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संविदाकर्मी को आउटसोर्सिंग पर भेजने के आदेश पर रोक, दो हफ्ते में याचिका पर मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग प्रयागराज में पिछले 10 साल से संविदाकर्मी के रुप में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर को ठेकेदार की आउटसोर्सिंग सेवा ज्वाइन करने को बाध्य करने के आदेश पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया है कि याची को कंप्यूटर आपरेटर पद का कार्य करने दिया जाए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Sep 25, 2021, 9:43 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग प्रयागराज में पिछले 10 साल से संविदाकर्मी के रुप में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर को ठेकेदार की आउटसोर्सिंग सेवा ज्वाइन करने को बाध्य करने के आदेश पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस पर राज्य सरकार और आयोग से दो हफ्ते में याचिका पर जवाब मांगा है.

कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया है कि याची को कंप्यूटर आपरेटर पद का कार्य करने दिया जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने महबूब अली की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता तनीषा जे मुनीर ने बहस की. इनका कहना है कि याची की नियुक्ति 2011 में संविदा पर की गई थी. उसकी सेवा से कोई शिकायत नहीं है. आयोग ने 2 सितंबर 2021 के आदेश से उसे ठेकेदार की सेवा में आउटसोर्सिंग से कार्य करने का निर्देश दिया है. यह आदेश दुर्भाग्यपूर्ण है. याची सेवानियमितीकरण की मांग कर सकता है, इससे बचने के लिए उसे संविदा से हटाकर आउटसोर्सिंग सेवा में जबरन जाने के लिए बाध्य किया जा रहा है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग प्रयागराज में पिछले 10 साल से संविदाकर्मी के रुप में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर को ठेकेदार की आउटसोर्सिंग सेवा ज्वाइन करने को बाध्य करने के आदेश पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस पर राज्य सरकार और आयोग से दो हफ्ते में याचिका पर जवाब मांगा है.

कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया है कि याची को कंप्यूटर आपरेटर पद का कार्य करने दिया जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने महबूब अली की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता तनीषा जे मुनीर ने बहस की. इनका कहना है कि याची की नियुक्ति 2011 में संविदा पर की गई थी. उसकी सेवा से कोई शिकायत नहीं है. आयोग ने 2 सितंबर 2021 के आदेश से उसे ठेकेदार की सेवा में आउटसोर्सिंग से कार्य करने का निर्देश दिया है. यह आदेश दुर्भाग्यपूर्ण है. याची सेवानियमितीकरण की मांग कर सकता है, इससे बचने के लिए उसे संविदा से हटाकर आउटसोर्सिंग सेवा में जबरन जाने के लिए बाध्य किया जा रहा है.

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