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Gyanvapi Shringar Gauri Case, मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई 21 दिसंबर को - इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस

इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस (gyanvapi shringari case in allahabad high court) को लेकर सुनवाई अब 21 दिंसबर को होगी.

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gyanvapi shringari case in allahabad high court
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Published : Dec 17, 2022, 8:11 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी (Gyanvapi Shringar Gauri case) की पूजा की अनुमति के विरुद्ध याचिका की सुनवाई शुक्रवार को भी पूरी नहीं हो सकी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई 21 दिसंबर को जारी रखने को कहा है.

शुक्रवार को हिंदू पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन ने अपनी बहस में कहा कि मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद वह स्थान उसके स्वामित्व में आ जाता है. हिंदू विधि के अनुसार ध्वस्त होने के बाद भी अप्रत्यक्ष मूर्ति का अस्तित्व बना रहता है. मंदिर तोड़कर मस्जिद का रूप दिया गया, वास्तव में वह मस्जिद है ही नहीं, वह मंदिर का हिस्सा है. जहां तीनों गुंबद मौजूद हैं, वहीं ध्वस्तीकरण के समय श्रृंगार गौरी, हनुमान एवं कृति वासेश्वर महादेव की मूर्ति थीं, जो स्वयं भू भगवान विश्वेश्वर नाथ मंदिर का हिस्सा था.

समवर्ती सूची के विषय में केंद्र एवं राज्य के बने कानून में अनुच्छेद 254(2) के तहत राज्य का कानून प्रभावी माना जाएगा. राज्य विधानसभा की ओर से पारित उत्तर प्रदेश काशी विश्वनाथ एक्ट प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर प्रभावी होगा. काशी विश्वनाथ एक्ट में ज्ञानवापी परिसर पर विश्वनाथ मंदिर का स्वामित्व है. कानून पूजा के सिविल अधिकार के लिए दीवानी अदालत को सुनवाई का अधिकार देता है. वक्फ बोर्ड या वक्फ अधिकरण को इस बारे में कोई अधिकार नहीं है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस (gyanvapi shringari case in allahabad high court) में राखी सिंह की ओर से अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने स्कंद पुराण का उल्लेख करते हुए कहा कि पंचकोसी परिक्रमा मार्ग में आने वाले मंदिरों का उल्लेख है. उनके पूजा का विधान भी है. ज्ञानवापी स्नान करके ही श्रृंगार गौरी की पूजा किए जाने का उल्लेख है. उन्होंने विवादित ढांचे की तस्वीर पेश कर कहा कि देखने से मंदिर है, जिसकी दीवार पर गुंबद तैयार किया गया है. मंदिर के अवशेष अब भी बरकरार हैं. नवंबर 1993 तक श्रृंगार गौरी की पूजा हो रही थी, जिसे जिला प्रशासन ने रोक दिया था. पुराण में जहां तीनों गुंबद हैं, उनके नीचे मूर्तियां थीं. वह मंदिर का हिस्सा है. वहां कोई मस्जिद नहीं है.

औरंगजेब ने तीन मस्जिदें बनवाई थीं, वह भी मंदिर तोड़कर. आलमगीर मस्जिद ज्ञानवापी से तीन किमी दूर है. ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) को आलमगीर मस्जिद कहना सही नहीं है. परिक्रमा मार्ग में 11 मंदिरों में पूजा का उल्लेख है. जिसमें श्रृंगार गौरी व कृतिवासेश्वर के पूजन का उल्लेख किया गया है. श्रृंगार गौरी के बाद सौभाग्य गौरी फिर ललिता घाट पर स्थित ललिता देवी की पूजा का विधान है. वास्तव में ज्ञानवापी में कोई मस्जिद नहीं है.

मंदिर को तोड़कर मस्जिद का आकार दिया गया है. दीन मोहम्मद की ओर से 1937 में दाखिल मुकदमे से उनके परिवार को नमाज पढ़ने की इजाजत मिली लेकिन परिसर का स्वामित्व विश्वनाथ का है. मुस्लिम पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने भी पक्ष रखा. अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होगी.

