प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवादों को लेकर कहा कि जहां दोनों के बीच कई केस अलग-अलग कोर्ट में चल रहे हों तो उन केसों की सुनवाई एक जगह करने में महिला की सुविधा को वरीयता दी जानी चाहिए. कोर्ट ने महिला की इस मांग को स्वीकार कर लिया है कि उसके खिलाफ पति के केसों को एक जगह पर सुना जाय. जस्टिस जेजे मुनीर ने साक्षी की ट्रान्सफर अर्जी को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है.
याची का विवाह आशुतोष के साथ वर्ष 2019 में हुआ था. उसी साल पति ने विभिन्न आधारों पर विवाह को विच्छेद करने के लिए हिन्दू विवाह एक्ट के अन्तर्गत गौतमबुद्ध नगर के फैमिली कोर्ट में केस दायर कर दिया. उधर, महिला ने भी प्रयागराज के फैमिली कोर्ट में धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता व घरेलू हिंसा अधिनियम के अन्तर्गत अलग-अलग केस दाखिल कर दिया. दोनों द्वारा दायर केस की सुनवाई अलग-अलग जिलों में चल रही थी.
महिला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में पति द्वारा गौतमबुद्ध नगर में विवाह को रद्द करने के केस को प्रयागराज फैमिली कोर्ट में सुनवाई करने के लिए ट्रान्सफर अर्जी दाखिल किया. याची का कहना था कि उसे गौतमबुद्ध नगर प्रत्येक डेट पर जाने के लिए कोई साथ नहीं मिल रहा है. वह बेरोजगार है. ऐसे में पति द्वारा गौतमबुद्ध नगर में दाखिल केस की सुनवाई प्रयागराज में करने के लिए उस केस को ट्रांसफर किया जाय. पति ने केस ट्रांसफर करने का यह कहते हुए विरोध किया कि याची वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए केस की सुनवाई में शामिल हो सकती है, जिसे कोर्ट ने नहीं माना.
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अदालत ने कहा कि केस ट्रांसफर की अर्जी पर विचार करते समय पत्नी की सुविधा को वरीयता दी जानी चाहिए। कोर्ट ने इसी के साथ याची की अर्जी को मंजूर करते हुए पति के गौतमबुद्ध नगर में दाखिल केस की सुनवाई के लिए प्रयागराज फैमिली कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया.
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