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मथुरा के राधाबल्लभ मंदिर में खिचड़ी महोत्सव शुरू, ये है विशेषता

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Published : Dec 25, 2022, 3:32 PM IST

कान्हा की नगरी मथुरा कई अनूठी पंरपराओं के लिए भी जानी जाती है. चलिए जानते हैं ऐसी ही एक खास परंपरा के बारे में.

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मथुरा: वृंदावन के राधाबल्लभ मंदिर (Radha Ballabh Temple) में रविवार से खिचड़ी महोत्सव (Khichdi Festival) की शुरूआत हो गई. मंदिर परिसर में अनेक प्रकार की झांकियों के साथ ठाकुर जी को मक्खन मिश्री और रबड़ी के साथ कचौड़ी खीर दूध का भोग लगाया गया.

बता दें कि हरवर्ष पौष माह की अमावस्या से वृंदावन के राधाबल्लभ मंदिर में खिचड़ी महोत्सव की शुरुआत हो जाती है. 1 माह तक मंदिर में ठाकुर जी को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. इस अनूठी परंपरा में भाग लेने के लिए दूरदराज से बड़ी संख्या में भक्त आते हैं. मंदिर परिसर में ठाकुर जी की झांकियां भी आयोजित की जाती हैं. ठाकुरजी को व्यंजन रबड़ी, मक्खन, मिश्री, का भोग लगाने के साथ ही खीर और मीठे चावल भी परोसे जाते हैं.


मंदिर के गोस्वामी के अनुसार उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी दिसंबर से पड़नी शुरू हो जाती है. अमावस्या के दिन से मंदिर परिसर में खिचड़ी महोत्सव के साथ-साथ ठाकुर जी के लिए अनेक प्रकार के व्यंजन मंदिर परिसर में तैयार किए जाते हैं. इनमें पिस्ता, बादाम, काजू, छुहारा, अदरक, काली मिर्च, लौंग आदि शामिल होते हैं. इनको मिलाकर खिचड़ी बनाई जाती है. इसमें राधा वल्लभजी को भोग लगाया जाता है.

मंदिर के गोस्वामी ने दी यह जानकारी.

प्रातः सुबह अनेक प्रकार के भक्ति गीतों के साथ ठाकुर जी को जगाया जाता है. मंदिर परिसर में श्रृंगार भोग, फल, मेवा दोपहर में सकरा भोग, दाल, कढ़ी, खिचड़ी, रोटी, खीर, साग और मीठे चावल का भोग लगाया जाता है. रात में ठाकुरजी का कचौड़ी, खीर और दूध का भोग लगाया जाता है.

मंदिर सेवायत विशाल लाल गोस्वामी ने बताया राधाबल्लभ मंदिर में खिचड़ी महोत्सव की शुरुआत रविवार प्रातः आठ बजे से भक्ति गीतों के साथ हुई. ठाकुर जी के लिए अनेक प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया. इसमें विशेष रबड़ी मक्खन, मिश्री और खिचड़ी शामिल है. मंदिर में यह महोत्सव एक माह तक मनाया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः सिक्किम में शहीद हुए ललितपुर के जवान का राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

मथुरा: वृंदावन के राधाबल्लभ मंदिर (Radha Ballabh Temple) में रविवार से खिचड़ी महोत्सव (Khichdi Festival) की शुरूआत हो गई. मंदिर परिसर में अनेक प्रकार की झांकियों के साथ ठाकुर जी को मक्खन मिश्री और रबड़ी के साथ कचौड़ी खीर दूध का भोग लगाया गया.

बता दें कि हरवर्ष पौष माह की अमावस्या से वृंदावन के राधाबल्लभ मंदिर में खिचड़ी महोत्सव की शुरुआत हो जाती है. 1 माह तक मंदिर में ठाकुर जी को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. इस अनूठी परंपरा में भाग लेने के लिए दूरदराज से बड़ी संख्या में भक्त आते हैं. मंदिर परिसर में ठाकुर जी की झांकियां भी आयोजित की जाती हैं. ठाकुरजी को व्यंजन रबड़ी, मक्खन, मिश्री, का भोग लगाने के साथ ही खीर और मीठे चावल भी परोसे जाते हैं.


मंदिर के गोस्वामी के अनुसार उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी दिसंबर से पड़नी शुरू हो जाती है. अमावस्या के दिन से मंदिर परिसर में खिचड़ी महोत्सव के साथ-साथ ठाकुर जी के लिए अनेक प्रकार के व्यंजन मंदिर परिसर में तैयार किए जाते हैं. इनमें पिस्ता, बादाम, काजू, छुहारा, अदरक, काली मिर्च, लौंग आदि शामिल होते हैं. इनको मिलाकर खिचड़ी बनाई जाती है. इसमें राधा वल्लभजी को भोग लगाया जाता है.

मंदिर के गोस्वामी ने दी यह जानकारी.

प्रातः सुबह अनेक प्रकार के भक्ति गीतों के साथ ठाकुर जी को जगाया जाता है. मंदिर परिसर में श्रृंगार भोग, फल, मेवा दोपहर में सकरा भोग, दाल, कढ़ी, खिचड़ी, रोटी, खीर, साग और मीठे चावल का भोग लगाया जाता है. रात में ठाकुरजी का कचौड़ी, खीर और दूध का भोग लगाया जाता है.

मंदिर सेवायत विशाल लाल गोस्वामी ने बताया राधाबल्लभ मंदिर में खिचड़ी महोत्सव की शुरुआत रविवार प्रातः आठ बजे से भक्ति गीतों के साथ हुई. ठाकुर जी के लिए अनेक प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया. इसमें विशेष रबड़ी मक्खन, मिश्री और खिचड़ी शामिल है. मंदिर में यह महोत्सव एक माह तक मनाया जाएगा.

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