ये भी पढ़ें- हमीरपुर में दूल्हे को दहेज में बुलडोजर मिला, ससुर ने बतायी वजह

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी (Gyanvapi Shringar Gauri case) की पूजा की अनुमति के विरुद्ध याचिका की सुनवाई शुक्रवार को भी पूरी नहीं हो सकी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई 21 दिसंबर को जारी रखने को कहा है.

शुक्रवार को हिंदू पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन ने अपनी बहस में कहा कि मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद वह स्थान उसके स्वामित्व में आ जाता है. हिंदू विधि के अनुसार ध्वस्त होने के बाद भी अप्रत्यक्ष मूर्ति का अस्तित्व बना रहता है. मंदिर तोड़कर मस्जिद का रूप दिया गया, वास्तव में वह मस्जिद है ही नहीं, वह मंदिर का हिस्सा है. जहां तीनों गुंबद मौजूद हैं, वहीं ध्वस्तीकरण के समय श्रृंगार गौरी, हनुमान एवं कृति वासेश्वर महादेव की मूर्ति थीं, जो स्वयं भू भगवान विश्वेश्वर नाथ मंदिर का हिस्सा था.

समवर्ती सूची के विषय में केंद्र एवं राज्य के बने कानून में अनुच्छेद 254(2) के तहत राज्य का कानून प्रभावी माना जाएगा. राज्य विधानसभा की ओर से पारित उत्तर प्रदेश काशी विश्वनाथ एक्ट प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर प्रभावी होगा. काशी विश्वनाथ एक्ट में ज्ञानवापी परिसर पर विश्वनाथ मंदिर का स्वामित्व है. कानून पूजा के सिविल अधिकार के लिए दीवानी अदालत को सुनवाई का अधिकार देता है. वक्फ बोर्ड या वक्फ अधिकरण को इस बारे में कोई अधिकार नहीं है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस (gyanvapi shringari case in allahabad high court) में राखी सिंह की ओर से अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने स्कंद पुराण का उल्लेख करते हुए कहा कि पंचकोसी परिक्रमा मार्ग में आने वाले मंदिरों का उल्लेख है. उनके पूजा का विधान भी है. ज्ञानवापी स्नान करके ही श्रृंगार गौरी की पूजा किए जाने का उल्लेख है. उन्होंने विवादित ढांचे की तस्वीर पेश कर कहा कि देखने से मंदिर है, जिसकी दीवार पर गुंबद तैयार किया गया है. मंदिर के अवशेष अब भी बरकरार हैं. नवंबर 1993 तक श्रृंगार गौरी की पूजा हो रही थी, जिसे जिला प्रशासन ने रोक दिया था. पुराण में जहां तीनों गुंबद हैं, उनके नीचे मूर्तियां थीं. वह मंदिर का हिस्सा है. वहां कोई मस्जिद नहीं है.

औरंगजेब ने तीन मस्जिदें बनवाई थीं, वह भी मंदिर तोड़कर. आलमगीर मस्जिद ज्ञानवापी से तीन किमी दूर है. ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) को आलमगीर मस्जिद कहना सही नहीं है. परिक्रमा मार्ग में 11 मंदिरों में पूजा का उल्लेख है. जिसमें श्रृंगार गौरी व कृतिवासेश्वर के पूजन का उल्लेख किया गया है. श्रृंगार गौरी के बाद सौभाग्य गौरी फिर ललिता घाट पर स्थित ललिता देवी की पूजा का विधान है. वास्तव में ज्ञानवापी में कोई मस्जिद नहीं है.

मंदिर को तोड़कर मस्जिद का आकार दिया गया है. दीन मोहम्मद की ओर से 1937 में दाखिल मुकदमे से उनके परिवार को नमाज पढ़ने की इजाजत मिली लेकिन परिसर का स्वामित्व विश्वनाथ का है. मुस्लिम पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने भी पक्ष रखा. अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होगी.

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