रायबरेली: देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों में शुमार टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने जनपद की प्रतिभा को निखारने का बीड़ा उठाया है. इसके चलते टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने शहर के एकमात्र इंजीनियरिंग कॉलेज फिरोज गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ एक करार किया है.
इसके तहत टीसीएस ने इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की टेक्निकल स्किल्स को बढ़ाने और उन्हें कॉर्पोरेट लीडर्स के रुप में स्थापित करने के लिए एफजीआईटी को चुना है. इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के तीसरे वर्ष के दौरान ही टीसीएस बी.टेक छात्रों का ऑलराउंड डिवेलपमेंट से लेकर प्लेसमेंट तक में मदद करती है. मॉक इंटरव्यू सरीखें कई नायाब तरीकों से कैंपस सेलेक्शन के लिए छात्रों को हर संभव मदद देने का कार्य भी किया जाता है.
सचिव आर पी शर्मा ने किए ये दावे:
फिरोज गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी के सचिव आर पी शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि सीएसआर के तहत टीसीएस ने आईटी एम्प्लॉयबिलिटी प्रोग्राम के मकसद से प्रदेश के तमाम कॉलेज के बीच एफजीआईटी को चुना है. इस खास प्रोग्राम का उद्देश्य इंजीनियरिंग छात्रों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उपयुक्त तैयार करना है. जिससे बड़े और मेट्रोपोलिटन शहरों के सामने रायबरेली जैसे शहरों के छात्र कहीं पीछे न छूट जाएं.
छात्रों पर देते हैं खास ध्यान:
आर पी शर्मा आगे कहते हैं कि टीसीएस की लीडर्स टीम से कुछ डेडिकेटेड मेंबर्स इन छात्रों से हर वीकेंड में रूबरू होते हैं. खास बात यह है कि इस दौरान टीसीएस के यह विशेषज्ञ मेंबर छात्रों को पूरी तरह से पर्सनलाइज्ड अटेंशन देते हैं. इंजीनियरिंग के तीन वर्ष में शुरु हुए इस प्रोग्राम को कोर्स के चौथे और अंतिम वर्ष के उस समय तक जारी रखा जाता है, जब तक उस छात्र का किसी बड़े बहुराष्ट्रीय कंपनी में प्लेसमेंट न हो जाए.
90 मेधावियों का होता है चयन:
इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रबंध कमेटी के सचिव आरपी शर्मा ने दावा किया कि हर वर्ष टीसीएस इस विशेष प्रोग्राम के तहत 90 चुनिंदा छात्र-छात्राओं का चयन करती है. ये छात्र इंस्टीट्यूट में चल रहे सभी 4 ट्रेड कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन, मैकेनिकल समेत एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग वर्ग के होते हैं.
स्टूडेंट्स के स्ट्रेंथ और वीकनेस पर फोक्स:
स्टूडेंट्स को उनके इंटरेस्ट के अनुसार स्ट्रेंथ और वीकनेस पर फोकस करने की सलाह दी जाती है. साथ ही टीसीएस की स्पेशल टीम टेक्निकल एबिलिटी के अलावा इंडस्ट्री ओरिएंटेशन और वर्तमान समय की जरुरत के अनुसार ग्रूमिंग तैयार करने पर भी जोर देती है. जिससे 4 वर्ष के पाठ्यक्रम के बाद छात्र न केवल इंजीनियर के तौर पर परिपक्व बनते है, बल्कि भविष्य के कॉर्पोरेट लीडर्स के तौर पर अपने कैरियर की शुरुआत करने में भी कामयाब रहते हैं.