम लोगों ने 10 हजार नई पुस्तकें विश्वविद्यालय में उपलब्ध कराई हैं. ताकि बच्चों के अध्ययन में कोई समस्या न हो सके. इसके साथ ही हमने बच्चियों के लिए कॉमन रूम, हॉस्टल की सुविधा भी बढ़ाई है.

विश्वविद्यालय के ई-कंटेंट
प्रोफेसर टी एन सिंह ने बताया कि हमारे विश्वविद्यालय ने ई-लर्निंग में पूरे प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है. हमने 5000 से ज्यादा ई कंटेंट अपडेट किए हैं. शोधगंगा पर हमारे यहां की शोध पत्रिकाओं को और पुस्तकों को ऑनलाइन किया गया है. जिससे कि अन्य विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के छात्र भी इसका लाभ उठा सकें. उन्होंने बताया कि लगभग 400 से ज्यादा विश्वविद्यालय हमारे विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं. इसके साथ ही हम लोगों ने एक नए परिसर को भी भैरवतालाब में स्थापित किया है. यहां पर हम कृषि अनुसंधान केंद्र स्थापित कर रहे हैं, जहां बच्चे कृषि के क्षेत्र में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. यह देश का ऐसा परिसर है जो पूरी तरीके से कृषि को समर्पित है. वहां पर प्रयोगशाला भी बनवा रहे हैं, जहां बच्चे अलग-अलग प्रयोग कर सकेंगे.

काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.
काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह.

गांधी अध्ययन के लिए बना है अलग पीठ
हमारा सदैव यही प्रयास रहेगा कि हम महात्मा गांधी के विचारों को आत्मसात कर उस पर चलते हुए इस विश्वविद्यालय को और ऊंचाइयों तक ले कर जाएं. उन्होंने बताया कि हमारा परिसर एकमात्र ऐसा परिसर है जहां पर गांधी अध्ययन शोध संस्थान की स्थापना की गई है. यहां पर गांधी के विचारों पर शोध कराया जाता है. इस जगह एक अलग पुस्तकालय भी है, जहां गांधीजी से संबंधित पुस्तकों को रखा गया है.

Last Updated : Mar 13, 2021, 10:30 AM IST
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