मथुरा: जनपद का बहुचर्चित जवाहर बाग हत्याकांड के मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव के अपहरण के मामले में जनपद सिविल जज की कोर्ट ने प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रार्थी के पास पर्याप्त आधार नहीं है, इसलिए रामवृक्ष अपहरण के मामले में मुकदमा नहीं दर्ज किया जा सकता है. सीबीआई ने अपनी जांच में रामवृक्ष यादव को मृत घोषित कर चुकी है.
दरअसल, बहुचर्चित जवाहर बाग हत्याकांड के मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव के गुरु भाई राज नारायण ने 22 नवंबर 2021 को जनपद के न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था. जिसमें कहा था कि 2 जून 2016 को अज्ञात पुलिसकर्मी द्वारा घटना के समय रामवृक्ष यादव को हत्या के उद्देश्य अपहरण कर लिया गया और एकांत स्थान पर जाकर उसकी हत्या कर दी गई. इतना ही नहीं परिजनों को बिना सूचना दिए शव को गायब करा दिया गया. इस प्रार्थन पत्र पर गुरुवार को न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया और प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए कहा कि प्रार्थी के पास पर्याप्त आधार नहीं है, इसलिए रामवृक्ष अपहरण के मामले में केस दर्ज नहीं किया जा सकता है.
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गौरतलब है कि सिविल लाइन क्षेत्र में जिला उद्यान विभाग की सरकारी जमीन 270 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जाधारियों ने तीन साल तक कब्जा किया था. 2 जून 2016 को सरकारी भूमि खाली कराने के लिए जिला प्रशासन ने कथित सत्याग्रहियों को हटाने का प्रयास किया. तभी उन्होंने पुलिस प्रशासन पर फायरिंग और पथराव कर दिया, जिसमें तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और थाना अध्यक्ष संतोष यादव सहित 29 लोगों की मौत हुई थी. जनपद में हुए हिंसक घटना की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई दी.
हिंसक जवाहर बाग कांड की जांच हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज के द्वारा कराई गई थी, जिसमें अवैध कब्जा धारियों ने सरकारी भूमि पर कब्जा किया था और सरकारी जमीन खाली कराते समय मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव की मौत की रिपोर्ट दाखिल की गई.
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