वाराणसी: सरकार जहां गंगा नदी को साफ रखने के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है, तो वहीं उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता को भी बनाए रखना बेहद जरूरी हो गया है. इन सबके बीच वरुणा और अस्सी के तट पर बसे शहर बनारस की वरुणा नदी कि स्वच्छता को बनाए रखने के लिए निगम वाराणसी ने नई कवायद शुरू की है. इस कवायद के तहत फूल-माला और पूजा की अन्य सामग्रियों को वरुणा नदी में फेंके जाने से रोकने के लिए वरुणा पर से गुजरने वाले पुलों के ऊपर स्वर्ण कलश स्थापित किया गया है.
अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही वरुणा
कहने को तो वरुणा नदी शहर बनारस की पहचान है, लेकिन सरकारी उदासीनता और लोगों की नजरअंदाजी की वजह से नदी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है. अखिलेश सरकार में वरुणा नदी को बचाकर इसके किनारे वरुणा कॉरिडोर बनाए जाने की कवायद शुरू हुई, लेकिन अब तक काम पूरा नहीं हुआ.
नदी में गिराए जा रहे नाले
इन सबके बीच वरुणा नदी के अस्तित्व को बचाए रखने का प्रयास योगी सरकार ने शुरू किया है. तमाम योजनाएं भी शुरू हुईं. इसके बाद भी अब तक वरुणा नदी में सीधे गिरने वाले नाले और इससे सटे इलाकों में चल रहे कल कारखाने से निकलने वाली गंदगी इस नदी में आज भी गिराई जा रही है.
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नए पुल पर भी लगाए जाएंगे स्वर्ण कलश
लोगों के द्वारा निर्माल्य यानी धर्म और आस्था के नाम पर घरों से निकलने वाले माला-फूल-नारियल हवन सामग्री इत्यादि को सीधे नदियों में फेंका जाना, जिसकी वजह से इन में और भी गंदगी बढ़ती है. इन चीजों को देखते हुए नगर निगम वाराणसी में अभी दो स्वर्ण कलश की स्थापना पुराने पुल पर की है, जबकि नए पुल पर अभी यह काम जल्दी होने वाला है.
एक तरफ जहां वरुणा नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए इसमें फेंके जाने वाली पूजा सामग्रियों को रोकने के लिए स्वर्ण कलश स्थापित किए जा रहे हैं. वहीं अब अतिक्रमण हटाकर वरुणा नदी के किनारे बसे भवनों को हटाने की कवायद भी जल्द शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है.
अवैध निर्माण को नोटिस
वरुणा नदी के किनारे अवैध निर्माण कराने वाले 762 भवन स्वामियों को वीडियो और 30 लोगों को सिंचाई विभाग ने डेढ़ साल पहले ही नोटिस दिया था. कार्रवाई के नाम पर एक होटल के कुछ हिस्से को ढहाया भी गया, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही की वजह से स्थिति जस की तस बनी हुई है. वरुणा नदी में पानी लगातार कम होते जाने की वजह से इस नदी के अस्तित्व पर खतरा मंडराता दिख रहा है.