ETV Bharat / state

बिना सुनवाई के पारित श्रम अदालत का अवार्ड रद्द, कंपनी श्रमिक को दे 50 हजार: हाईकोर्ट

author img

By

Published : Oct 22, 2021, 10:41 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई का अवसर दिए बगैर नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध श्रम अदालत आगरा द्वारा 29 मई 2021 को जारी अवार्ड को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने याची कंपनी को आदेश दिया है कि वह श्रमिक को 50 हजार रुपये का 6 हफ्ते में भुगतान करें.

high court
हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई का अवसर दिए बगैर नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध श्रम अदालत आगरा द्वारा 29 मई 2021 को जारी अवार्ड को रद्द कर दिया है. साथ ही साक्ष्य के साथ नये सिरे से केस दायर करने तथा श्रम अदालत को नियमानुसार निर्णीत करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने याची कंपनी को आदेश दिया है कि वह श्रमिक को 50 हजार रुपये का 6 हफ्ते में भुगतान करें. यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने वरूण वेवरेजेज लिमिटेड कंपनी की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता सुनील कुमार त्रिपाठी ने बहस की.

अधिवक्ता का कहना था कि श्रम अदालत ने कंपनी का पक्ष सुने बगैर श्रमिक को बकाया वेतन भुगतान के साथ बहाली करने का अवार्ड दिया है, जबकि श्रमिक के खिलाफ हत्या का केस दर्ज था, उसे छिपाकर नौकरी प्राप्त की. जब उसे आजीवन कारावास की सजा मिली तो याची को पता चला, जिससे सेवायोजक का श्रमिक पर से विश्वास उठ गया है. इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया गया. कोर्ट ने प्रकरण को नये सिरे से साक्ष्यों पर विचार कर दोनों पक्षों को सुनकर तय करने का निर्देश दिया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई का अवसर दिए बगैर नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध श्रम अदालत आगरा द्वारा 29 मई 2021 को जारी अवार्ड को रद्द कर दिया है. साथ ही साक्ष्य के साथ नये सिरे से केस दायर करने तथा श्रम अदालत को नियमानुसार निर्णीत करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने याची कंपनी को आदेश दिया है कि वह श्रमिक को 50 हजार रुपये का 6 हफ्ते में भुगतान करें. यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने वरूण वेवरेजेज लिमिटेड कंपनी की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता सुनील कुमार त्रिपाठी ने बहस की.

अधिवक्ता का कहना था कि श्रम अदालत ने कंपनी का पक्ष सुने बगैर श्रमिक को बकाया वेतन भुगतान के साथ बहाली करने का अवार्ड दिया है, जबकि श्रमिक के खिलाफ हत्या का केस दर्ज था, उसे छिपाकर नौकरी प्राप्त की. जब उसे आजीवन कारावास की सजा मिली तो याची को पता चला, जिससे सेवायोजक का श्रमिक पर से विश्वास उठ गया है. इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया गया. कोर्ट ने प्रकरण को नये सिरे से साक्ष्यों पर विचार कर दोनों पक्षों को सुनकर तय करने का निर्देश दिया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.