लखनऊः एलडीए की पचास संपत्तियों के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ मामले की जांच के दायरे में निजी एजेंसियां आ रही हैं. साइबर क्राइम की टीम ने तीसरे दिन भी लखनऊ विकास प्राधिकरण में संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों से पूछताछ की. बताया जा रहा है कि प्राधिकरण की वेबसाइट व कम्प्यूटर सिस्टम डेवलप करने के लिए दो संस्थाओं को जिम्मेदारी दी गई थीं. वहीं पीसीएस मैनेजमेंट कन्सल्टेंसी प्रा लि. व यूपीएल नाम की संस्थाएं भी घेरे में आ गई हैं.
छानबीन में जुटी टीम
साइबर एक्सपर्ट एसीपी विवेक रंजन पूरे मामले की तह तक जाने में लगे हुए हैं. वह लगातार प्राधिकरण कार्यालय में अलग-अलग लोगों से संपर्क कर छानबीन कर रहे हैं. शुक्रवार को टीम को बताया गया कि दो संस्थाओं ने एलडीए का पोर्टल व रिकार्ड सिस्टम डेवलप किया है. टीम ने संयुक्त सचिव ऋतु सुहास व इग्जीक्यूटिव सिस्टम एसबी भटनागर से जानकारी प्राप्त की. वहीं हर एक पहलू पर साइबर एक्सपर्ट की पांच सदस्यीय टीम नजर बनाये हुये हैं. जिसके चलते दूसरे कर्मचारियों में दहशत का माहौल है.
पहली बार साइबर क्राइम को जांच सौंपी
एलडीए में फर्जी रजिस्ट्री व समायोजन के मामले कोई नए नहीं हैं. अफसरों से लेकर कर्मचारियों और चपरासी की एक पूरी चेन इस कार्य में लगी है. वहीं फर्जी रजिस्ट्रियों के मामलों की जांच में ठोस कारवाई आज तक नहीं हुई. हालांकि इस बार जांच के लिए साइबर क्राइम टीम को जिम्मेदारी सौंपी गई है. इससे भरोसा है कि जल्द ही मामले से पर्दा उठेगा.
लागू नहीं हो रहा बायोमैट्रिक थम्ब इम्प्रेशन सिस्टम
प्राधिकरण को आईएसओ सर्टिफिकेट जरूर मिल गया है लेकिन आधुनिकता के दौर में एलडीए काफी पीछे है. आलम यह है कि यहां फर्जीवाड़े का धंधा फलफूल रहा है। इस बारे में कई बार एलडीए प्रशासन को सुझाव दिए गए हैं. कुछ समय पहले फर्जी रजिस्ट्री के मामले की जांच के बाद कम्प्यूटर कोड की बजाए बायोमैट्रिक थम्ब इम्प्रेशन की व्यवस्था लागू करने का सुझाव दिया गया था. उनका यह सुझाव फाइलों में ही बंद रह गया.