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राजभर जातियों को ST कैटागरी में शामिल करने के मामले में समाज कल्याण के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी - notice issued against social welfare principal secretary

राजभर जातियों को ST कैटागरी में शामिल करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण को अवमानना का नोटिस जारी किया है.

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Published : Aug 22, 2022, 11:05 PM IST

प्रयागराज : राजभर व भर जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रमुख सचिव समाज कल्याण विभाग को अवमानना का नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करके बताने के लिए कहा है कि हाईकोर्ट के 11 मार्च 22 के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया.

'जागो राजभर जागो समिति' ने इस मामले में हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है. याचिका पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर में सुनवाई की. याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि हाईकोर्ट ने 11 मार्च 2022 को प्रमुख सचिव समाज कल्याण को आदेश दिया था. आदेश में कहा गया था कि राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के संबंध में उनका प्रत्यावेदन 2 माह के भीतर केंद्र सरकार को भेजा जाए.

आदेश की प्रति तामील कराने के बावजूद 2 माह से अधिक का समय बीत गया. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया. इस पर हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण को नोटिस जारी करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया यह मामला जानबूझकर अदालत के आदेश की अवमानना का है. प्रमुख सचिव 9 सितंबर तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करके बताएं कि किन कारणों से हाईकोर्ट के आदेश का अब तक पालन नहीं किया जा सका.

इसे पढ़ें- मुख्तार अंसारी ने हाईकोर्ट से लगाई गुहार, 31 साल पुराने मर्डर केस की डायरी लापता

प्रयागराज : राजभर व भर जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रमुख सचिव समाज कल्याण विभाग को अवमानना का नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करके बताने के लिए कहा है कि हाईकोर्ट के 11 मार्च 22 के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया.

'जागो राजभर जागो समिति' ने इस मामले में हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है. याचिका पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर में सुनवाई की. याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि हाईकोर्ट ने 11 मार्च 2022 को प्रमुख सचिव समाज कल्याण को आदेश दिया था. आदेश में कहा गया था कि राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के संबंध में उनका प्रत्यावेदन 2 माह के भीतर केंद्र सरकार को भेजा जाए.

आदेश की प्रति तामील कराने के बावजूद 2 माह से अधिक का समय बीत गया. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया. इस पर हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण को नोटिस जारी करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया यह मामला जानबूझकर अदालत के आदेश की अवमानना का है. प्रमुख सचिव 9 सितंबर तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करके बताएं कि किन कारणों से हाईकोर्ट के आदेश का अब तक पालन नहीं किया जा सका.

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